पढ़िए हिन्दुस्तान न्यूज़ की ये खबर…
ताजनगरी आगरा में कोविड अस्पतालों के एक-एक बेड की बोली लग रही है। अस्पताल अपने स्तर के मुताबिक बेड ‘बेच’ रहे हैं। इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। छोटे और मध्यम अस्पतालों में यह 30 से 60 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बिक रहे हैं। जबकि बड़े अस्पतालों का कोई ओर-छोर नहीं है।
हिन्दुस्तान के पास कई दिनों से इसी तरह की जानकारियां आ रही थीं। लिहाजा इसकी पड़ताल की गई। खुद कई अस्पतालों में फोन करके बेड और रेट का हिसाब पूछा गया। इसमें कुछ असली मरीजों और उनके तीमारदारों की मदद भी ली गई। इन लोगों को भी अपने लिए कोविड अस्पताल के बेड की जरूरत थी। इससे सारी हकीकत खुल गई। निजी अस्पतालों के लिए सरकार से निर्धारित चार्ज बहुत पीछे रह गए। छोटे से छोटे अस्पतालों में यह दोगुने निकले। यानि 30 हजार रुपये प्रतिदिन से कम पर कहीं बेड उपलब्ध नहीं था। इसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन का खर्चा शामिल नहीं है। बड़े अस्पतालों में खर्चे के बारे में फोन पर नहीं बताया जाता। अस्पताल आने के बाद रेट तय होते हैं। जिसकी बोली ज्यादा होती है उसे बेड मिलता है। शेष को अस्पताल फुल करके टरका दिया जा रहा है।
बड़े अस्पताल नहीं करते फोन पर बात
बड़े अस्पताल सिर्फ फोन पर बेड की उपलब्धता के बारे में बताते हैं। खर्चे के बारे में नहीं बताते। इसके लिए तीमारदार को अलग से समझाया जाता है। कुछ अस्पताल फोन तक बंद करा लेते हैं। पर्ची पर लिखकर समझाया जाता है। सूत्रों के मुताबिक इनके रेट 40 हजार रुपये से अधिक हैं। जैसा मरीज वैसा रेट। बेड की उपलब्धता और मरीज की हालत पर भी निर्भर करते हैं।
महंगा मरीज मिलने पर सस्ते को डिस्चार्ज
कुछ अस्पताल संचालक बीच में ही मरीज को बाहर कर देते हैं। जैसे ही उन्हें एक बेड की कीमत अधिक मिलने लगती है, वे पुराने मरीज को किसी न किसी बहाने से बाहर कर देते हैं। इसमें सबसे अच्छा बहाना है कि उनके यहां इससे आगे का इलाज नहीं है। लिहाजा सरकारी अस्पताल में रेफर करा लें। वहां रेमडेसिविर भी मिल जाएगा। घबराए तीमारदार डिस्चार्ज/रेफर करा लेते हैं।
अस्पताल शहीद नगर
रिपोर्टर :- कोविड मरीज के लिए बेड चाहिए, मिल जाएगा?
स्टाफ:- मेरे पर्सनल नंबर पर बात करो, व्हाट्सएप पर रिपोर्ट भेजो।
रिपोर्टर:- आरटीपीसीआर नेगेटिव है, सीटी का स्कोर 15 है।
स्टाफ:- ठीक है ले आओ।
रिपोर्टर:- खर्चा बता दीजिए। एक दिन का कितना लगेगा?
स्टाफ:- 27 से 30 हजार रुपये लगेंगे, खाना-पीना शामिल है।
रिपोर्टर:- रेमडेसिविर इंजेक्शन भी लगेगा क्या, ऑक्सीजन है?
स्टाफ:- इंजेक्शन नहीं है, ले आओगे तो लग जाएगा, ऑक्सीजन है।
एसआर अस्पताल, नामनेर
तीमारदार:- एक कोविड बेड चाहिए, मिल जाएगा क्या?
स्टाफ:- ले आइए, बेड भरने वाले हैं, जल्दी कीजिए।
तीमारदार:- कितना खर्चा लगेगा, कुछ अंदाजा हो जाए।
स्टाफ:- 40 हजार रुपये हर रोज लगेंगे।
तीमारदार:- अभी कितना लगेगा, मतलब एडवांस देना होगा।
स्टाफ:- एडवांस में 30-40 जो हों लेकर आइएगा।
(तीमारदार मंगलवार रात को मरीज लेकर गए लेकिन वहां न डॉक्टर था न स्टाफ। दो मरीजों की हालत बेहद खराब थी। उन्हें देखकर तीमारदार और मरीज घबरा गए। अपने मरीज को अस्पताल से वापस ले आए। जमकर झगड़ा हुआ। आखिर में एक हजार रुपये काटकर तीमारदार को वापस किए गए)
सरकार द्वारा निर्धारित रेट
एनएबीएच एक्रेडिटेड अस्पताल
आइसोलेशन बेड:- 10000
आईसीयू बेड:- 15000
वेंटिलेटर युक्त आईसीयू:- 18000
नान एक्रेडिटेड अस्पताल
आइसोलेशन वार्ड:- 12000
आईसीयू बेड:- 13000
वेंटिलेटर युक्त आईसीयू:- 15000
(नोट: यह दरें ए श्रेणी के शहरों के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए हैं। बी श्रेणी के शहरों में अस्पतालों में इसका 80 प्रतिशत और सी श्रेणी में 60 प्रतिशत शुल्क तय किया गया था।)साभार-हिन्दुस्तान न्यूज़
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