पढ़िए दी लॉजिकली की ये खबर…
कलियुग की दुनिया में लोग अपने स्वार्थ के लिए इंसान तो दूर मासूम जानवरों तक को नहीं छोड़ रहे हैं। साल 2020 में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसने इंसानियत को शर्मसार करके रख दिया था। यह घटना तेलंगाना के सिद्दिपेट ज़िले की थी, जहां कथित तौर पर दो दिनों में करीब 100 कुत्तों को जहर देकर मार दिया गया था। इस घटना को कंपैशनेट सोसाइटी ऑफ एनिमल (CSA) की सदस्य विद्या ने इस घटना का वीडियो को बनाकर सोशल मीडिया के जरिए लोगों के सामने लाया। वहां के नगर निगम पर आरोप था कि उसने कुत्तों की संख्या को कम करने के लिए उन्हें जहर देकर मार डाला।
इस खबर को सुनते ही कुछ ऐसे लोगों की याद आ जाती है, जो देश में कई बेसहारा जानवरों अथवा कुत्तों के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते है। उन्हीं में से एक हैं राकेश (Rakesh), जिन्होंने आवारा कुत्तों को आशियाना देने के लिए अपनी 20 गाड़ियां और तीन घरों को बेच दिया।
राकेश ने आवारा कुत्तों और घोड़ों आदि के लिए एक फार्म हाउस तैयार किया है, जहां करीब 800 से ज़्यादा आवारा कुत्ते, 7 घोड़े और 10 गायें रहती हैं। यहां की खास बात यह है कि यहां के पशुओं को जंजीरों से बांधकर नहीं रखा जाता है बल्कि वह जब चाहे जहां चाहे घूम सकते हैं। इतना ही नहीं वह स्विमिंग पूल में तैरते भी हैं और फार्म में लगे घास भी चरते हैं। उस इलाके के लोग राकेश को बेसहारा कुत्तों (जानवरों) की मदद करने के लिए ही पहचानते हैं।
आपको बता दें कि राकेश केवल उन्हीं कुत्तों को नहीं पालते जो सिर्फ गली मोहल्लों में आवारा घूमते हैं, बल्कि वह मंगलौर पुलिस में काम कर चुके कुत्तों को भी पालते हैं। बात दरअसल यह है कि जब पुलिस में काम कर रहे कुत्तों की उम्र ज़्यादा होने लगती है और वह अपने में काम में ज्यादा एक्टिव नहीं रह पाते हैं, तब उन्हें अलग रख दिया जाता है, जिनकी राकेश मदद करते हैं।
यह कैसे शुरू हुआ?
48 साल के राकेश जिन्हें आज लोग को ‘डॉग फादर’ के नाम से जानते हैं। राकेश ने अपना बिजनेस बेंगलुरु में शुरू किया हालांकि यहां बिजनेस शुरू कर वह पूरी दुनिया की अलग-अलग जगहों पर घूमने के साथ-साथ काम करते हैं।
एक मीडिया कर्मी से बात करते हुए राकेश ने बताया कि एक समय ऐसा था जब वह सफलता का मतलब सिर्फ गाड़ियां और बंगले को ही समझते थे, पर उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास 20 से भी ज्यादा गाड़ियां थी और घर थे पर उनकी सोच बदल चुकी थी। आज उनके जीवन का मकसद यही है कि वह जितना
ज्यादा हो सके कुत्तों के जीवन को बचाना। इसके लिए उन्होंने अपनी 20 से ज्यादा गाड़ियां और तीन घर भी बेच चुके हैं।
भारत में अगर देखा जाए तो इन आवारा कुत्तों की हालात बद से बदतर है। हम आय दिन यह देखते हैं कि कैसे इन्हें कभी सड़कों पर गाड़ियों द्वारा कुचल दिया जाता है, तो कभी इंसानों द्वारा जहर दे दिया जाता है।
वर्ष 2009 में राकेश ने अपना काम शुरू किया। इस वर्ष उन्होंने अपने घर एक 45 दिन का Golden Retriever ‘काव्या’ को लेकर आए। कुछ महीनों बाद एक घटना हुई, हर रोज की तरह वह अपने कुत्ते के साथ वॉक पर निकले और उस दौरान उन्हें एक कुत्ते का बच्चा (puppy) दिखाई दिया। वह puppy बारिश से जैसे-तैसे अपनी जान बचा पाया था। राकेश उसे घर लेकर आए और उसका नाम रखा luckey और बस यहीं से शुरू हुआ आवारा कुत्तों की मदद करने का सिलसिला।
आपको बता दें कि शुरुआती दिनों में इसका विरोध खुद उनकी पत्नी ने ही किया। जिसके बाद उन्होंने अलग ज़मीन खरीद कर एक फार्म हाउस तैयार किया और वही इन कुत्तों को रखा।
वॉइस ऑफ स्ट्रे डॉग्स (voice of stray dogs) के लिए अपनी जेब से खर्च करते हैं
आज उनके फार्म हाउस में लगभग सैकड़ों की तादाद में कुत्ते हैं। राकेश ने वॉइस ऑफ स्ट्रे डॉग्स (voice of stray dogs) के नाम की एक संस्था रजिस्टर करवाई है, जो स्ट्रे डॉग्स और उनके आवास के लिए काम करती है। वह हर महीने लगभग 15 लाख रुपए इन कुत्तों की देखभाल करने के लिए लगाते हैं। राकेश की संस्था में 90% फंड उनकी खुद की टेक फ्रॉम (TWB) से ही आता है। उन्होंने एक ऐसी तकनीक से संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया, जो डॉग्स के प्रोटेक्सन में काम आता है। इतना ही नहीं यहां मानसिक, फिजिकल और मेडिकली रूप से बीमार कुत्तों का भी ध्यान रखा जाता है।
इसकी खास बात यह है कि वह अपनी आईटी फार्म, फार्म हाउस से ही चलाते हैं। वह अपना पूरा काम इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन ही करते है। आज राकेश के ही वजह इन आवारा कुत्तों को रहने के लिए घर मिला। NO Kill पॉलिसी के साथ ही इन कुत्तों को सहारा मिला। आज इन कुत्तों की देखभाल करने के लिए एक टीम भी मौजूद है। यही नहीं यहां बीमार होने पर वेटनरी डॉक्टर्स है, और खाने के लिए भोजन भी उपलब्ध है।
आज के समय में जहां एक इंसान दूसरे इंसान की मदद भी कर पा रहा है,वही राकेश ने इन बेजुबान जानवरों की मदद करने को सोचा। उनकी यह सोच ना जाने कितने लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत हैं। साभार-दी लॉजिकली
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