मेरे परिवार ने कहा कि मुझे ऐसी पेशकश को इनकार नहीं करना चाहिए. जो लड़का मुझसे शादी करने वाला था वह काफ़ी संपन्न परिवार से था.”
14 साल की अबेबा ने यह बताया.
कुछ ही महीने पहले अबेबा पर अपनी मां और भाई बहनों का काफ़ी दबाव था कि वह इस प्रस्ताव को ठुकराएं नहीं और शादी करके कोरोना संक्रमण के दौर में संकट का सामना कर रहे परिवार की आर्थिक मदद करें.
अबेबा पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहती थीं लेकिन इथोपिया के साउथ गोंडार के अपने गृह नगर में उनका भविष्य और पढ़ाई दोनों अनिश्चित था.
16 साल की राबी नाइजीरिया के गुसाउ में अभी सेकेंडरी स्कूल में ही पढ़ रही हैं. स्कूल में उनकी चार क़रीबी दोस्तों की शादी कोरोना संक्रमण के दौरान हो चुकी है और उनकी मां को लगता है कि राबी को भी जल्दी शादी कर लेनी चाहिए.
राबी ने बताया, “इसी सप्ताह में मेरे पड़ोस की दो लड़कियां शादी कर रही हैं. इंशा अल्लाह. मैं कभी नहीं जानती थी कि मेरी बारी इतनी जल्दी आ जाएगी.”
कम उम्र में शादी की संभावना अब आम चलन के तौर पर देखने को मिल रहा है.
यूनिसेफ़ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़, कोविड के चलते अगले एक दशक में एक करोड़ लड़कियों को कम उम्र में या कहें बाल विवाह करना पड़ सकता है. यूनिसेफ़ के मुताबिक़, कोरोना संक्रमण के आने से पहले यह अनुमान लगाया गया था कि अगले दस साल में करीब 10 करोड़ शादियां कम उम्र वाले लड़के-लड़कियों की हो सकती हैं.
कोरोना संक्रमण आने के बाद ऐसी शादियों की संख्या में 10 प्रतिशत यानी एक करोड़ की बढ़ोत्तरी होने की आशंका है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया भर में स्कूलों के बंद होने से, आर्थिक सुस्ती और परिवार एवं बच्चों की सहायता सेवाओं में कमी के चलते 2030 तक क़ानूनी रूप से बालिग़ होने से पहले एक करोड़ लड़कियों की शादी हो जाएगी.
यूनिसेफ़ में हानिकारक चलनों की रोकथाम विभाग की सीनियर एडवाइजर नानकली मक़सूद कहती हैं, “ये आंकड़े बताते हैं कि आने वाले दिनों में दुनिया लड़कियों की लिए और भी मुश्किल जगह बन जाएगी.”
पारिवारिक मामला
अबेबा ने बताया, “परिवार वालों को अपने बच्चों की शादी करने के बदले उन्हें पढ़ने के लिए स्कूल भेजना चाहिए.”
हालांकि अबेबा पर शादी करने का ख़तरा टल गया है क्योंकि उन्होंने अपने पिता को इस बात के लिए सहमत कर लिया.
वह बताती हैं, “मेरी मां और मेरे भाई, मेरी शादी के लिए दबाव बना रहे थे. लेकिन जब उनकी काउंसलिंग हुई तब जाकर उन्होंने अपनी ज़िद छोड़ दी. अधिकारियों की काउंसलिंग के बाद उनकी सोच बदली.”
लेकिन राबी (पहचान ज़ाहिर ना हो, इसके लिए बदला हुआ नाम) पर शादी का ख़तरा अभी भी मंडरा रहा है. वह उत्तरी नाइजीरिया में हौसा फूलानी के खेतिहर इलाके डाम्बा में रहती है, इस इलाक़े में उपयुक्त लड़का मिलते ही लड़कियों की शादी करने का चलन है.
16 साल की राबी ने बताया, “मेरे लिए यह सब लॉकडाउन के दौरान शुरू हुआ. मेरे छोटे भाई स्पेलिंग बताने वाला एक गेम खेल रहे थे, मैं उनके साथ खेलना चाहती थी. हालांकि मैं उनसे पिछड़ रही थी. इस बात से मेरी मां नाराज़ हो गयीं. उन्होंने कहा कि तुम स्कूल में अपना समय बर्बाद कर रही हो, देखो तुम्हारे छोटे भाई तुम्हें सीखा रहे हैं.”
राबी के मुताबिक़, उनकी मां यहीं तक नहीं रूकीं.
राबी ने बताया, “मेरी मां ने कहा कि अब तक तुम्हारे साथ स्कूल में पढ़ने वाली सभी लड़कियों की शादी हो चुकी है. मैंने सैफीयू (विवाह का प्रस्ताव देनेवाले) को कह दिया है कि वह तुम्हारा हाथ मांगने के लिए अपने माता-पिता को भेजे.”
राबी की दोस्त हबीबा, मंसूरा, अस्माऊ और रालिया की पिछले एक साल में शादी हो चुकी है. इन लड़कियों ने परिवार वालों के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए ये क़दम उठाया था.
राबी के पड़ोस में रहने वाली उनकी मां की एक सहेली, राबी के विरोध को समझ नहीं पा रही हैं.
उन्होंने बताया, “माता पिता किस बात का इंतज़ार करें. मैं अपनी बेटी की पढ़ाई का ख़र्च नहीं उठा सकती. शादी के ज़रिए लड़कियों का अपना घर बस जाता है और हमारे अपने घर में लोगों की संख्या कम होती है.”
कम उम्र में शादी का बढ़ता चलन
2011 तक, नाबालिग़ उम्र में शादी के मामले में दुनिया भर में 15 प्रतिशत की कमी देखने को मिली थी, लेकिन यूनिसेफ़ के मुताबिक़ कोरोना संक्रमण के चलते इस दिशा में प्रगति थम सकती है.
मक़सूद ने बताया, “दुनिया भर में बाल विवाह को कम करने में हमें कामयाबी मिल रही थी. हालांकि अभी भी हम इसका पूरी तरह उन्मूलन करने से काफ़ी पीछे थे, लेकिन हम सही दिशा में चल रहे थे. लेकिन कोविड ने हमें पटरी से उतार दिया है. इस महामारी के चलते दुनिया भर में कम उम्र की लड़कियों का जीवन प्रभावित हुआ है.”
हालांकि इस रिपोर्ट में कुछ पॉजिटिव बातें भी सामने आयीं है जैसे कि ज़मीनी स्तर पर सक्रियता से ऐसे विवाहों को रोकना संभव है. वैसे तो दुनिया भर में बाल विवाह आम बात है कि लेकिन अगर सही प्रावधानों को लागू किया जाए तो इसकी संख्या काफ़ी कम हो सकती है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण ने इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को नुक़सान पहुँचाया है.
‘मुझे शादी के नौ प्रस्ताव मिले’
कुछ साल पहले सीरिया से जोर्डन आकर सीमा पर स्थित ज़ातारी रिफ्यूजी कैंप में रहने वाले मारम ने बताया, “14 साल की उम्र से अब तक मुझे शादी के नौ प्रस्ताव मिल चुके हैं. मेरी शादी के लिए समुदाय का काफ़ी दबाव था लेकिन माता-पिता ने मेरा साथ दिया. मेरी मां मेरी सबसे बड़ी समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि मेरी उम्र अभी शादी के लिए काफी कम है और मुझे शादी को समझने में भी काफी मुश्किल होगी.”
शादी की जगह मारम स्कूल जा रही है और फ़ुटबॉल खेल रही हैं.
उन्होंने बताया, “मैं उन लड़कियों को जानती हूं जिन्हें शादी के बाद स्कूल की पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उन्हें अपना घर परिवार छोड़कर पति के घर जाना पड़ा. इतने बड़े बदलाव के लिए वह तैयार नहीं थीं. मेरी दो दोस्तों की शादी हुई थी, उन्हें अब पछतावा हो रहा है. वे अपनी नई ज़िंदगी से सदमे में हैं और ऐसा लग रहा है कि उनके अधिकार छीन लिए गए हैं.”
क्या बाल विवाह को रोकना संभव है?
विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते सामाजिक दख़ल से बाल विवाह को रोकना संभव है.
मक़सूद बताती हैं, “भारत इसका बेहतरीन उदाहरण है. बीते 30 सालों से भारत में कई कैश ट्रांसफ़र स्कीम लागू हुई हैं. इसके परिणामस्वरूप, भारतीय परिवारों को बेटियों की शादी बालिग होने की उम्र तक नहीं करने पर आर्थिक लाभ मिलता है. अगर शादी को रोकना संभव ना हो तो उसमें देरी की जा सकती है, इसका भी फ़ायदा मिलता है.”
मक़सूद ने बताया, “यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि शादी में देरी करके हम उन्हें स्कूली शिक्षा पूरी करने का मौका देते हैं. उनके जीवन में अपनी क्षमता, दक्षता बेहतर करने का विकल्प देते हैं, इसके ज़रिए हमलोग ग़रीबी कम करने की संभावना ज़्यादा होती है.”
शादी के लिए इंतज़ार करने पर आर्थिक मदद…
सविता अपनी उम्र 16-17 साल बताती हैं, एकदम निश्चित नहीं हैं कि 16 है या 17. हालांकि पहचान पत्र पर उनकी उम्र 14 साल लिखी हुई है. जिसे सविता ग़लत बताती हैं.
सविता उत्तर प्रदेश में अपनी माता-पिता, चार बहनें और दो भाईयों के साथ रहती हैं. सविता कभी स्कूल नहीं गईं लिहाजा वह पढ़ना लिखना नहीं जानती हैं. लॉकडाउन के दौरान उनके परिवार को अतिरिक्त खाद्यान्न ज़रूर मिला लेकिन उन पर शादी का बहुत दबाव है.
सविता ने अपनी बहन की शादी कम उम्र में होते हुए देखा था लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थी. स्थानीय अधिकारियों की मदद से कुछ सप्ताह पहले ही उनकी शादी रूकी है, जिसके बाद वह राहत महसूस कर रही हैं. उन्हें कैश ट्रांसफर स्कीम से जोड़ा गया है जिसके मुताबिक़ अगर वह 18 साल तक शादी नहीं करती हैं, तो तब उन्हें वित्तीय योजना से मदद मिलेगी.
महामारी के बाद…
यूनिसेफ़ की नानकाली मक़सूद के मुताबिक़, कोविड संक्रमण के दौरान जो बाल विवाह की संख्या बढ़ी है, उस पर अंकुश के लिए तीन अहम बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
उन्होंने बताया, “सबसे पहले तो, लड़कियों को सुरक्षित ढंग से फिर से स्कूल भेजना होगा. उन्हें किसी ख़ास स्किल या क्राफ्ट में दक्षता हासिल करने का मौक़ा देना होगा. इसके अलावा हमें ग़रीब परिवारों पर कोरोना के आर्थिक असर को भी देखना होगा, हमें उनकी मदद करनी होगी. तभी जाकर वे लड़कियों की शादी करके या भेजकर आर्थिक संकट का सामाधान नहीं तलाशेंगे.”
यूनिसेफ़ की सीनियर एडवाइज़र के मुताबिक़, कम उम्र में होने वाली शादियों के चलते कम उम्र में लड़कियों के गर्भवती होने की आशंका भी ज़्यादा होती है. इसलिए वह तीसरी अहम बात बताते हुए कहती हैं, “इसलिए ज़रूरी है कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को फिर से जारी किया जाए ताकि लड़कियों को ये सुविधाएं मिल सकें. उन्हें बेहतर विकल्प चुनने के बारे में जानकारी हो और सहायता भी मिले.”
मैंने अपनी बहन को शादी से बचाया
उत्तरी बांग्लादेश के कालमाकांडा के स्थायनी टीनएज एजुकेशन क्लब से जुड़ने के बाद मिनारा अपने समुदाय में बाल विवाह रोकने के लिए अभियान चलाती हैं. 18 साल की मिनारा जब यहां ट्रेनिंग के लिए आयीं थी तब उन्हें नहीं मालूम था कि एक दिन इसी ट्रेनिंग से वह अपनी छोटी बहन रीता को बचाने में कामयाब होंगी.
मिनारा अपने माता पिता और दो भाई बहन के साथ झोपड़ी में रहती हैं. उन्होंने बताया, “कोरोना संक्रमण हमारे परिवार के लिए काफ़ी मुश्किल साबित हुआ है.”
उनके पिता की नौकरी छूट गई और परिवार को पैसे की काफ़ी तंगी हो गई. इसके बाद एक पड़ोसी ने मिनारा की छोटी बहन से शादी की पेशकश करते हुए कहा कि वह परिवार के आर्थिक संकट को कम करने में मदद करना चाहता है.
मिनारा के मुताबिक़, यह वही शख़्स था जो कोरोना संक्रमण से पहले रीता के साथ लगातार छेड़ख़ानी कर रहा था. अपने क्लब के साथियों की मदद से मिनारा ने चाइल्ड हेल्पलाइन को फोन करके यह शादी नहीं होने दी, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि यह कब तक संभव हो पाएगा.
मिनारा ने बताया, “अगर महामारी का असर जारी रहा तो माता पिता अपनी बेटियों की 18 साल से कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.”
अबेदा (बांयी ओर), मेकदेस (मध्य में) अपनी दोस्त वुदे के साथ
काउंसलिंग से मदद
इथियोपिया की अबेबा को उम्मीद है कि वह और उनके दोस्त स्कूल में एक साथ बने रहेंगे और ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी होने तक शादी को टालते रहेंगे. 14 साल की मेकडीज ने इंजीनियर बनने का सपना देखा है.
उन्होंने बताया, “हमलोग लॉकडाउन में घर में ही रह रहे हैं. माता-पिता को मैंने मेरी शादी उस लड़के से कराने के बारे में बातचीत करते सुना जिसे मैं जानती तक नहीं. मैंने उनसे कह दिया था कि मैं शादी नहीं करना चाहती हूं, पढ़ाई करना चाहती हूं. लेकिन वे लोग सुन नहीं रहे थे.”
“इसके बाद मैंने स्कूल के खुलने तक का इंतज़ार किया. इसके बाद स्कूल के डायरेक्टर को बताया. उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को बताया और उन लोगों ने मेरे माता-पिता की काउंसलिंग की.”
मेकडीज के माता पिता ने अब प्रतिज्ञा ली है कि वे 18 साल की उम्र से पहले उनकी शादी नहीं करेंगे.
मेकडीज ने बताया, “हमारे समुदाय में काउंसलिंग सेवा से लोगों को काफ़ी मदद मिली है. अब तो माता पिता के इनकार करने पर और शादी पर जोर देने की स्थिति में पुलिस द्वारा उन्हें सज़ा देने की व्यवस्था भी लागू की गई है.”साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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