गाजियाबाद,बनने थे हजारों आवास, अब तक एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं

प्रतीकात्मक फोटो

गाजियाबाद। प्रधानमंत्री आवास योजना महानगर में रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। शासन ने जीडीए को 2022 तक 36 हजार आवास बनाने का लक्ष्य दिया, लेकिन जमीन न मिलने और अन्य तकनीक कारणों से करीब 19 हजार पांच सौ भवनों की डीपीआर को ही मंजूरी मिल सकी। महानगर में जीडीए के अब तक केवल पांच प्रोजेक्टों पर काम जारी है। 2018 में मधुबन-बापूधाम में शुरू हुए 856 पीएम आवास का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। कई प्रोजेक्ट में कराए गए डिमांड सर्वे में मांग नहीं होने के चलते जीडीए ने शासन को पीएम आवास का लक्ष्य कम करने का पत्र लिखा है।

महानगर में वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मधुबन-बापूधाम के अलावा नूरनगर में 480, प्रताप विहार में 720, डासना में 432 और निवाड़ी में 528 आवास का निर्माण कार्य जारी है। जीडीए ने मधुबन-बापूधाम योजना में सर्वाधिक आवास के निर्माण का लक्ष्य तय किया था। 856 निर्माणाधीन आवास के अलावा मधुबन-बापूधाम में बाकी दो प्रोजेक्ट में 2160 व 660 भवन बनने थे। इनकी डीपीआर को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन काम अभी तक नहीं शुरू हुआ है। वहीं, मसूरी में 1440 और कोयल एंक्लेव योजना में 1800 पीएम आवास का निर्माण प्रस्तावित है।

वहीं, राजनगर एक्सटेंशन में एससीसी बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड के 252 ईडब्ल्यूएस भवन, सिग्नेचर ग्लोबल डेवलपर्स के 873 ईडब्ल्यूएस, जय अंबे एस्टेट के 147 ईडब्ल्यूएस, मैसर्स अराध्यम बिल्डर्स के 251 ईडब्ल्यूएस, मैसर्स यूरेका बिल्डर्स के 290 ईडब्ल्यूएस, मैसर्स एटीएस ग्रैंड रियलटर्स के 765 ईडब्ल्यूएस और मैसर्स अजनारा इंडिया के 318 ईडब्ल्यूएस के साथ कुछ अन्य बिल्डरों के प्रोजेक्ट की डीपीआर शासन को भेजी गई। दो-तीन बिल्डरों ने प्रोजेक्ट पर काम शुरू किए, जबकि कई ने प्रोजेक्ट से हाथ पीछे खींच लिए। ऐसे में वर्तमान में पीएम आवास के गिने-चुने प्रोजेक्ट पर ही काम चल रहा है।

डिमांड सर्वे के नए नियम ने जीडीए के बांधे हाथ
कानपुर विकास प्राधिकरण में पीएम आवास के तहत 40 हजार से अधिक भवनों का निर्माण होना था। इनमें से करीब 30 फीसदी भवनों का निर्माण केडीए की ओर से कर लिया गया, लेकिन खरीदार न मिलने के चलते परेशानी पेश आई। ऐसे ही अन्य प्राधिकरण में मांग से ज्यादा भवन तैयार होने के बाद शासन ने डिमांड सर्वे का नया नियम लागू किया। नए नियम के तहत किसी भी पीएम आवास प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले लोगों का रुझान जानने के लिए डिमांड सर्वे कराया जाता है। भवनों के मुकाबले दो गुना से अधिक आवेदन आने पर ही निर्माण कार्य शुरू किया जाता है। जीडीए ने भी नूरनगर, प्रताप विहार, डासना में और निवाड़ी में डिमांड सर्वे के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया।

जमीन नहीं मिलने से कई प्रोजेक्ट नहीं हो पाए शुरू
महानगर में प्रधानमंत्री आवास योजना में सबसे बड़ी रुकावट जमीन को लेकर आई। विभिन्न प्रोजेक्टों की डीपीआर तैयार करते वक्त जमीन का ही पेच फंसा। शहर में जमीन नहीं मिलने के बाद जीडीए ने शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम समाज की जमीन चयनित की, लेकिन शासन स्तर से ही कृषि से जुड़ी जमीन के भू-उपयोग परिवर्तन की लंबी कवायद के चलते कई प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही बंद हो गए। पीएम आवास में जमीन की कमी अभी भी बड़ी रुकावट बनी हुई है।

कोरोना काल में प्रधानमंत्री आवास की बढ़ी मांग
कोरोना काल में प्रधानमंत्री आवास योजना के भवनों की मांग में इजाफा हुआ है। वर्तमान में पीएम आवास के निर्माणाधीन पांच प्रोजेक्ट में से चार बीते सात माह में शुरू हुए हैं। इनमें नूरनगर में 480, प्रताप विहार में 720, डासना में 432 पीएम आवास शामिल हैं। निवाड़ी में पीएम आवास का निर्माण कार्य इसी माह शुरू हुआ है। जीडीए की ओर से निर्माण से पहले कराए गए डिमांड सर्वे में भवनों के मुकाबले दो से ढाई गुना आवेदन आए।

जीडीए सचिव संतोष कुमार राय ने कहा कि शासन के निर्देश पर डिमांड सर्वे में लोगों का रुझान देखने के बाद ही अब पीएम आवास प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू किया जा रहा है। कोरोना का दौर होने के बावजूद बीते कुछ माह में पीएम आवास से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ है। कई प्रोजेक्ट में भवनों की मांग कम होने के चलते शासन को लक्ष्य कम करने का पत्र लिखा गया है।साभार-अमर उजाला

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