गाजियाबाद। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 7 जिलों से होते हुए यमुना में समाहित होने वाली हिंडन नदी जल्दी ही साफ नजर आएगी। इसके लिए 1 मार्च से सफाई अभियान की शुरुआत की जाएगी। सात जनपदों के लाखों लोगों के लिए जीवनदायिनी इस नदी के प्रदूषित पानी को निर्मल बनाकर हिंडन नदी को पुराना स्वरूप दिया जाएगा। इस नदी का उद्गम स्थल सहारनपुर जिला है और दिल्ली से कुछ दूरी पर यह यमुना में मिल जाती है। फिलहाल इसका पानी इतना दूषित है कि इसमें जलीय जीव भी नहीं जीवित रह पाते हैं।
हरित पुरूष के नाम से प्रसिद्ध विजय पाल बघेल ने इस नदी को स्वच्छ और साफ बनाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने शनिवार को इस बारे में मीडिया से बात की। विजय ने बताया कि ब्रिटिश शासन में हरनंदी का नाम बदलकर हिंडन कर दिया गया था। अब इसे फिर से हिंडन को हरनंदी बनाने का वक्त आ गया है। इसके लिए 1 मार्च से सहारनपुर से गौतमबुद्ध नगर तक यमुना की इस सहायक नदी के सफाई की मुहिम शुरू की जाएगी।
नदी के तटवर्ती इलाकों में बसे गांवों और नगरों के लोगों को इसके पानी को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए जागरूक किया जाएगा। बिना उनकी सहभागिता के यह संभव नहीं है। सरकार से भी नदी की सफाई से जुड़े जरूरी कदम उठाने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनका मकसद हरनंदी की उस ऐतिहासिक विरासत को अगली पीढ़ी तक अक्षुण्ण पहुंचाना है।
सात जिलों से गुजरती है
सहारनपुर के ऊपरी शिवालिक पर्वत माला स्थित पुरकाटांडा गांव हिंडन का उद्गम स्थल है। यह नदी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर से होते हुए दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना में समाहित हो जाती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेहतहाशा उद्योगों की स्थापना ने इस नदी को गंदे नाले में तब्दील कर दिया है। इंसान तो दूर, इसके विषैले जल में जलीय जीव भी नहीं पनप पाते हैं।आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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