अखबार बेचकर भरते थे फीस..दोस्त ने भी किया बेइज्जत, अब मेहनत करके बन गए आईएएस

पढ़िए दी लॉजिकली की ये खबर…

अगर आप अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करना चाहते हैं, तो यह किसी जादू से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए आपको पूरे दृढ़ संकल्प के साथ अपने पथ पर अडिग रहना पड़ेगा। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी अखबारों को बेचकर अपनी स्कूल की फीस भरा करते थे, लेकिन वह गरीबी को मात देते हुए अपने परिश्रम के बदौलत आज आईएएस ऑफिसर बने हैं।

निरीश राजपूत के पिता करते थे सिलाई

निरीश राजपूत (Nirish Rajput) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) से सम्बंध रखते हैं। उनके पिता सिलाई कर अपने घर का खर्च चलाया करते थे। घर की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण उन्हें बहुत सारे दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता था। निरीश अपने परिवार के साथ 15 बाई 4 फीट के कमरे में रहा करते थे।

किया सरकारी स्कूल में पढ़ाई

उन्होंने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से ही संपन्न किया है। वह पढ़ने में तेज-तर्रार थे लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनके आगे की पढ़ाई में बाधा खड़ी हो रही थी। तब उन्होंने सुबह के वक़्त लोगों के घर जाकर अखबार बेचने का कार्य शुरू किया और इससे कुछ पैसे इकट्ठे कर, उन्होंने ग्वालियर के गवर्नमेंट स्कूल में अपना एडमिशन कराया।

सपना था आईएएस बनने का

निरीश ने गवर्नमेंट कॉलेज से ही अपनी बीएससी और एमसीए की शिक्षा ग्रहण की। उनका सपना आईएएस बनना था और इसमें उनके भाइयों ने उनका बहुत ही सहयोग किया।

दोस्त ने किया बेइज्जती

एक रिपोर्ट के अनुसार जब निरीश अपने एक मित्र से मिलने उत्तराखंड गए, जो बहुत ही अमीर घराने से था। तब उनके मित्र ने उनसे या दावा किया था कि अगर वह एक कोचिंग इंस्टिट्यूट खुलवाने में उनकी मदद कर दें, तो वह उनकी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए कंटेंट दिया करेगा। निरीश ने अपने दोस्त की मदद की और कोचिंग का शुभारंभ हो गया। उन्होंने वहां 2 वर्षों तक काम भी किया, लेकिन जब उनके मित्र लगा कि वह इस कोचिंग से वह अधिक पैसे कमा रहे हैं। तब उन्होंने निरीश की बहुत बेइज्जती की और उन्हें वहां से भगा दिया।

18 घण्टे करते पढ़ाई

इस बेइज्जती के बाद उन्हें बहुत दुःख हुआ और उन्हें अपने दोस्त की बातें बहुत बुरी लगी। अब उनके पास बहुत सी समस्याएं आ चुकी थी। आगे वह पढ़ाई के लिए दिल्ली आए और यहां उनकी मुलाकात एक अंकित नाम के लड़के से हुई, जो बहुत ही सरल स्वभाव का था। अब दोनों मिलकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे, वह लगभग 18 घंटे अपनी पढ़ाई में लगाया करते थे।

नहीं किया कोचिंग जॉइन और मिली सफलता

निरीश ने अपनी पढ़ाई के लिए किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, वह अंकित की किताबों से पढ़ाई किया करते थे। अब उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देनी प्रारंभ की। हालांकि वह तीन बार असफल हुए फिर भी हार नहीं मानी और आखिरकार उन्होंने वर्ष 2013 में यूपीएससी परीक्षा को 370वीं रैंक हासिल पास किया और आईएएस ऑफिसर बने।

गरीबी को मात देते हुए, असफलताओं से सीख लेकर जिस तरह परिश्रम कर निरीश राजपूत ने यूपीएससी परीक्षा को पास कर आईएएस की उपाधि ग्रहण की, वह काबिले तारीफ है। साभार-दी लॉजिकली

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