पढ़िए दी लॉजिकली की ये खबर…
यह हम सब जानते हैं कि एक पौधे को पेड़ बनाने के लिए सालों तक उसमें पानी डालना होता है, परंतु क्या आप यह जानते हैं कि एक लीटर पानी में किसी पौधे की कितने दिनों तक सिंचाई की जा सकता है? आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा हो सकता है?
यह सच है कि केवल 1 लीटर पानी में पेड़ उगाया जा सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि 1 लीटर पानी में पेड़ उगाया जा सकता है? इस बात को सचकर दिखाया है पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित एक किसान ने।
केवल 1 लीटर पानी में उगाया पेड़
वह किसान राजस्थान (Rajasthan) के अर्द्धमरुस्थलीय इलाके के सीकर ज़िला के दांतारामगढ़ गांव के रहने वाले हैं। उनका नाम सुंडाराम वर्मा (Sundaram Verma) है। कुछ सालों पहले उन्होंने एक खास तरह का तकनीक विकसित किया है, जिसमें किसी पेड़ को उगाने के लिए केवल एक लीटर पानी देना होगा। मात्र एक लीटर पानी उस पेड़ के पूरे जीवन के लिए पर्याप्त होगा। इस तकनीक के जरिए आपकी समय, मेहनत तथा पानी की बचत होगी।
सुंडाराम पद्मश्री अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
इस कार्य के लिए सुंडाराम कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। किसान सुंडाराम वर्मा (Sundaram Verma) को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। रिपोर्ट के अनुसार सुंडाराम बताते हैं कि इस इलाके में सालाना 25 सेमी बारिश होती है। बारिश का पूरा पानी जमीन सोख लेता है। साथ ही धूप, भूमिगत रिसाव और अन्य कारणों से भी बारिश के पानी को नुकसान पहुंचता है। इसी कारण पानी बचाना बेहद मुश्किल होता है।
सुंडाराम बताते हैं इसकी विधि
सुंडाराम इसकी विधि बताते हुए कहते हैं कि यदि हम पौधे को ज़मीन की ऊपरी सतह से 30 सेमी या उससे गहरा लगाएं, तो केवल खरपतवार और केशिका नली से ही भूमिगत जल आसानी से बाहर आ सकता है। इन दोनों कारणों के अलावा जमीन का पानी सुरक्षित रह जाता है और पौधे को उगने और बढ़ने के बाद पानी बच भी जाता है। पहले ही पौधे लगाने की जगह निश्चित कर लें और पहली बारिश के एक हफ्ते के अंदर 20-25 सेमी तक इस तरह जुताई कर लें ताकि सभी खरपतवार नष्ट हो जाएं। इसे ज़मीन के ऊपरी सतह की कैपिलरीज टूट जाती है, जिससे ज़मीन मानसून में बारिश का पानी अच्छे से सोख लेता है।
सुंडाराम ने उगाए एक लीटर पानी में पौधे
जब मानसून समाप्त होने वाली रहती है, तो एक बार फिर ऐसी ही गहरी जुताई करनी पड़ती है। ऐसा करने से इसमें 20-25 सेमी गहराई तक जमीन की ऊपरी परत कैपिलरीज टूट जाती है, परंतु 20-25 सेमी के नीचे की कैपिलरीज बच जाती है। इस कारण जल बाहर नहीं आ पाता है। सुंडाराम वर्मा (Sundaram Verma) कहते हैं कि दूसरी जुताई के बाद पौधे लगाने वाली जगह को चिह्नित कर लें और पौधे को बीच में रखकर उसे पानी से भिंगा दें। उसके बाद 15″15″45″ सेमी का गहरा गड्ढा खोदकर उसमें पौधा लगा दें। पौधा लगाने के बाद 1 लीटर पानी में 1 एमएल कीटनाशक मिलाकर पौधे की सिंचाई करें। अगले 7-8 दिन बाद खुरपी से हल्की गुड़ाई कर दें और वैसे ही छोड़ दें।
सुंडाराम वर्मा लोगों को सिखा रहे तकनीक
सुंडाराम वर्मा (Sundaram Verma) आगे कहते हैं कि पहले वर्ष में 3 बार 15 सेमी गहरी निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। उसके दूसरे साल में 2 बार गहरी निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है। उसके बाद यहां दूसरे अन्य फसल भी लगाए जा सकते हैं। सुंडाराम बताते हैं कि राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों में पानी की बहुत किल्लत है। हालत इतनी बुरी है कि आदमी तक के पीने के लिए भी पानी नहीं है।
यह विधि केवल इन्हीं इलाकों में नहीं, बल्कि कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए भी वरदान साबित होती है क्योंकि पेड़ बढ़ने से बारिश भी ज़्यादा होगी। अब तक सुंडाराम कई किसानों को यह तकनीक सिखा चुके हैं। उनसे कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप उन्हें मेल आईडी [email protected] पर मेल कर पूछ सकते हैं।साभार-दी लॉजिकली
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