देश के लगभग सभी इलाकों में तापमान बढ़ना शुरू हो चुका है। फरवरी के जाते-जाते, सर्दियों का मौसम भी चला जाता है और गर्मियां शुरू होने लगती हैं। गार्डनिंग के शौकीनों के लिए यह मौसम काफी अच्छा होता है। इस मौसम में वे सर्दी की सब्जियों की लगभग सभी उपज ले चुके होते हैं और नई सब्जियां (Grow Vegetables) लगाने की तैयारी करते हैं।
हरियाणा के भिवानी निवासी टेरेस गार्डनर उमेद सिंह कहते हैं कि फरवरी के महीने से वह अपने गार्डन को नई फल-सब्जियों की बुआई के लिए तैयार करते हैं। इसके लिए, वह सबसे पहले अपने उन गमलों, ग्रो बैग्स और क्यारियों की मिट्टी की खुदाई करते हैं, जिनमें से उन्होंने पुरानी सभी उपज ले ली है। इस मिट्टी को बाहर निकालकर, एक-दो दिन धूप में रखा जाता है। इसके बाद, इसमें आप गोबर की खाद, नीमखली, घर पर बनाई जैविक कचरे की खाद आदि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिला सकते हैं।
फिर इस मिट्टी को आप अपने गमलों, ग्रो बैग्स या क्यारियों में भरकर, फल-सब्जियों के बीज और पौधे लगा सकते हैं।
फरवरी के महीने में लगने वाली सब्जियों के बारे में उमेद सिंह कहते हैं, “इस महीने में आप बेल वाली सभी सब्जियां लगा सकते हैं, जैसे – लौकी, तोरई, करेला, पेठा आदि। आपको इनकी ‘पौध’ भी तैयार नहीं करनी पड़ती है। आप इन्हें सीधा गमलों या ग्रो बैग्स में लगा सकते हैं। इनके अलावा, आप चाहें तो खरबूज और तरबूज जैसे फलों के बीज भी लगा सकते हैं।”
लौकी, तोरई और पेठा के अलावा, आप इस महीने में भिंडी, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, बैंगन, बीन्स जैसी सब्जियां भी उगा सकते हैं। इस कड़ी में टेरेस गार्डनर अंकित बाजपेई कहते हैं, “फरवरी के महीने में तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच आने लगता है। यह मौसम इन सब्जियों को लगाने के लिए उपयुक्त होता है। आप जिस भी शहर में रहते हैं, पहले वहां का तापमान देखें। अगर आपके यहां का तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच है तो आप आसानी से इन सब्जियों को लगाना शुरू कर सकते हैं। साथ ही, आप जो भी कंटेनर इस्तेमाल करें, जैसे – गमला, ग्रो बैग, बाल्टी आदि, सभी के तलों में छेद होना जरुरी है। ताकि इनमें पानी ठहरे नहीं।”
फरवरी के महीने में लगाएं यह सब्ज़ियां:
1. भिंडी:
सर्दियों के अंत में या मॉनसून की शुरुआत में, ‘भिंडी’ लगाना सबसे अच्छा रहता है। भिंडी लगाने के लिए आप सबसे पहले इसकी पौध तैयार करें। पौध तैयार करने के लिए आप 50% कोकोपीट में, 25% मिट्टी और 25% वर्मीकंपोस्ट मिलाकर पॉटिंग मिक्स तैयार करें। आप किसी छोटे गमले में पॉटिंग मिक्स भरकर भिंडी के बीज लगा दें। बीज लगाने के बाद, इसमें पानी दें और फिर इस गमले को ऐसी जगह रखें, जहां सीधी धूप न पड़ती हो।
लगभग 25 दिनों में भिंडी की पौध तैयार हो जाएगी और फिर, आप उन्हें बड़े गमलों में लगा सकते हैं। भिंडी के पौधे लगाने के लिए, आप चाहें तो अपने घर में खाली/बेकार पड़ी प्लास्टिक की बड़ी बोतलें या आटे तथा चीनी आदि के प्लास्टिक के पैकेट भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
पौधों को दूसरे गमलों में लगाते समय, आपको फिर से पॉटिंग मिक्स बनाना होगा। इसमें आपको बराबर मात्रा में मिट्टी, कोकोपीट और वर्मीकंपोस्ट मिलाना है। कोकोपीट की जगह आप रेत और वर्मीकंपोस्ट की जगह, गोबर की खाद भी ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो इसमें ऊपर से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ‘पर्लाइट’ और ‘वर्मीक्यूलाइट’ भी मिला सकते हैं। इन सभी चीजों को अच्छे से मिलाने के बाद, पॉटिंग मिक्स को किसी गमले या ग्रो बैग में भरें।
एक गमले या ग्रो बैग में, आप एक ही भिंडी का पौधा लगाएं ताकि उसे विकसित होने के लिए पूरा पोषण मिले।
पौधे लगाने के बाद, गमलों में पानी दें और इन्हें लगभग एक हफ्ते तक छांव वाली जगह में रखें, जहां सीधी धूप न पड़ती हो। एक हफ्ते बाद, इन्हें धूप में रख दें और जरूरत के हिसाब से पानी देते रहें। महीने में 10 दिन के अंतराल पर आप जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, नीमखली, सरसोंखली या फल-सब्जियों के छिलकों की खाद भी देते रहें। बीच-बीच में यह भी ध्यान देते रहें कि अगर आपको पौधे में कभी भी कोई कीट दिखे तो आप जैविक कीट प्रतिरोधक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
लगभग 60 से 70 दिनों में आपके पेड़ों पर भिंडी तैयार होने लगेगी।
2. घीया/लौकी:
घीया/लौकी ऐसी सब्जी है, जो बेल पर लगती है। इसकी पौध तैयार करने की जरूरत नहीं पड़ती है। आप चाहें तो इसे सीधा गमलों में लगा सकते हैं। पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए आप 40% मिट्टी, 30% रेत और 30% वर्मीकंपोस्ट मिला सकते हैं। गमला या ग्रो बैग लगभग 22 इंच का ले सकते हैं।
*सबसे पहले गमले में पॉटिंग मिक्स भर कर, इसमें ऊपर से पानी छिड़कें।
*अब लगभग आधा इंच छेद करके, मिट्टी में बीज लगा दें और ऊपर से मिट्टी डाल दें।
*बीज लगाने के बाद, फिर से पानी दें और किसी ऐसी जगह रखें, जहां सीधी धूप न आती हो। लगभग सात दिनों बाद, जब बीज अंकुरित हो जाए तो आप गमले को धूप में रख सकते हैं।
*लगभग 10-12 दिनों में ही पौधे अच्छे से बढ़ने लगते हैं।
*जरूरत के हिसाब से पानी देते रहें। बीच-बीच में, जैविक खाद भी गमलों में डालें ताकि पौधों को सही पोषण मिले।
*25 से 27 दिनों में, बेल बढ़ने लगती है और इसके लिए आप कोई रस्सी बाँध सकते हैं ताकि बेल रस्सी के सहारे ऊपर बढ़े।
*लगभग 50 दिनों बाद बेल पर फूल आने लगेंगे। अब आपको नर फूलों से परागकण (Pollen) लेकर, इनका मादा फूलों पर पोलीनेशन (परागण) करना होगा।
*पोलीनेशन करने के बाद, आप मादा फूलों को किसी धागे की मदद से, ऊपर से बाँध दें।
*लगभग 60 दिनों बाद, लौकियां बढ़ने लगेंगी।
*80 से 90 दिनों बाद, आप इनकी कटाई (हार्वेस्टिंग) कर सकते हैं।
3. पेठा/कद्दू:
पेठा/कद्दू को भी आप बिना पौध तैयार करे, सीधा गमलों में लगा सकते हैं। इसके लिए पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए आप 30% मिट्टी, 30% रेत और 40% वर्मीकंपोस्ट मिला सकते हैं। आप गमले में पॉटिंग मिक्स भरें और इसमें पानी डालें। अब कद्दू के बीज इसमें लगा दें और गमले को पांच-छह दिनों के लिए छांव में रखें। कोशिश करें कि, एक गमले में एक ही बीज लगाएं।
लगभग 10-12 दिनों में आपका पौधा बढ़ने लगेगा। कद्दू की बेल को सहारा देने के लिए आप कोई रस्सी बाँध लें। इस रस्सी का सहारा बेल को दें। पौधों में पानी नियमित रूप से दें, लेकिन ज़रूरत के हिसाब से दें। लगभग एक-डेढ़ महीने बाद, आप पौधों को जैविक खाद भी देना शुरू करें। आप महीने में दो बार पौधों को जैविक खाद दे सकते हैं।
पौधे लगाने के लगभग दो महीने बाद, आप देखेंगे कि बेल में फूल आने लगे हैं। अब आपको नर फूल से परागकण लेकर, मादा फूल पर पोलीनेशन करना है।
पोलीनेशन करने के लगभग एक हफ्ते में ही, आप देखेंगे कि बेल में कद्दू अच्छे से पनपने लगे हैं। 80 से 90 दिनों के भीतर, आपके कद्दू हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाते हैं।
4. खीरा:
‘खीरा’ को आप साल में दो बार लगा सकते हैं। पहला, सर्दियों के अंत में और दूसरा, मॉनसून शुरू होने से पहले। अगर आपके इलाके का तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच है तो आप खीरे के बीज लगा सकते हैं। आप चाहें तो बाजार से लाए खीरे के बीज निकालकर भी इनसे नये पौधे लगा सकते हैं।
खीरे के बीज सीधा गमलों में लगाने के लिए आप 15 से 18 इंच का गमला ले सकते हैं। पॉटिंग मिक्स बनाने के लिए मिट्टी, रेत और खाद को बराबर मात्रा में मिलाएं। पॉटिंग मिक्स गमलों में भरकर, इसमें पानी का छिड़काव करें। मिट्टी को गीला करके, इसमें खीरे के बीज लगा दें। अब फिर से इसमें पानी दें और इसे छांव वाली जगह पर रख दें। लगभग एक हफ्ते में बीज अंकुरित हो जायेंगे। अब आप गमलों को धूप में रखें।
नियमित तौर पर जरूरत के हिसाब से पानी देते रहें। साथ ही, लगभग एक महीने के बाद से, आप पौधों में जैविक खाद भी डालना शुरू करें। इसके लिए आप गोबर की खाद, नीमखली, सरसों की खली या तरल खाद बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं। 35 से 40 दिनों में खीरे की बेल में फूल आने लगेंगे। बेल में जब फूल आने लगें तब आप खाद देने का अंतराल बढ़ा सकते हैं।
60 से 70 दिनों में बेल पर लगे खीरे हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाते हैं। बस आप नियमित तौर पर इनकी देखभाल करते रहें।
5. करेला:
‘करेला’ बेल पर लगने वाली सब्जी है। इसे आप साल में दो बार लगा सकते हैं। पहला, गर्मियों की शुरुआत में और दूसरा, मॉनसून की शुरुआत में। अगर आप चाहें तो पहले करेले की पौध तैयार कर सकते हैं। इसके लिए, आप कोई भी प्लास्टिक का छोटा गिलास या छोटा गमला इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसमें पॉटिंग मिक्स भर कर, आप करेले के बीज लगा दीजिये। बीज लगाने के बाद, इसमें पानी दीजिये और इसे किसी ऐसी जगह रखिये, जहां सीधी धूप न आती हो। लगभग एक हफ्ते में जब आपके बीज अंकुरित हो जाएं तब आप इन्हें सीधा धूप में रख सकते हैं। नियमित रूप से पानी देते रहे। लगभग 25 दिनों में आपके पौधे प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) करने के लिए तैयार हो जाएंगे।
अब आप 15 से 18 इंच के गमले में इन पौधों को लगा सकते हैं। पॉटिंग मिक्स के लिए आप बराबर मात्रा में मिट्टी, रेत और गोबर की खाद मिलाएं। पौधों को गमलों में लगाने के बाद, इन्हें लगभग 5 से 7 दिन तक ऐसी जगह रखें, जहां सीधी धूप न आती हो। नियमित तौर पर जरूरत के हिसाब से पानी दें और एक हफ्ते बाद, गमलों को धूप में रख दें।
पौधे लगाने के लगभग एक से डेढ़ महीने बाद, आप इनमें पानी के साथ-साथ खाद भी डालना शुरू करें। 35 से 40 दिनों में करेले की बेल पर फूल आने लगते हैं। फूल आने के बाद, आप खाद की मात्रा कम कर सकते हैं। लगभग 60 से 70 दिनों में आपके करेले हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जायेंगे।
तो देर किस बात की, आज से ही करें अपनी छत पर सब्जियां उगाने की तैयारी। साभार-दी बैटर इण्डिया
हैप्पी गार्डनिंग।
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