वेस्ट यूपी के दिल मेरठ में रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ी जनसभा को संबोधित किया है। यह जनसभा आम आदमी पार्टी के हाईटेक, व्यवस्थित और प्रोटोकोल वाली पुरानी जनसभाओं से जुदा नजर आई। मंच पर भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत के पोस्टर लगे थे। पश्चिम उत्तर प्रदेश की खापों के मुखिया मंचासीन थे। इतना ही नहीं भारतीय किसान यूनियन का परंपरागत स्वागत करने का ढंग भी जनसभा में नजर आया। जब अरविंद केजरीवाल मंच पर पहुंचे तो किसानों ने रणसिंघा बजा कर उनकी अगवानी की।
शायद यह सारी बातें सामान्य लगें लेकिन वेस्ट यूपी की राजनीति पर पकड़ रखने वाले इन सब चीजों को सामान्य नहीं मानते हैं। पिछले 6-7 वर्षों में वेस्ट यूपी की राजनीति ने बड़ी करवट ली है। खासतौर से मुजफ्फरनगर दंगे और कैराना में दिवंगत कद्दावर नेता बाबू हुकुम सिंह कि हिंदूवादी राजनीति ने बड़ा बदलाव कर दिया। भारतीय जनता पार्टी एकतरफा चुनाव जीतती चली गई। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया चौधरी अजीत सिंह न केवल बागपत बल्कि मुजफ्फरनगर से भी दो चुनाव हार गए। रालोद के युवा नेता जयंत चौधरी में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का अक्स देखने वाले जाट वोटरों ने उन्हें भी नकार दिया। किसी भी सूरत में न हारने वाली छपरौली विधानसभा सीट भी राष्ट्रीय लोकदल हार गया। सुरेश राणा और संजीव बालियान भाजपा की राजनीति का चेहरा बनकर उभर गए।
केंद्र सरकार के विरोध को भुनाने में जुटी आम आदमी पार्टी
इस वक्त केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान लामबंद हैं। भारतीय किसान यूनियन करीब 100 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डालकर पड़ी हुई है। करीब 1 महीने से केंद्र सरकार और किसानों के बीच कोई वार्ता नहीं हुई है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने संजीव बालियान और सुरेश राणा को हालात संभालने में लगा दिया है। दोनों नेता गांव-गांव घूमकर किसानों को साधने की कोशिशों में जुटे हैं। हालांकि, कई जगहों से विरोध की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं। इसी बीच अरविंद केजरीवाल की मेरठ में दस्तक बड़े मायने रखती है। आम आदमी पार्टी पहले ही यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। दिल्ली में लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद अब अरविंद केजरीवाल की निगाह देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश पर है।
दिल्ली की सीमा से सटे यूपी के जिलों पर खास फोकस
आम आदमी पार्टी खासतौर से दिल्ली कि सीमाओं से लगते जिला बागपत, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, शामली, सहारनपुर को लेकर आम आदमी पार्टी ने खास योजना तैयार की है। इसी योजना के तहत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आंदोलनरत किसानों और भारतीय किसान यूनियन को भरपूर समर्थन दिया है। उनके नायब मनीष सिसोदिया तो किसानों के धरने में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के मन में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के प्रति नर्मी है। पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार आदेश भाटी का कहना है कि करीब 15 जिलों में जाट मतदाता पड़ा असर डालते हैं। जाटों के लिए 6-7 साल पहले तक एकमात्र राजनीतिक मंच राष्ट्रीय लोक दल रहा है, लेकिन चौधरी अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी की लापरवाही के चलते जाट मतदाता राष्ट्रीय लोक दल से छिटक गया।
भाजपा ने ओबीसी ओरिएंटेड पॉलिटिक्स करके जाटों को साधा
आदेश भाटी का कहना है, “ओबीसी ओरिएंटेड पॉलिटिक्स के जरिए भारतीय जनता पार्टी ने जाट वोटरों को अपनी ओर खींचने में कामयाबी हासिल कर ली। भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ा फायदा मुजफ्फरनगर और शामली के सांप्रदायिक दंगों से मिला। दंगों के दौरान अजीत सिंह और उनकी पार्टी ने हीलाहवाली भरा रवैया अख्तियार किया था। लिहाजा, जाटों को लगने लगा कि अजीत सिंह केवल मुसलमानों का पक्ष ले रहे हैं। दूसरी ओर राष्ट्रीय लोक दल के स्थानीय नेताओं ने खुलकर मुसलमानों का विरोध किया था। जिससे मुसलमानों को भी अजीत सिंह पर भरोसा नहीं रहा। कुल मिलाकर जाट और मुसलमानों के कॉन्बिनेशन पर राजनीति करने वाले रालोद का सूपड़ा साफ हो गया। अब जब जाटों का एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी से मोहभंग होता नजर आ रहा है तो रालोद अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने की कोशिशों में जुट गया है।
‘आप’ का अनुमान रालोद की तरफ पूरे मन से नहीं जाएंगे जाट वोटर
अजीत सिंह और जयंत चौधरी लगातार मुजफ्फरनगर, बागपत, हाथरस, सहारनपुर, मेरठ, शामली और बिजनौर में जनसभाएं कर रहे हैं। ठीक यही आकलन आम आदमी पार्टी ने किया है। आम आदमी पार्टी को लगता है कि जाट अब भी पूरी तरह राष्ट्रीय लोक दल की तरफ जाने के मूड में नहीं हैं, लेकिन जाटों का भारतीय जनता पार्टी से लगभग मोहभंग हो चुका है। ऐसे में एक वैक्यूम पैदा हो गया है। आम आदमी पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बाहुल्य इलाकों में एक विकल्प के रूप में उभर कर खुद को पेश करना चाहती है। कांग्रेस बेहद कमजोर स्थिति में है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की हालत भी पहले जैसी नहीं है। साथ ही जाट मतदाता कभी भी बसपा और समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोटर नहीं रहा है।
इन नेताओं के चेहरे पार्टी के काम आ सकते हैं
बड़ी बात यह है कि आम आदमी पार्टी के पास पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नेतृत्व जाट बिरादरी के नेता और पेशे से वकील सोमेंद्र सिंह ढाका के पास है। सोमेंद्र सिंह ढाका करीब 5 वर्षों से आम आदमी पार्टी के पश्चिम उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हैं। वह बागपत जिले में ढिकोली गांव के रहने वाले हैं। ढिकौली गांव बागपत जिले का सबसे बड़ा गांव है। सोमेंद्र ढाका दो बार बागपत बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सोमेंद्र ने पिछले 5 वर्षों के दौरान वेस्ट यूपी के जिलों में घूम घूम कर जाटों और खासतौर से युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ा है। दूसरी ओर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हापुड़ के रहने वाले हैं। वह लंबे अरसे से गाजियाबाद में रह रहे हैं। वह हापुड़ और गाजियाबाद में पढ़े लिखे हैं। लिहाजा, उनका भी इन दोनों जिलों में अच्छा खासा असर है। आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है। संजय सिंह पिछले 3 वर्षों के दौरान कई बार पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों की यात्रा कर चुके हैं।
पिछले 1 वर्ष में तो संजय सिंह ने लगातार पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों में दस्तक दी है। पत्रकार वार्ता की हैं। वेस्ट यूपी के जुड़े मुद्दों को जोरशोर से उठाया है। वेस्ट यूपी में ठाकुर बिरादरी का भी अच्छा खासा असर है। खासतौर से सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद हापुड़ और बिजनौर में राजपूत समाज बड़ी संख्या में है। ऐसे में आम आदमी पार्टी को अगर जाटों का साथ मिलता है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ सहारनपुर, मुरादाबाद और अलीगढ़ मंडल में परिणाम अच्छे हासिल किए जा सकते हैं।
तीन कृषि कानून हैं किसानों का डेथ वारंट
अरविंद केजरीवाल ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि “इस समय देश का किसान काफी ज्यादा पीड़ा में हैं, केंद्र सरकार किसानों का शोषण कर रही है। पिछले 3 महीनों से किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर बैठे हुए हैं। इस दौरान किसानों ने कड़कती ठंड और अब धूप का सामना कर रहे हैं। किसान अपने पूरे परिवार के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। अरविंद केजरीवाल ने बताया कि “मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून को लाकर किसानों का डेथ वारंट जारी कर दिया है। किसान अपनी खेती को बचाने में लगा हुआ है। लेकिन केंद्र में बैठे लोग किसानों की फसल को हत्याने में लगे हुए है।”
70 सालों में मिल रहा है किसानों को धोखा
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “इस प्रदर्शन में शामिल हुए करीब ढाई सौ से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। पिछले 70 सालों में किसानों ने सिर्फ धोखा ही सहा है। अभी तक जितनी भी पार्टी देश में आई है। सभी ने देश के किसानों को धोखा दिया है।” उन्होंने कहा कि “किसानों ने भाजपा सरकार को केंद्र में आने का मौका दिया है। किसानों ने समझा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके समस्याओं को सुनकर समाधान करेंगे। लेकिन पीएम साहब खुद किसानों को बेचने में लगे हुए हैं। किसानों ने सिर्फ इसलिए ही मोदी सरकार को चुना था, जिससे किसानों को उनके फसलों का उचित दाम मिल सके। लेकिन मोदी सरकार ने किसानों को बड़े उद्योगपति के हाथ बेचना शुरू कर दिया है। यह देश के लिए काफी गंभीर बात है कि किसानों को देश इस समय परेशानियों से जूझ रहा है। लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं है।”
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “मेरे पार्टी के कार्यकर्ता और विधायक किसानों की बार्डर पर बैठे लोगों की सेवा कर रही है। राशन और पानी दे रही है। 28 जनवरी की रात जो हमने कुछ देखा वे बड़ा ही दुखद था। राकेश टिकैत किसानों के लिए बार्डर पर अपना शरीर ताप रहे है, लेकिन सरकार ने जो किया उस कारण उनकी आंखों में आसू आ गए। इस दौरान आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और कई नेता मौजूद हैं। केजरीवाल ने पहुंचते ही किसानों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया है। 3600 वर्ग फीट के मंच से केजरीवाल किसान पंचायत को संबोधित किया है। कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए दो-दो फीट की दूरी पर कुर्सयिां लगाई गई हैं।साभार-ट्रीसिटी टुडे
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