पढ़िए नवभारत टाइम्स की ये खबर…
Asaduddin Owaisi on Gyanvapi Mosque: ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करना चाहिए और इसपर सुधार करवाना चाहिए।
हाइलाइट्स:
- वाराणसी की कोर्ट ने ASI को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया
- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा
- कोर्ट के फैसले पर ओवैसी भी भड़के, कहा- इतिहास दोहराया जाएगा
नई दिल्ली। वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा। अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी कोर्ट के फैसले की वैधता पर संदेह जताया है। ओवैसी ने आशंका जताई कि एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके कहा, इस आदेश की वैधता संदिग्ध है। बाबरी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून में किसी टाइटल की फाइंडिंग ASI द्वारा पुरातात्विक निष्कर्षों पर आधारित नहीं हो सकती है। ओवैसी ने ASI पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि वो हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए मिडवाइफ की तरह काम कर रही है। कोई भी इससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं करता है।
The legality of this order is doubtful. In Babri judgement SC said “A finding of title cannot be based in law on the archaeological findings which have been arrived at by ASI…" ASI has acted as a midwife to all kinds of Hindutva lies, no one expects objectivity from it 1/n https://t.co/oEv7RxsD7r
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 8, 2021
ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करना चाहिए और इसपर सुधार करवाना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि ASI सिर्फ धोखाधड़ी का पाप करेगी और इतिहास दोहराया जाएगा जैसा बाबरी मामले में हुआ था। वह बोले कि किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि वाराणसी की सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक दीवानी अदालत ने बृहस्पतिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया है।
मामले के याची वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्व वेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया है जिनमें दो सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के भी होंगे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में दीवानी न्यायालय में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था। उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है। साभार-नवभारत टाइम्स
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