कोरोनावायरस संक्रमण के खतरे के बीच उत्तर प्रदेश लौट रहे प्रवासी कामगारों के लिए योगी सरकार ने प्रोटोकॉल जारी किया है। इसके तहत सभी जिलों में क्वारैंटाइन सेंटर बनेंगे। महाराष्ट्र, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से पलायन कर यूपी आ रहे प्रवासियों का जिले में स्क्रीनिंग कराना जरूरी होगा। सात दिन का क्वारैंटाइन जरूरी कर दिया गया है। यानी कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद भी सात दिन खुद को आइसोलेशन में रहना होगा। अगर लक्षण हैं तो 14 दिन क्वारैंटाइन रहना होगा।
प्रवासी मजदूरों की होगी RTPCR जांच
मख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने सभी जनपदों में प्रवासी मजदूरों की RTPCR जांच कराने और चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए विशेष रणनीति के तहत युद्धस्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के हर जिले में क्वारैंटाइन सेंटर के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम इन प्रवासी मजदूरों की RTPCR जांच करेगी। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव होगी, उन मजदूरों के भोजन, क्वारैंटाइन और दवाओं की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही आइसोलेशन सेंटर में 14 दिन निगरानी के बाद इन प्रवासी मजदूरों को परिवहन निगम की बसों द्वारा उनके गृह जनपद पहुंचाया जाएगा।
प्रवासी कामगारों के वापसी पर प्रबंधन प्रोटोकॉल
- जिला प्रशासन स्क्रीनिंग कराएगा। लक्षण मिलने पर क्वारैंटाइन में रखा जाएगा। जांच के बाद यदि सक्रमित मिलता है तो कोविड अस्पताल या घर पर आइसोलेट होना होगा। यदि लक्षण हैं लेकिन संक्रमित नहीं पाए जाते हैं तो 14 दिन के होम क्वारैंटाइन में भेजा जाएगा। लक्षणविहीन व्यक्ति सात दिन तक होम क्वारैंटाइन में रहेंगे।
- जिले में पहुंचने के बाद जिला प्रशासन प्रत्येक प्रवासी की स्क्रनिंग के साथ-साथ पता एवं मोबाइल नंबर समेत लाइन-लिस्टिंग तैयार कराएगा।
- क्वारैंटाइन सेंटर के प्रभारी द्वारा प्रवासियों के नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि एक रजिस्टर में दर्ज करना होगा।
- जिनके घरों में होम आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं है, उन्हें संस्थागत क्वारैंटाइन में रखा जाएगा। इसके लिए स्कूलों को आरक्षित किया जाए।
- सामुदायिक सर्विलांस के लिए ग्राम निगरानी समिति व शहरी क्षेत्रों में मोहल्ला निगरानी समिति का प्रयोग।
- आशा कार्यकत्री द्वारा ऐसे प्रत्येक क्वारैंटाइन किए गए घरों में तीन दिन में एक बार भ्रमण किया जाएगा।
बीते साल भी बनाए गए थे कोविड-19 सेंटर
पिछले साल कोरोना काल के दौरान प्रदेश के श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वाले या दैनिक कार्य करने वाले सभी लोगों के भरण-पोषण की व्यवस्था को सुनिश्चित किया। जिसके तहत परिवहन निगम की बसों के जरिए लगभग 40 लाख प्रवासी कामगरों व श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजने, चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने व उनको स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई। इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों को राशन किट वितरण के साथ ही आर्थिक सहायता देते हुए प्रति श्रमिक एक हजार रुपए की धनराशि भी ऑनलाइन माध्यम से दी। कुल 1,51,82,67,000 रुपए 15.18 लाख प्रवासियों को हस्तांतरित किए गए थे। साभार-दैनिक भास्कर
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