पढ़िए दैनिक जागरण की ये खबर…
हिसार कैंट के कर्मचारी राज पटेल ने बताया कि हिसार कैंट के लिए करीब छह माह पहले ई-सोलर कार्ट खरीदी थी। कैंट एरिया में आने जाने के लिए सेना के जवानों व उनके परिवारों द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है।
गाजियाबाद। कुछ करने की ललक हो तो उम्मीद की रोशनी मिल ही जाती है। मोदीनगर के मजदूर अमीरुद्दीन के पुत्र अजहरुद्दीन ने अकेले दम ही पर्यावरण को बचाने के लिए जंग छेड़ दी और कबाड़ से कमाल करते हुए ई-सोलर कार्ट बना डाली। खास बात यह है कि सोलर पावर से चलने वाली इस कार्ट को जरूरत के समय बिजली से चार्ज करके भी चलाया जा सकता है। अजहरुद्दीन के इस अनूठे प्रयास का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है कि भारत में अभी आटो सेक्टर की बड़ी कंपनियों ने भी सोलर वाहनों पर अधिक काम नहीं किया है।
प्रदूषण रोकने के लिए किया प्रयास: बीटेक द्वितीय वर्ष के छात्र अजहरुद्दीन बचपन से ही कुछ न कुछ नवोन्मेष करते रहे हैं। उम्र के साथ समझ बढ़ी तो पर्यावरण की चिंता ने घेरा। प्रदूषण फैलाने वाले आटो के विकल्प के रूप में अजहरुद्दीन ने सौर ऊर्जा से चलने वाली आठ सीटों वाली कार्ट (गाड़ी) तैयार की। यह सोलर कार्ट लोगों को खासी पसंद आई। दुबई से भी इसके आर्डर मिले। हैदराबाद की एक सोसायटी में छह ई-सोलर कार्ट मंगाई गई हैं। आगरा के ताजमहल में भी छह माह इनका प्रयोग किया गया।
कबाड़ की दुकानों से लिया सामान: अजहरुद्दीन ने बताया कि इसे बनाने के लिए सभी संसाधन देशी हैं। अधिकांश स्क्रैप वैन व अन्य वाहनों का लगा है। कबाड़ की दुकानों में सामान तलाश किया गया और फिर सोलर ई-कार्ट को अंतिम रूप दिया गया। मीटर, बैटरी और सोलर पैनल आदि नए ही इस्तेमाल किए गए हैं। अजहरुद्दीन ने बताया कि सूरज की रोशनी पर्याप्त न होने की स्थिति में कार्ट को चलाने की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए 12-12 वोल्ट की 140 एंपियर लेड एसिड की पांच बैटरी इसमें उपयोग की गई हैं। सामान्यत: सोलर चाìजग के जरिये यह ई-कार्ट 10-15 किमी चलती है। धूप हो तो निर्बाधित पूरे दिन इसका उपयोग किया जा सकता है। यदि धूप नहीं है तो कार्ट को बिजली से चार्ज कर प्रयोग करना होगा। बिजली से दो-तीन घंटे की चाìजग पर इस कार्ट को 40 किमी तक चलाया जा सकता है।
कुछ करते रहने की ललक: सुभारती इंस्टीट्यूट के छात्र व मजदूर पिता के बेटे अजहरुद्दीन में नया करने की ललक ही थी कि इन्होंने पांचवीं कक्षा में इंजेक्शन और आइवी सेट (सलाइन लगाने वाला इंजेक्शन व पाइप) से क्रेन का मॉडल बना दिया था। 2007 में 11वीं के प्रोजेक्ट में एक सीटर हेलीकाप्टर बनाया, जिसे गाजियाबाद में लगी प्रदर्शनी में सराहा गया। वह ई-सोलर साइकिल व रिक्शा भी बना चुके हैं, पर आर्थिक कारणों से किसी नवोन्मेष को आगे दिशा नहीं मिल सकी। पर्यावरण की चिंता में बीटेक के छात्र ने किया नवोन्मेष, बना दी ऐसी कार्ट जो बिजली और सोलर पावर दोनों से चल सकती है।
देश-विदेश से मिलने लगे आर्डर: अजहरुद्दीन बताते हैं कि करीब छह माह के समय और डेढ़ लाख रुपये के खर्च में यह बनकर तैयार हुई। हमने एक वेबसाइट पर इसे प्रदर्शित किया जिसके बाद दुबई से भी इसके आर्डर मिले। अजहरुद्दीन के मुताबिक, हरियाणा के हिसार कैंट व इंजीनियरिंग कालेज में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। अब आगे इसके अधिक उत्पादन के लिए विकल्प तलाशने होंगे।
सीजी फोटोवोल्टेक प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ विनोद शर्मा ने बताया कि ई-सोलर कार्ट समय की मांग है, ईको फ्रेंडली भी हैं। सोलर वाले वाहन चलते समय 50 फीसद तक चार्ज होते रहते हैं ऐसे में इन्हें बहुत अधिक बिजली से चार्ज करने की भी जरूरत नहीं पड़ती। इससे बिजली बचाने की दिशा में सफल परिणाम दिखेंगे।
सुभारती इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड इंजीनियरिंग के डायरेक्टर डा. मनोज कपिल ने बताया कि उम्मीद है कि यह देश में सस्ता और प्रदूषण रहित विकल्प साबित होगा। इसको बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।साभार-दैनिक जागरण
आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
हमारा गाजियाबाद के व्हाट्सअप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Discussion about this post