राजकोट की रहने वाली शारदाबेन कुंडालिया ने पति की मौत के बाद तमाम मुश्किलों से गुजरते हुए खुद का बिजनेस शुरू किया था। आज उनकी कमाई लाखों में है।
हर दिन गिरकर भी मुक्कमल खड़े हैं, ए जिंदगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं…। इस कथन को राजकोट की रहने वाली शारदाबेन कुंडालिया सही साबित कर रही हैं। उनका अब तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। उनकी शादी के कुछ साल बाद ही 25 साल की उम्र में पति की मौत हो गई। तब वे महज 20 साल की थीं। कम उम्र में विधवा हो जाने वाली शारदाबेन ने दूसरी शादी करने के बजाय बच्चों को खुद के दम पर पालने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने खाखरा बनाने और बेचने का बिजनेस शुरू किया। शारदाबेन का खाखरा आज विभागीय मॉल में पहुंच गया है। उनके खाखरा-पापड़ की पूरे गुजरात में तारीफ हो रही है और इससे वे हर साल 5 लाख रुपए कमा रही हैं।
शारदाबेन बताती हैं कि पति की मौत के बाद कई लोगों ने दूसरी शादी की बात कही, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मैंने अपने बच्चों की देखरेख को ही सबसे पहले रखा। मैंने तय किया कि अपने बच्चों को मां और पिता दोनों का प्यार दूंगी, लेकिन दूसरी शादी नहीं करूंगी। वे बताती हैं कि कुछ लोगों ने मेरे मुश्किल वक्त में साथ दिया और आर्थिक मदद भी की। उनमें से एक थे अमरचंद जिन्होंने मेरी हर तरह से मदद की। पहले मैं किराए के घर में रहती थी। अमरचंद ने ही हमें केवडावाडी में रहने के लिए एक घर दिया। मैं उस समय घरों में बर्तन मांजने से लेकर खाना बनाने तक का काम किया करती थी। इसके अलावा एक कारखाने में भी साफ-सफाई का काम किया।
हर दिन 20 घंटे काम करती थीं
इसके बाद हमारे एरिया में 1980 में ‘टेस्टी पापड़’ नामक कंपनी की स्थापना हुई। मुझे उस कंपनी में मैनेजर के रूप में नौकरी मिली। मुझे अपने बच्चों को पढ़ाना था और परिवार भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था। इसलिए मैंने ‘टेस्टी पापड़’ में नाइट शिफ्ट मैनेजर के रूप में नौकरी स्वीकार कर ली। अपनी मां शारदाबेन के संघर्ष के दिनों की याद करते हुए बेटे राजेश बताते हैं कि मम्मी ने 1980 से 1995 तक पापड़ की फैक्ट्री में काम किया। वे करीब 20 घंटे काम किया करती थीं और 2-3 घंटे आराम। रात के 12 घंटे फैक्ट्री में नौकरी करने के अलावा दिन में घरों में काम किया करती थीं। 1995 तक मेरी बड़ी बहन भावनाबेन पढ़ी-लिखकर समझदार हो चुकी थी। इसलिए उसने ही खुद का बिजनेस करने का विचार किया।
कम बजट के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया
उस समय टेस्टी पापड़ भारत की नंबर एक कंपनी बन गई थी। मेरी बहन ने मां की नौकरी छुड़वा दी और हमने सिर्फ 100 रुपए के निवेश के साथ बिजनेस शुरू किया। उस समय मां ने अदरक के पापड़ और मसाले, मेथी, लहसुन और धनिया सहित 4 फ्लेवर के खाखरा बनाने शुरू किए। भावनबेन और राजेशभाई साइकिल पर खाखरा और पापड़ लादकर बेचने जाते थे। धीरे-धीरे कारोबार का दायरा बढ़ता गया। भावनाबेन की शादी के बाद राजेश ने बिजनेस संभाला।
1995 से 2005 तक घर पर ही प्रोडक्ट बनाए
राजेश कहते हैं कि मेरे जीवन में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मेरी मां और मेरी बड़ी बहन ने इस व्यवसाय को जमाया। मेरी बहन की शादी के बाद, मेरी पत्नी शिल्पा ने मेरी मां की मदद करना शुरू किया। 1995 से 2005 तक हम घर पर खाखरा-पापड़ बनाते थे। 2005 में हमने श्री खोडियार गृह उद्योग के नाम से केवडावाडी में अपनी पहली दुकान शुरू की और इसके बाद शापार में खाखरा-पापड़ का कारखाना शुरू किया। तब से लेकर आज तक हम 15 तरह के खाखरा और 4 तरह के स्वाद वाले पापड़ बनाते आ रहे हैं।
इसमें खाखरा के पापड़-खाखरा में मसाला, मेथी, लहसुन, धनिया, बिस्कुट, पानीपुरी, पौंबजी, चना-मसाला, चाट मसाला, ढोसा, पिज्जा, कैडबरी, मैसूर, पेरीपरि, मिंट, बाजरा और आहार शामिल हैं। इसमें एडेड, पंजाबी, चावल और मग सहित 4 स्वाद वाले पापड़ भी शामिल हैं।
तीसरी पीढ़ी ने कारोबार संभाला
वर्तमान में तीसरी पीढ़ी यानी शारदाबेन के पोते राहुल और दीप कारोबार संभाल रहे हैं और उन्होंने खाखरा-पापड़ व्यवसाय को एक दुकान से डिपार्टमेंटल स्टोर में बदल दिया है। उन्होंने यह स्टोर लॉकडाउन के बाद शुरू किया था। इस बारे में राहुल बताते हैं कि वर्तमान में हमारे पास 35 लोगों का एक स्टाफ है। वर्तमान में हम खाखरा, पापड़ सहित डिपार्टमेंटल स्टोर्स में 65 आइटम बेच रहे हैं।
कई शहरों में सप्लाई हो रहा खाखरा-पापड़
वर्तमान में, शारदाबेन के खाखरा-पापड़ देश के प्रमुख शहर जैसे मुंबई, कोलकाता, नागपुर, पंजाब, जूनागढ़, पोरबंदर, मोरबी, राजकोट और भुज में भी सप्लाई हो रहे हैं। अपने अगले लक्ष्य के बारे में राजेश बताते हैं कि हमारी प्लानिंग पूरे देश भर में खाखरा-पापड़ सप्लाई करने की है।
शारदाबेन महिलाओं का मार्गदर्शन करती हैं
शारदाबेन कई महिलाओं की प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। वे उन महिलाओं का भी मार्गदर्शन करती हैं जो जीवन से निराश हैं या फिर वे कुछ करना चाहती हैं। वे कहती हैं- आपको समस्या से डरना नहीं चाहिए, बल्कि दृढ़ संकल्प के साथ उसका सामना करना चाहिए। मेहनत व लगन आपको एक दिन सफलता के मुकाम तक जरूर पहुंचाती है। साभार-दैनिक भास्कर
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