सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये भी बताया गया है कि हाई सिक्युरिटी जोन यानी जिस कोर्ट में सुनवाई होगी वहां स्पेशल सुनवाई पास के जरिये ही एंट्री होगी। ये पास रजिस्ट्री द्वारा जारी की जाएगी। सुनवाई के लिए कोर्ट रूम में एंट्री और एग्जिट का रास्ता अलग होगा। और कोविड गाइडलाइंस का पालन करना होगा।
नई दिल्ली कोरोना काल में पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट में वि़डियो कॉन्फ्रेंसिंग से से चल रही सुनवाई के बीच अब 15 मार्च से हाईब्रिड फिजिकल सुनवाई शुरू होने जा रहा है। मंगल, बुध और गुरुवार को रेग्युलर मामले में फाइनल सुनवाई हाईब्रिड मैनर में होगी यानी फिजिकल पेशी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों की सहूलियत होगी। सोमवार और शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस ने आदेश जारी किया
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जरनल ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के निर्देश के तहत रेग्युलर फाइनल सुनवाई के लिए पायलट स्कीम शुरू किया जाएगा। 14 मार्च, 23 मार्च और 30 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्कुलर जारी किया था और कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन की घोषणा के बाद से पिछले साल 23 मार्च से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। लेकिन इस दौरान तमाम बार असोसिएशन ने फिजिकल सुनवाई के लिए आग्रह किया था। इस मुद्दे पर विचार विमर्श के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने निर्देश जारी किया है।
एक बार में 20 लोग ही रहेंगे कोर्ट रूम में
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के निर्देश के मुताबिक 15 मार्च से मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को रेग्युलर फाइनल सुनवाई हाईब्रिड मोड में हो सकती है। हाईब्रिड फिजिकल सुनवाई के तहत बेंच तय करेगा कि कितने मामलों में कितनी संख्या में पार्टी आएंगे। इसके तहत एक मामले में एक एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड, दलील पेश करने के लिए एक वकील और रजिस्टर्ड एक कलर्क को कोर्ट रूम में आने की इजाजत होगी। एक बार में अधिकतम 20 लोग ही कोर्ट रूम में रहेंगे और जिन पक्षकारों का केस लगेगा उन्हें 10 मिनट पहले कोर्ट में जाने की इजाजत होगी। वकील या तो विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये पेश हो सकेंगे या फिर फिजिकल तरीके से पेश हो सकेंगे।
AOR को पहले ही देनी होगी जानकारी
एओआर (एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड) को पहले बताना होगा कि क्या वह फिजिकल तरीके से पेश होना चाहते हैं या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हाईब्रिड सुनवाई में जुड़ेंगे। अगर एओआर कुछ भी ऑप्शन नहीं देते इसका मतलब माना जाएगा कि पक्षकार विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़ेंगे। अगर कोई भी पार्टी हाईब्रिड सुनवाई में फिजिकल पेशी के लिए सहमति नहीं देंगे तो फिर मामले को हाईब्रिड सुनवाई के लिए नहीं रखा जाएगा बल्कि विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ही उस मामले की सुनवाई होगी।
कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना होगा
सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये भी बताया गया है कि हाई सिक्युरिटी जोन यानी जिस कोर्ट में सुनवाई होगी वहां स्पेशल सुनवाई पास के जरिये ही एंट्री होगी। ये पास रजिस्ट्री द्वारा जारी की जाएगी। सुनवाई के लिए कोर्ट रूम में एंट्री और एग्जिट का रास्ता अलग होगा। और कोविड गाइडलाइंस का पालन करना होगा इसके तहत मास्क लगाना, सैनेटाइजेशन आदि का पालन करना होगा। एक वकील अगर दो मामले में भी पेश हो रहे हैं तो उन्हें सुनवाई के बाद दूसरे मामले के लिए वेटिंग एरिया में इंतजार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में बनाए गए विडियो कन्फ्रेंसिंग फैसलिटेशन सेंटर में वकील के पेश होेने की व्यवस्था जारी रहेगी साथ ही दिल्ली के सभी जिला अदालत कॉम्पेक्स में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग फैसलिटेशन रूम में वकीलों की पेशी की सुविधा बनी रहेगी।साभार-नवभारत टाइम्स
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