क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट शेयर की तो बवाल मच गया। आरोप लगे कि उन्हें खालिस्तान समर्थक आंदोलन ने इसके लिए पैसे दिए हैं। सच क्या है यह जांच का विषय है, पर पैसे लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना नई बात नहीं है। सोशल मीडिया के बढ़ते आंकड़ों ने एक नई इंडस्ट्री को विकसित किया है।
यह ट्रेंड यूट्यूब पर बहुत ज्यादा दिखता है, जहां हर कोई अपने मिलियन से ज्यादा सबस्क्राइबर यानी फॉलोअर पाने को बेताब रहता है। जब एक मुकाम मिल जाता है तो शुरू होता है ब्रांड एंडोर्समेंट या प्रमोशन। तब कंपनियां खुद ऐसे इन्फ्लुएंसर्स को तलाशती हैं, जिन्हें पैसे देकर अपने ब्रांड का प्रमोशन और प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करवाई जा सके। यहीं आम यूजर धोखा खा जाते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि वे जिन्हें फॉलो कर रहे हैं, वे सितारे पैसा लेकर कोई कंटेंट बना रहे हैं या वाकई में दिल से उसकी तारीफ कर रहे हैं।
इस उलझन और भ्रम को दूर करने के लिए एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में सेल्फ-रेगुलेशन बढ़ाने के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी की है। यह 15 अप्रैल 2021 से लागू होगी और उसके बाद सोशल मीडिया पर होने वाले पोस्ट काफी हद तक बदले-बदले दिखेंगे। प्रमोशनल कंटेंट और ऑर्गेनिक कंटेंट को अलग-अलग करना आसान हो जाएगा। आइए, जानते हैं कि ASCI क्या है और उसकी ओर से जारी गाइडलाइन से सोशल मीडिया पर क्या बदलने वाला है?
अब यह भी जान लीजिए कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर क्या होते हैं?
- डिजिटल एक्सपर्ट आलोक रघुवंशी का कहना है कि जो व्यक्ति अपनी सोशल मीडिया पोस्ट से यूजर्स को प्रभावित करते हैं, उसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कहा जाता है। ये वो लोग होते हैं, जिनके सोशल मीडिया पर हजारों-लाखों फॉलोअर्स होते हैं और इनकी एक पोस्ट से आम यूजर्स किसी प्रोडक्ट, ब्रांड या कंटेंट से प्रभावित हो जाते हैं। ये डिजिटल मार्केटिंग का एक नया तरीका है।
- आलोक के मुताबिक, हम लोग सोशल मीडिया पर जो कंटेंट अच्छा लगता है, उसे शेयर करते हैं या उसके बारे में पोस्ट करते हैं, लेकिन इसके लिए हमें कोई पैसा नहीं मिलता। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को हर पोस्ट के लिए पैसा मिलता है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स सालभर में लाखों रुपए कमाते हैं।
यह ASCI क्या है? इसकी गाइडलाइन का महत्व क्या है?
- एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) 1985 में बनी एक संस्था है, जो विज्ञापनों में सेल्फ-रेगुलेशन को बढ़ावा देती है ताकि विज्ञापनों से लोगों को गुमराह न किया जा सके। ASCI की कोशिश है कि एडवर्टाइजमेंट में ऐसा कोई भी दावा न हो जिसे साबित न किया जा सके।
- यह प्रिंट मीडिया, टीवी, रेडियो, होर्डिंग्स, एसएमएस, ईमेल्स, इंटरनेट/वेबसाइट, प्रोडक्ट पैकेजिंग, ब्राउशर्स, प्रमोशनल मटेरियल समेत सभी तरह के एडवर्टाइजमेंट क्लेम्स के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई करती है।
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी टीवी चैनल्स को एडवायजरी जारी की है और शिकायतों के लिए ASCI के वॉट्सऐप नंबर 77100 12345 को स्क्रोल करने के निर्देश दिए। अगर आपको किसी विज्ञापन के दावे पर आपत्ति है तो आप भी इस नंबर के जरिए अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
- हालांकि, रेनमेकर वेंचर्स के को-फाउंडर अतुल हेगड़े का कहना है कि ASCI ने इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग को गंभीरता से लिया, यह अच्छी बात है। पर गाइडलाइंस में बहुत ज्यादा उम्मीद रखी गई है। कंटेंट के साथ इतना कहना काफी था कि यह एक पेड पार्टनरशिप है। दुनियाभर में ऐसा ही होता है। ASCI के लिए बड़ी चुनौती होगी गाइडलाइन को फॉलो करवाना।
Wait a minute… There are different types of Influencers?! 😧
Yep! There’s an Influencer for almost anything you can think of – and there are different types of Influencers that you can work with depending on your needs and goals! 😄#influencermarketing #influencers #marketing pic.twitter.com/zbkqJUP79I
— Furthermore Marketing (@Furthermore_UK) February 23, 2021
कितना बड़ा है इन्फ्लुएंसर्स मार्केटिंग का मार्केट, जो गाइडलाइन की जरूरत पड़ गई?
- ASCI के चेयरमैन सुभाष कामत का कहना है कि “मोबाइल टेलीफोनी और इंटरनेट के बढ़ते दायरे से डिजिटल स्पेस भी तेजी से बढ़ा है। लोगों को यह पता होना चाहिए कि जो कंटेंट वह देख रहे हैं, वह प्रमोशनल है या ऑर्गेनिक। यह गाइडलाइंस सोशल मीडिया यूजर्स को समझने में मदद करेगी कि वेे क्या देख रह हैं और उन्हें कंटेंट में किए दावे पर भरोसा करना चाहिए या नहीं।”
- पूरी दुनिया की तरह हमारे यहां भी इन्फ्लुएंसर इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। Id8 मीडिया सॉल्युशंस की को-फाउंडर और सीईओ तान्या श्वेता का कहना है कि इंटिग्रेटेड मार्केटिंग एजेंसी के तौर पर हम पिछले कुछ समय में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में तेजी का ट्रेंड देख रहे हैं। इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग इंडस्ट्री इस समय 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की है और साल-दर-साल तेजी से बढ़ रही है।
- वहीं, डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी एडलिफ्ट के मुताबिक, भारत का इन्फ्लुएंसर मार्केट 75 से 150 मिलियन डॉलर का है। वहीं, ग्लोबल मार्केट 1.75 बिलियन डॉलर का। ASCI की दिसंबर में जारी रिपोर्ट कहती है कि ग्रामीण (82%) और शहरी (83%) इलाकों में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों की व्युअरशिप में बड़ा अंतर नहीं है। साफ है कि डिजिटल एडवर्टाइजिंग पर खर्च तेजी से बढ़ा है।
- वैवोडिजिटल (VavoDigital) की फाउंडर और सीईओ नेहा पुरी का कहना है कि दो साल पहले 2019 में यूएई ने इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग इंडस्ट्री की क्षमता को समझा और NMC इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग लाइसेंस देना शुरू किया। भारत में भी इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग इंडस्ट्री तेजी से बढ़ी है। मुझे लगता है कि जो भी इंडस्ट्री बढ़ रही है, उसे नियमों और रेगुलेशन की आवश्यकता पड़ती है।
- इस गाइडलाइन पर मुंबई के ग्रेफिटो मीडिया के कपिल जैन कहते हैं कि यह एक पत्थर से दो निशाने लगाने जैसा है। इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सेग्मेंट संगठित होगा। वहीं, कंज्यूमर्स को भी पता होगा कि वे क्या देख रहे हैं। कौन-सा कंटेंट विज्ञापन है और कौन-सा ऑर्गेनिक, यह साफ होगा।
ASCI ने यह गाइडलाइन कैसे तैयार की?
- डिजिटल मार्केटिंग में हो रहे बदलावों को देखते हुए ASCI ने पिछले साल सितंबर में TAM मीडिया रिसर्च के साथ हाथ मिलाया। गुमराह करने वाले मार्केटिंग मैसेज समझने के लिए 3,000 से ज्यादा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की निगरानी की।
- गाइडलाइन बनाते समय ASCI ने सोशल स्टोरीटेलिंग के प्रमुख मार्केटप्लेस बिगबैंग.सोशल (BigBang.Social) की मदद ली। बिगबैंग.सोशल के सीईओ ध्रुव चितगोपेकर का कहना है कि हमने महसूस किया कि इन्फ्लुएंसर्स के लिए जवाबदेह एडवर्टाइजिंग इकोसिस्टम की जरूरत है। यह गाइडलाइन कंज्यूमर और डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स के लिए लाभदायक होगी। हमारा मानना है कि यह डिजिटल एडवर्टाइजमेंट प्लेटफॉर्म्स के लिए भी जरूरी होगा।
- इस ड्राफ्ट गाइडलाइन पर इंडस्ट्री, डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स के साथ ही कंज्यूमर, यानी सभी स्टेकहोल्डर्स 8 मार्च तक अपना फीडबैक दे सकेंगे। इसके आधार पर 31 मार्च 2021 से पहले ASCI फाइनल गाइडलाइन जारी करेगी। इसके बाद 15 अप्रैल या उसके बाद पब्लिश होने वाले सभी पोस्ट पर यह गाइडलाइन लागू होगी।
नई गाइडलाइन किस तरह इन्फ्लुएंसर्स मार्केट को प्रभावित करेगी?
- मकानी क्रिएटिव्स के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर समीर मकानी के मुताबिक, नई गाइडलाइन गुमराह करने वाले कंटेंट को सोशल मीडिया से बाहर रखेगी। नो फिल्टर और पेड प्रमोशन हैशटैग से पारदर्शिता बढ़ेगी। ब्रांड्स को भी एंगेजमेंट के आधार पर इन्फ्लुएंसर्स का मूल्यांकन करने और उन्हें अपने डिजिटल कैम्पेन से जोड़ने में मदद मिलेगी।
- वैवोडिजिटल की नेहा पुरी के मुताबिक, नए नियम इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग और ब्रांड को उसका कैसे इस्तेमाल करना है, इसे देखने का नजरिया बदल देंगे। मुझे नहीं लगता कि इस गाइडलाइंस से क्रिएटिविटी खत्म होगी, बल्कि कंज्यूमर के दिमाग में भरोसा जागेगा।
- गॉशियन नेटवर्क के सीईओ शिवनंदर पारे ने कहा कि पारदर्शिता लंबे समय तक टिकने की है। यह बेस्ट प्रैक्टिसेस हैं और एक ब्रांड के तौर पर हम इसे सपोर्ट करते हैं। हमें लगता है कि ग्राहकों को पता होना चाहिए कि क्या कंटेंट ऑर्गेनिक है और क्या पेड कंटेंट परोसा जा रहा है।
- id8 मीडिया सॉल्युशंस की तान्या श्वेता का कहना है कि ASCI की गाइडलाइन इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाएगी। हमारी जैसी क्रिएटिव एजेंसियों के लिए यह एक बड़ी जीत है। यह हमें हमारे क्लाइंट्स के लिए स्टोरीटेलिंग के जरिए स्ट्रैटेजिक सलाह देने का मौका देती है। यह ब्रांड्स को भी स्ट्रैटेजिक इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग के लिए बजट निर्धारित करने में मददगार होगी।साभार-दैनिक भास्कर
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