मध्यप्रदेश के गुना जिला में पांच बंधुआ मजदूरों को कथित तौर पर गर्म तेल से सिक्का निकालने की सजा दी गई। ये मामला तब सामने आया जब पांचों मजदूर किसी तरह वहां से भाग निकले और उन्होंने जिला प्रशासन से इसके बारे में शिकायत की। इसके बाद प्रशासन ने वहां से 20 से ज्यादा लोगों को बचाया, जिनमें से 11 नाबालिग थे।
राघोगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के मुताबिक, मजदूरों को सजा सुनाई गई थी क्योंकि उन्हें तरल गुड़ थूंकते हुए देखा गया था, जो वो तैयार करते थे। मजदूरों की माने तो 15 लोगों को मंदिर ले जाया गया, जहां उन्हें देवी के सामने अपनी गलती स्वीकार करनी थी और इसके बाद उन्हें गर्म तेल में हाथ डालकर सिक्का बाहर निकालने के लिए कहा गया।
पुलिस ने रोमन कंजर को गिरफ्तार कर लिया है, जिनकी जमीन पर ये बंधुआ मजदूर काम करते थे और जिसने इस सजा के लिए मजदूरों को मजबूर किया था। हालांकि घायल मजदूरों को सरकारी अस्पताल में इलाज मिल गया है।
18 साल का राजू शेरिया, जो भागने में कामयाब रहा था, ने कहा कि मेरे साथ कुछ और मजदूरों ने भी सिक्के बाहर निकाले थे लेकिन कई लोगों ने मना कर दिया था और उनकी पिटाई हुई थी। अगले दिन राजू वहां से भाग निकला। राजू का कहना है कि उसने 16 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। राजू, राजपूरा गांव का निवासी है और चारों बच्चों में सबसे बड़ा है।
राघोगर के उपखंड अधिकारी अक्षय कुमार तेरावाल का कहना है कि मजदूर प्रशासन और पुलिस से भी डरे हुए थे, हमने उन्हें आवाज और भोजन दिया ताकि शिकायत दर्ज करने के लिए उन्हें विश्वास में लिया जाए। तेरावाल ने कहा कि शिकायत में ये पाया गया कि 15 मजदूर बंधुआ मजदूर के तौर पर काम करते थे, जिन्हें न्यूनतम वेतन से भी कम पैसे मिलते थे और कोई छुट्टी नहीं मिलती थी।
इन बंधुआ मजदूरों को उनके घर भेजा गया। तेरावाल ने कहा कि उन्हें सरकार की ओर से पुनर्वास के लिए 20,000 रुपये दिए जाएंगे। शेरिया ने बताया कि कंजर हमें दो वक्त का खाना और साल का 25,000 रुपये देता था। हम उसके घर के पीछे एक परिसर में एक छोटे से छज्जे के नीचे रहते थे।
भागने के बाद शेरिया और बाकी मजदूर बंधुआ मजदूर लिबरेशन फ्रंट के जिलाध्यक्ष नरेंद्र भदौरिया से मिले, जिन्होेंने जिला प्रशासन से मदद ली। इस टीम ने 16 लोगों को बचाया, जिसमें पांच नाबालिग और एक महिला शामिल थी। भदौरिया ने बताया कि सरकारी सर्वे के मुताबिक, गुना जिले में 60 मजदूर बंधुआ मजदूरी के आधार पर काम करते हैं लेकिन हमारी जानकारी के मुताबिक, कम से कम पांच हजार लोग इसके तहत काम करते हैं।
कुछ मजदूरों को यहां से बचाया भी गया लेकिन मजबूरी में वो वापस फिर उसी जगह चले गए क्योंकि सरकार उन्हें पर्याप्त पुर्नवास की सुविधा नहीं दे पाई और उन्हें रोजगार नहीं दिया। राघोगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ एमएम मालवीय ने कहा कि हम मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और उसके आधार पर कंजर पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।साभार-अमर उजाला
आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post