देश में एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण (Corona Infection) को देखते हुए लोग घरों में कैद हैं वहीं कुछ लोग अपने परिवार की परवाह किए बगैर कोरोना मरीजों (Corona patient) का इलाज करने में लगे हुए हैं. ऐसे लोग समाज के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहे हैं.
देश में एक ओर जहां लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में कैद हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने परिवार की परवाह न करते हुए कोरोना मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं. सूरत में एक ऐसी ही महिला हैं जिनकी ड्यूटी 108 एंबुलेंस सेवा में लगी हुई है. महिला और उसका पति कोरोना के इस दौर में कोरोना योद्धा की तरह उभरे हैं.
कोरोना महामारी के इस दौर में कुछ लोग अपना काम बखूबी निभा रहे हैं. सूरत में ऐसा ही एक परिवार है जो कोरोना महामारी के इस दौर में अपना काम पूरी निष्ठा से कर रहा है. 108 आपातकालीन सेवा में लगी महिला जहां दिन में कोरोना मरीजों की मदद कर रही है, वहीं पति रात के समय में मरीजों की सेवा करते हैं.
महिला कर्मचारी का नाम दीक्षिता वाघानी है. दीक्षिता कोरोना की पहली लहर के समय गर्भवती थीं. उस समय भी भी वह अपना कर्तव्य निभा रही थीं.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान महिला कर्मचारी का सात महीने का बच्चा है. हालांकि महामारी के इस दौर में वह बच्चे के साथ काम कर रही है. महिला दिन में काम करती हैं उस वक्त उनका पति बच्चे को संभालता है और जब महिला की ड्यूटी खत्म होती है तो पति काम पर निकल जाते हैं.
दिन के दौरान पति बच्चे को संभालता है. जब कभी भी बच्चे को मां की जरूरत होती है तो पति उसे लेकर महिला के पास पहुंच जाता है. महिला बच्चे को खिलाती है. हालांकि, जब ड्यूटी की बात आती है और जब समाज को उनकी आवश्यकता होती है तो महिला अपने काम को पहला स्थान देती हैं.साभार-NEWS18
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