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स्वेज नहर में विशाल कंटेनर शिप एवरग्रीन के गलत तरह से फंसने की वजह से दोनों तरफ का मार्ग बाधित हो गया था। इसकी वजह से समुद्र के रास्ते होने वाली हर तरह की सप्लाई बाधित हुई थी। इसको दोबारा शुरू करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी है।
वेज नहर लाल सागर और भूमध्य सागर के बीच मौजूद एक सबसे छोटा जलमार्ग है। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ये मार्ग 7000 किमी की दूरी को महज 300 किमी में बदल देता है। इससे समुद्र के रास्ते माल ढुलाई करने वाले जहाजों का समय बचता है और साथ में खर्च भी कम आता है। इस मार्ग की बदौलत जहाजों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर काटकर भूमध्य सागर में जाने से छुटकारा मिल जाता है। ये पनामा नहर की ही तरह से काम करता है। स्वेज नहर करीब 194 किमी लंबी है।
नहर की अहमियत
इस नहर की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2020 में इस नहर से 18500 जहाज (औसतन 52 जहाज हर रोज) गुजरे थे। यदि किसी जहाज को भूमध्य सागर में जाने के लिए अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़े तो उसको 7 हजार किमी का सफर करना होगा। इसके साथ ही ये सफर कई दिनों का होगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पिछले सात दिनों से ये मार्ग बंद था। इसकी वजह थी इस नहर में फंसा एवरग्रीन कंटेनर शिप , जो 23 मार्च को इसमें तिरछा होकर फंस गया था।
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करोड़ों खर्च कर बढ़ाई गई नहर चौड़ाई
आगे बढ़ने से पहले पहले आपको बता दें कि इस नहर को 17 नवंबर 1869 को इस नहर को आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था। अगस्त 2014 में मिस्र की सरकार ने इसको और अधिक चौड़ा किया था जिसके बाद यहां से तेजी से जहाजों का निकलना सुनिश्चित हो सका था जिसे बाद में अगस्त 2015 में खोला गया था। इस पर करीब 60 बिलियन मिस्र पाउंड का खर्च आया था। हालांकि इसको आधिकरिक तौर पर 24 फरवरी 2016 को खोला गया था।
20 हजार टन रेत को निकाला गया
फिलहाल स्वेज नहर में फंसा एवरग्रीन कंटेनर शिप एवरग्रीन को सीधा कर टग बोट से खींचने में सफलता हासिल हो गई है। अब ये ग्रेट बिटर लेक की तरफ चल पड़ा है। खुदाई की विशाल मशीनों की मदद से शिप के नीचे और आसपास की जगह से करीब 20 हजार टन रेत को निकाला गया। इसके बाद करीब 14 टग बोट की मदद से इस विशाल कंटेनर शिंप को सीधा किया गया और फिर खींचा गया। ये शिप करीब एक सप्ताह से नहर में फंसा हुआ था। इस अहम समुद्री मार्ग का रास्ता खुलने से कंपनियों ने राहत की सांस ली है। इस शिप के इस तरह से नहर में फंस जाने की वजह से 900 करोड़ डॉलर के सामान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में देरी का सामना करना पड़ा है।
तकनीकी खराबी थी वजह!
आपको बता दें कि ये जापान की कंपनी Shoei Kisen KK नाम से पनामा में रजिस्टर्ड है और इसको एवरग्रीन मरीन कंपनी ऑपरेट करती है। इस कंपनी के मालिक युकीतो हिगाकी के मुताबिक शिप के इस तरह से फंसने से इसके प्रोपेलर और रडलर में कोई दिक्कत नहीं आई है। 400 मीटर लंबा ये शिप मलेशिया से नीदरलैंड जा रहा था। ये कंटेनर शिप आकार में न्यूयॉक की एंपायर स्टेट बिल्डिंग की बराबर था। बर्नहार्ड शॉल्ट शिपमैनेजमेंट ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस शिप की वजह से नहर में किसी तरह का कोई प्रदुषण नहीं हुआ और न ही शिप को कोई नुकसान पहुंचा है। बयान में शिप के इस तरह से फंसने की वजह का तो खुलासा नहीं किया गया हालांकि इसके लिए मैकेनिकल और इंजन में आई गड़बड़ी की समस्या से भी इनकार नहीं किया गया है।
300 किमी लंबा जाम
गौरतलब है कि 23 मार्च को इस कंटेनर शिप के फंसने की वजह से समुद्र में 300 किमी लंबा जाम लग गया और करीब 300 जहाज जिन पर विभिन्न तरह का सामान लदा था अपनी जगह पर रुक गए थे। इसकी वजह से करोड़ों का नुकसान कंपनियों को झेलना पड़ा है। स्वेज कैनाल ऑथरिटी के प्रमुख एडमिरल ओसामा रेबी के मुताबिक इस जहाज के नहर में इस तरह से फंसने की वजह पहले तेज हवा को बताया था लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इसकी वजह खराब मौसम नहीं था बल्कि इसके पीछे कोई मानवीय या तकनीकी भूल थी, जिसकी वजह से ये शिप इस तरह से नहर में फंस गया और सारा ट्रेफिक रुक गया।
दुनियाभर के बाजारों पर असर
आपको बता दें कि इस जहाज के नहर में फंसने का असर पूरी दुनिया के बाजारों पर भी देखा गया है। खासतौर पर कच्चे तेल की आवाजाही पर पड़ा है। करीब एक सप्ताह से क्रुड ऑयल को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ले जाने वाले जहाज इसकी वजह से जहां के तहां रुक गए। कुछ कंपनियों ने इसकी वजह से अपना मार्ग बदल लिया और अफ्रीका महाद्वीप का पूरा चक्कर लगाकर भूमध्य सागर तक जाने का फैसला लिया। हालांकि इसकी वजह से कंपनियों का माल ढुलाई का खर्च बढ़ गया और साथ ही अपने गंतव्य तक पहुंचने का समय भी बढ़ गया है। साभार दैनिक जागरण
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