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लखनऊ के लोहिया संस्थान ने किडनी फेल्योर की स्थिति में पहुंच चुके कई मरीजों की जिंदगी को किया सामान्य। जिन आयुर्वेदिक दवाओं से इन मरीजों को राहत पहुंची है। अब उस पर आगे शोध करने की मांग भी आयुर्वेद विभाग की ओर से की जा रही है।
लखनऊ। देश की पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा ने कई असाध्य रोगों व संकट के समय पूरी दुनिया को संजीवनी दी है। कोरोना महामारी में भी आयुर्वेद ने विश्व भर के लोगों को सहारा दिया। इसी आयुर्वेद चिकित्सा ने अब किडनी रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है। गत छह माह में लोहिया संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग ने 25 मरीजों को डायलिसिस के झंझट से भी छुटकारा दिला दिया है। किडनी फेल्योर की स्थिति में पहुंच चुके कई मरीज अब सामान्य जीवन जी रहे हैं। जिन आयुर्वेदिक दवाओं से इन मरीजों को राहत पहुंची है। अब उस पर आगे शोध करने की मांग भी आयुर्वेद विभाग की ओर से की जा रही है।
लोहिया संस्थान के आायुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डा. एसके पांडेय ने बताया कि हमारे पास 40 वर्षीय एक महिला आई जिसका क्रिएटनिन 12 के स्तर को पार कर चुका था। उसके दोनों गुर्दे सिर्फ 10 फीसद तक काम कर रहे थे। वह लगभग किडनी फेल्योर की स्थिति में पहुंचने वाली थी। लखनऊ के विनीतखंड निवासी महिला बलरामपुर अस्पताल में तीन बार डायलिसिस भी करा चुकी थी। मगर उसे राहत नहीं मिल पा रही थी। लोहिया संस्थान में तीन माह दवा चलने के बाद उसका क्रिएटनिन तीन पर आ गया। अब वह सामान्य जीवन जी रही है। इसी तरह विराज खंड के तखवा निवासी सुरेंद्र ङ्क्षसह का क्रिएटनिन 10.3 से 4.40 दो माह में आ गया। बाराबंकी के सुरेंद्र पाल का क्रिएटनिन 6.83 से 2.78 पर आ गया।
15 दिन में मिलने लगती है राहत: डा. एसके पांडेय ने बताया कि मात्र 15 दिन में ही मरीज के शरीर में सूजन, अकडऩ, जलन व दर्द, उल्टी व चक्कर से आराम मिल जाता है। लोहिया की फार्मेसी में पुनर्नवा, भुई आंवला, मकोय और गोखुरू के साथ कुछ अन्य •ाड़ी-बूटियां मिलाकर यह दवा तैयार की जाती है। जो गुर्दे में नेफ्रान को एक्टिव करके गुर्दे की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। नेफ्रान का काम विषाक्त तत्वों को छानकर शरीर के बाहर निकालना है।
‘मरीजों को मुफ्त में दी जाने वाली इन दवाओं के इस्तेमाल से सिरम क्रिएटनिन और यूरिया सामान्य होने लगता है। सूजन, उल्टी, चक्कर, जोड़ों में दर्द की समस्या से राहत मिल जाती है। अब इन दवाओं पर आगे शोध की जरूरत है।’ – डा. एसके पांडेय,. लोहिया संस्थान
‘किडनी रोगों समेत अन्य असाध्य रोगों में आयुर्वेद निश्चित रूप से कारगर है। हमने खुद कई किडनी रोगियों की जिंदगी साामान्य की है।’ -डा. शिव शंकर त्रिपाठी, पूर्व आयुर्वेद चिकित्साधिकारी, राजभवन। साभार-दैनिक जागरण
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