इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति को बदल दिया है। विवाद चीन के इस कृत्य को लेकर है जिसे वह अपने नए-नए
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के एक हालिया बयान को आधार बनाकर चीन ने भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा की भूमिका निभाने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बदलने की अपनी इकतरफा कार्रवाई को जायज ठहराने की कोशिश की है। दुनिया में जिसको भी संबंधित घटनाक्रम की जानकारी है, उसे यह प्रयास हास्यास्पद ही लगेगा। सड़क परिवहन राज्य मंत्री और पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने रविवार को एक कार्यक्रम में एलएसी के पास बरसों से चली आ रही स्थिति को लेकर यह टिप्पणी की थी कि वहां दोनों तरफ के सैनिकों से गश्त के दौरान सीमा रेखा पार कर जाने की गलती होती रही है। चीन ने इस बयान को लपक लिया और उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया कि भारत ने अनजाने में घुसपैठ की बात कबूल कर ली है।
बहरहाल, इस तरह की चालाकियों से चीन को कुछ हासिल नहीं होने वाला है। हमारे नेताओं और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को अंतरराष्ट्रीय सीमा विवाद से जुड़े मसलों पर बात करते हुए अधिक सतर्क रहना चाहिए, लेकिन वीके सिंह ने जो कुछ कहा उसकी सचाई साबित करने के लिए दोनों तरफ की सेनाओं के पास पर्याप्त दस्तावेज हैं। अभी मामला गश्त के दौरान सैनिकों का गलती से एक-दूसरे के इलाके में चले जाने का नहीं बल्कि दूसरे के इलाके में आकर वहां कब्जा जमा लेने का है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति को बदल दिया है।
विवाद चीन के इस कृत्य को लेकर है जिसे वह अपने नए-नए दावों के जरिए सही ठहराने में जुटा हुआ है। उसकी फौजें जिस दिन पुरानी जगहों पर चली जाएंगी, हालात उसी दिन सामान्य हो जाएंगे। दोनों देशों के रिश्ते चीन के विश्वासघाती रवैये की वजह से ही बिगड़े हैं। उसके अड़ियलपने के कारण ही तमाम कोशिशों के बावजूद सीमा पर तनाव कम करना संभव नहीं हो पा रहा। दोनों देशों के बीच किसी तरह की मध्यस्थता की गुंजाइश भी नहीं है। फौज वापसी की राह भारत और चीन को आपस में ही मिलकर निकालनी होगी। इसके लिए फिलहाल पहला लक्ष्य यही हो सकता है कि जब तक यथास्थिति की वापसी नहीं होती, तब तक दोनों तरफ सैनिकों की तैनाती में कमी लाई जाए।
चीन अगर हालात सुधारने में अपनी तरफ से कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा तो इसकी वजह यह भी हो सकती है कि यह स्थिति उसे सूट करती है। सीमा पर सैनिकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति से उसके लिए तिब्बत के सीमावर्ती इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करना, नई बस्तियां बसाना और पाकिस्तान के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय व्यापार का नया रूट बनाना आसान हो जाएगा। पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेनाओं की अतिरिक्त तैनाती के साथ ऐसी कोई महत्वाकांक्षी योजना नहीं जुड़ी है। ऐसे में बाकी दुनिया के साथ मिलकर चीन को उसकी मर्यादा में रखने के दीर्घकालिक लक्ष्य पर आगे बढ़ते हुए भी हमारे लिए अच्छा यही होगा कि सीमा पर तनाव जल्द से जल्द कम हो और हमारे फौजी खर्चे नियंत्रित रहें।साभार-नवभारत टाइम्स
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