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आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं के बात करें तो पिछले साल की तुलना में अभी तक के समय में इस साल 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं बात कश्मीरी युवाओं के आतंकवाद से जुड़ने की करें, तो इस साल 20 युवा आतंकवादी समूहों में शामिल हुए हैं। जबकि पिछले साल इतने समय में यह आंकड़ा 167 का था।
हाइलाइट्स:
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में काफी गिरावट
- पिछले साल के 167 की तुलना में 20 युवा आतंकी समूह से जुड़े
- आतंक से जुड़ी घटनाएं भी पिछले साल के 58 की तुलना में 43
जम्मू-कश्मीर के लिए साल 2021 राहत भरा साबित हुआ है।आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं के बात करें तो पिछले साल की तुलना में अभी तक के समय में इस साल 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं बात कश्मीरी युवाओं के आतंकवाद से जुड़ने की करें, तो इस साल 20 युवा आतंकवादी समूहों में शामिल हुए हैं। जबकि पिछले साल इतने समय में यह आंकड़ा 167 का था।
केंद्रीय सुरक्षा बल सूत्रों के अनुसार जम्मू और कश्मीर में इस साल अभी तक आतंकवाद से जुड़ी 43 घटनाएं सामने आई हैं। पिछले साल इतने समय में यह आंकड़ा 58 था। आतंकवाद से जुड़ी हमले की घटनाओं में इस साल एक नागरिक की मौत हुई है, जबकि पिछले साल 6 नागरिक मारे गए थे। जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी पुष्टि करते हुए बताया कि 2018 की तुलना में कश्मीरियों के आतंकवाद से जुड़ने की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है।
25 फरवरी को युद्ध विराम की घोषणा हुई है, जो अभी तक जारी है। सीमा पार से घुसपैठ की घटनाओं मे भी कमी आई है। बर्फ पिघलने के साथ ही घुसपैठ की घटनाएं बढ़ती हैं। पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की कोशिश के लिए कवर फायर लगातार जारी है। इस साल 9 स्थानीय युवा लापता हो गए थे, जिनके आतंकवादी समूहों से जुड़ने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन वे अपने घर लौट आए।
बड़ी संख्या में हुए सरेंडर
इस साल जम्मू कश्मीर के युवा आतंकवादी समूहों से जुड़े, जिनमें से आठ यह तो मुख्य में मारे गए या फिर गिरफ्तार हो गए। पिछले एक साल के दौरान सुरक्षा बलों ने कम से कम 15 आतंकवादियों को सरेंडर कराने में सफलता हासिल की। मुठभेड़ की जगह पर हर एक आतंकवादी के परिवार के सदस्यों से आत्मसमर्पण की अपील करवाई गई।
मुख्यधारा में लाने की पहल
सुरक्षाबलों की तरफ से लगातार यह प्रयास जारी है। यह आतंकी समूहों से जुड़ चुके युवाओं को उनके परिवार की तरफ से अपील के जरिए मुख्यधारा में शामिल किया जाए। इस बात की भी कोशिश रहती है कि वापस लौटने वालों की पहचान उजागर ना की जाए। वापस लौटे युवाओं के काउंसलिंग सेशन के साथ ही उन्हें स्किल डिवेलपमेंट की संभावनाओं, नौकरी या बिजनस स्टार्टअप के लिए लोन की सुविधाएं भी ऑफर की जा रही हैं।साभार नवभारत टाइम्स
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