भारत आने के बाद नीरव मोदी का नया ठिकाना होगा- आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर-12; यहां होंगी सारी सुविधाएं

ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नीरव मोदी को भारत लाने यानी प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है। कोर्ट के जज सैमुअल गूजी ने कहा कि नीरव मोदी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। नीरव मोदी पर मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 14,500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। वो जनवरी 2018 से ही देश से बाहर है। नीरव मोदी को भारत लाने के बाद मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा। बैरक नंबर-12 हाई सिक्योरिटी सेल है, जहां आम कैदियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर सुविधा मिलती है।

सबसे पहले बात आर्थर रोड जेल के इतिहास की…

नीरव मोदी को जिस आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा, उसका इतिहास 95 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस जेल को 1926 में अंग्रेजों ने बनवाया था। आर्थर रोड जेल 2.83 एकड़ में बनी है। यहां एक बार में 800 कैदी रखे जा सकते हैं, लेकिन कई बार यहां कैदियों की संख्या दो से तीन हजार से भी ज्यादा पहुंच जाती है।

आर्थर रोड का नाम सर जॉर्ज आर्थर के नाम पर पड़ा है, जो 1842 से 1846 तक बंबई के गवर्नर रहे थे। इसी वजह से इसे आर्थर रोड जेल भी कहा जाता है। हालांकि, 1970 में इस रोड का नाम बदलकर साने गुरुजी मार्ग कर दिया गया था। 1994 में जेल का नाम मुंबई सेंट्रल प्रिजन कर दिया गया था, फिर भी इसे आर्थर रोड जेल के नाम से ही जाना जाता है।

नीरव मोदी जिस जेल में रहेगा, वहां क्या-क्या होगा?

महाराष्ट्र के प्रिजन डिपार्टमेंट ने 2019 में ही लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में बैरक नंबर-12 के बारे में जानकारी साझा कर दी थी। प्रिजन डिपार्टमेंट ने बताया था कि नीरव मोदी को जहां रखा जाएगा, वो जगह हाई सिक्योरिटी वाली होगी और वहां उसे मेडिकल फैसिलिटी भी मिलेगी। अगस्त 2020 में वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने बैरक नंबर-12 का वीडियो भी देखा था। इसके बाद ही कोर्ट ने नीरव मोदी को भारत लाने की मंजूरी दी।

कोर्ट ने कहा है कि नीरव मोदी बैरक नंबर-12 में पूरी तरह से सेफ रहेंगे। नीरव की दलील थी कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है और अगर उसे भारत भेजा जाता है, तो वो सुसाइड कर लेगा। इस पर भी कोर्ट ने कहा कि बैरक नंबर-12 में नीरव के सुसाइड करने के चांस नहीं हैं, क्योंकि उसे वहां उसकी हेल्थ का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

जेल अधिकारियों का कहना है कि नीरव मोदी को आर्थर रोड जेल लाने की तैयारी पूरी हो चुकी है और जब उसे भारत लाने की प्रक्रिया शुरू होगी, तो सेल भी तैयार हो जाएगी। प्रिजन डिपार्टमेंट ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि नीरव मोदी को जिस सेल में रखा जाएगा, वहां बहुत ही कम कैदी होंगे।

नीरव मोदी को जिस बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा, वो 20 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा है। यहां पंखा और लाइटें भी होंगी और वेंटिलेशन की भी व्यवस्था भी रहेगी। उसे अपना सामान और कपड़े रखने के लिए अलमारी भी मिलेगी। इसके अलावा यहां मच्छर न हों, इसके लिए हर हफ्ते दवाई छिड़की जाएगी।

जेल में आमतौर पर कैदियों के लिए एक कॉमन टॉयलेट ही होता है, लेकिन नीरव मोदी को पर्सनल टॉयलेट की भी सुविधा मिलेगी। सेल में उसे चटाई, तकिया, चादर और कम्बल भी दिया जाएगा।

सरकार ने लंदन की कोर्ट में बताया है कि अगर विजय माल्या को भारत लाया जाता है, तो उसे भी बैरक नंबर-12 में हाई सिक्योरिटी में रखा जाएगा। विजय माल्या के ऊपर 9 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है।

लेकिन कब तक आएगा नीरव मोदी?

इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि नीरव मोदी के पास अपील का अधिकार भी है। वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने ब्रिटेन की होम सेक्रेटरी प्रीति पटेल को नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की सिफारिश भेजी है। उनके पास इस पर फैसला लेने के लिए दो महीने का वक्त है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि नीरव मोदी चाहें तो अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ हाईकोर्ट में भी अपील कर सकते हैं। हालांकि, वो अपील कर भी देते हैं, तो भी सुनवाई तभी होगी, जब प्रीति पटेल कोई फैसला करेंगी।

अगर हाईकोर्ट से भी झटका मिलता है, तो नीरव मोदी के पास ह्यूमन राइट्स कोर्ट में भी अपील करने का अधिकार होगा। सारा रास्ता साफ होने के बाद ही नीरव मोदी को भारत लाया जा सकता है।

वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि वेस्टमिंस्टर कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद अब भारत ब्रिटेन सरकार से नीरव मोदी के जल्द से जल्द प्रत्यर्पण के लिए समझौता करेगा।

1992 में हुई थी प्रत्यर्पण संधि, अब तक सिर्फ तीन आरोपी ही भारत आ सके

भारत और ब्रिटेन के बीच 22 सितंबर 1992 को प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। लेकिन पहले आरोपी को भारत लाने में 24 साल का वक्त लग गया। हत्या के आरोपी समीरभाई वीनूभाई पटेल को 19 अक्टूबर 2016 को प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया था।

उसके बाद फरवरी 2020 में संजीव कुमार चावला को भारत लाया गया। संजीव कुमार को मैच फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। यानी, ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि हुए 28 साल से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन अब तक सिर्फ दो आरोपियों को ही लाने में कामयाबी मिली है।

भारत से तीन आरोपियों को ब्रिटेन भेजा गया

अभी तक तीन आरोपियों को भारत से ब्रिटेन भेजा गया है। सबसे पहले 8 जुलाई 2009 को सोमैया केतन सुरेंद्र को प्रत्यर्पित किया गया था, जो केन्याई नागरिक थे। उन्हें धोखाधड़ी के मामले में भेजा गया था।

उसके बाद किडनैपिंग के मामले में गिरफ्तार किए गए कुलविंदर सिंह को 14 नवंबर 2013 को ब्रिटेन को सौंपा गया। आखिरी बार 29 जुलाई 2017 को ब्रिटिश की हाना फोस्टर की हत्या के आरोपी मनिंदर पाल सिंह को ब्रिटेन भेजा गया था।

आखिर में आर्थर रोड जेल से जुड़ी रोचक बात…

26 नवंबर 2008 को मुंबई पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था। इस हमले को अंजाम देने वाले 10 आतंकियों में से 9 को एनकाउंटर में मार गिराया गया। एकमात्र आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था।

कसाब को आर्थर रोड जेल में रखा गया था। उसके आने के बाद जेल में हाई सिक्योरिटी की व्यवस्था की गई थी। ITBP के जवान चौबीसों घंटे उसकी सुरक्षा में लगे रहते थे। कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

23 नवंबर को 2012 को उस समय के गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने संसद में बताया था कि चार साल में कसाब पर महाराष्ट्र और केंद्र सरकार ने मिलकर 31.40 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।साभार-दैनिक भास्कर

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