भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग प्रयागराज (महालेखाकर प्रथम) ने लखनऊ नगर निगम और निजी कंपनी के बीच शहर में एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए हुए 229.97 करोड़ रुपये के अनुबंध में बड़े पैमाने पर अनियमितता पकड़ी है।
लखनऊ। शहर में एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का काम देखने वाली निजी कंपनी ईईसीएल और नगर निगम के अफसरों की कार्यप्रणाली जांच के घेरे में है। भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग प्रयागराज (महालेखाकर प्रथम) ने नगर निगम और निजी कंपनी के बीच शहर में एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए हुए 229.97 करोड़ रुपये के अनुबंध में बड़े पैमाने पर अनियमितता पकड़ी है। अब भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग प्रयागराज ने नगर निगम से इस मामले में कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है।
नगर निगम ने शहर में स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए ईईएसएल के साथ 26 अक्टूबर 2017 को अनुबंध किया था। इसमें एलईडी स्ट्रीट लगाए जाने से पूर्व 26762 केवी और एलईडी स्ट्रीट लगाने के बाद 10449.76 केवी (किलोवाट) बिजली खपत रह जाने का अनुबंध किया गया था। इसमें बिजली बिल अप्रैल 2017 से दिसंबर 2017 के दौरान 18843.60 से 20547.79 केवी दिखाया गया था। यह अनुबंधित केवी के सापेक्ष करीब 25 प्रतिशत कम था, जबकि अभिलेखों में 25 प्रतिशत केवी अधिक बिल दिखाया गया था। ऑडिट में पाया गया कि अप्रैल 2017 से सितंबर 2017 तक (कुल छह माह) का बिजली बिल 50.03 करोड़ था। इस आधार पर वार्षिक बिजली बिल 100.06 करोड़ होता, लेकिन अनुबंध 149.50 करोड़ के आधार पर किया गया था।
अनुबंध के अनुसार प्रथम वर्ष में बिजली बिल में 97.28 करोड़ की बचत होनी चाहिए थी, जिसका 33.90 प्रतिशत (32.98 करोड़) ईईएसएल को भुगतान करना था। जांच में पाया गया कि जून 2017 से अक्टूबर 2017 के बीच परंपरागत लाइटों (पुरानी रोड लाइट) का मासिक बिल औसतन 829.75 लाख था, जबकि एलईडी लगाने के बाद जून 2018 से मार्च 2019 तक का मासिक औसत बिल 574.13 लाख था। इस आधार पर प्रतिमाह 256.61 लाख के हिसाब से वार्षिक बचत 2566.10 लाख होती है, जबकि अनुबंध में दर्शाई गई बचत 97.28 करोड़ और वास्तविक बचत 25.66 करोड़ में भिन्नता पाई गई है।
ईईसीएल ने जून 2018 से मार्च 2019 तक कुल दस माह का बिल 2170.41 लाख दिया था। इसकी 70 प्रतिशत राशि यानी 1519.59 लाख भुगतान करने की संस्तुति नगर निगम की तरफ से की गई थी और स्थानीय निकाय निदेशालय को भुगतान के लिए भेजा गया था। अनुबंध के प्रविधानों के अनुसार बिजली बिल में आई कमी के आधार पर भुगतान की संस्तुति की जानी थी। बचत के 2566.10 लाख के 33.90 प्रतिशत 809.61 लाख ही ईईसीएसएल का अंशदान होता है, जिसका 70 प्रतिशत 608.94 लाख की संस्तुति किए जाने के स्थान पर ईईएसएल द्वारा दिए गए बिल में 70 प्रतिशत राशि की संस्तुति क्यों की गई थी?
48,090 लाइट हो गई थीं खराब
पूर्व में लगी परंपरागत स्ट्रीट लाइटों को निकालने में ईईएसएल ने बड़े पैमाने पर असावधानी बरती थी। इस दौरान 48090 स्ट्रीट लाइटें खराब हो गई थीं। इससे नगर निगम को 2.95 करोड़ का नुकसान भी हुआ था। ऑडिट रिपोर्ट में पूछा गया है कि नगर निगम ने इतनी राशि का आकलन खराब हुई स्ट्रीट लाइटों का किया था, लेकिन इसकी वसूली कंपनी से किन कारणों से नहीं की गई थी? मेसर्स एनडीसीस से स्ट्रीट लाइट का सर्वे कराने पर 23.42 लाख का खर्च हुआ था। इसे लेकर 17 जनवरी 2018 को निर्णय लिया गया था, लेकिन इसकी कटौती ईईएसएल से नहीं की गई।
चार हजार के बजाय एक हजार ही मीटर लग सके अब तक
करार के अनुसार बिजली बचाने के लिए एनर्जी युक्त मीटर सीसीएमएस लगाए जाने थे और यह चार हजार लगने थे, लेकिन अभी तक ऐसे एक हजार मीटर भी नहीं लग पाए। जो लगे हैं, वह मैनुअल हैं। इस कारण नगर निगम को ही उनका रखरखाव करना पड़ता है।
नगर निगम
‘अभी हमारे पास भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग प्रयागराज (महालेखाकर प्रथम) की रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने पर उसका जवाब भेजा जाएगा।
-रामनगीना त्रिपाठी, मुख्य अभियंता,
स्ट्रीट लाइट बंद, सड़कों पर अंधेरा
भुगतान न होने से ईईसीएल ने एलईडी स्ट्रीट लाइटों से दूरी बना ली है। नई लाइटें नहीं लग रही हैं और शहर में हर तरफ से दर्ज हो रही शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सात मार्च को महिला पार्षदों के लिए बुलाए गए नगर निगम सदन में भी स्ट्रीट लाइटों के ठीक न होने का मुद्दा उठा था, तब नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने सफाई दी थी कि भुगतान कराने के लिए शासन से पत्राचार चल रहा है। हकीकत यह है कि शहर की अधिकांश स्ट्रीट लाइट खराब हो गई हैं। नगर निगम में दर्ज शिकायतों का निराकरण नहीं हो रहा है। कंपनी का कहना है कि नगर निगम के ऊपर उसके 80 करोड़ रुपये बकाया हैं और कर्मचारी वेतन न मिलने से हड़ताल पर हैं। कंपनी ने 2.35 लाख से अधिक एलईडी लाइट लगाने का दावा किया है।साभार-दैनिक जागरण
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