यूपी के बागपत जिले के रहने वाले मनोज आर्य गन्ने की खेती करते हैं और खुद इसकी प्रोसेसिंग कर ऑर्गेनिक गुड़ तैयार करते हैं।
बागपत से लगभग 15 किलोमीटर दूर एक गांव है ढिकाना। गांव में घुसते ही आपको गुड़ की सौंधी खुशबू का एहसास होगा। ये गुड़ पूरी तरह ऑर्गेनिक और सेहत के लिए फायदेमंद है। दो साल पहले इसी गांव के मनोज आर्य ने ऑर्गेनिक गुड़ बनाना शुरू किया था। अब वे रोल मॉडल बन गए हैं। गांव के ज्यादातर किसान उनसे ट्रेनिंग लेकर ऑर्गेनिक गुड़ तैयार कर रहे हैं और अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। खुद मनोज हर साल 5-6 लाख रुपए गुड़ बेचकर कमा लेते हैं।
IAS बनने का सपना था, सिलेक्ट नहीं हुए तो समाज सेवा से जुड़ गए
मनोज की कहानी दिलचस्प है। वे कई राह से गुजरकर इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वे IAS बनना चाहते थे, 1994-95 में पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए। दिल्ली में रहकर उन्होंने कई सालों तक तैयारी की, लेकिन सफल नहीं हो सके। इसके बाद वे सामाजिक सरोकार से जुड़े काम करने लगे। साल 2006 में वे एक RTI (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता के रूप में अरविंद केजरीवाल की टीम से जुड़ गए। इस दौरान उन्होंने 700 से ज्यादा RTI फाइल की। इसको लेकर उन पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए।
इसके बाद मनोज अन्ना आंदोलन से जुड़ गए। कई मंचों पर उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। बाद में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तो वे भी उससे जुड़ गए। वे पार्टी में कई पदों पर रहे, लेकिन वक्त बीतने के बाद 2016 में राजनीति से उनका मन ऊब गया। वे अब कुछ नया करने का प्लान करने लगे।
किसानों के वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़े तो आया खेती का आइडिया
मनोज के पिता रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं। एक भाई दिल्ली में लेक्चरर है और दूसरा भाई बागपत के बड़ौत में एक स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर तैनात है। घर में खेती पहले से थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता था। मनोज की भी खेती में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
मनोज कहते हैं कि जब मैंने राजनीति छोड़ी तो एक मित्र ने मुझे किसानों के वॉट्सऐप ग्रुप से जोड़ दिया। उसमें तरह-तरह के कंटेंट और वीडियो आते थे। इसमें खेती से जुड़े वीडियो भी आते थे। इन सबको देखते-देखते मेरी रुचि खेती की तरफ होने लगी। चार साल पहले पिता और भाइयों की मदद से मैंने गन्ने की खेती शुरू की। चूंकि मैं इस फील्ड में नया था, खेती का कोई अनुभव नहीं था। इसलिए फसल उत्पादन के बाद मुझे चीनी मिलों के चक्कर काटने पड़े, काफी वक्त भी जाया हुआ और कुछ खास मुनाफा भी नहीं हुआ।
यूट्यूब से सीखी ऑर्गेनिक खेती
पहली बार खेती में नुकसान हुआ तो मनोज को थोड़ी तकलीफ हुई, लेकिन वे निराश नहीं हुए। उन्होंने अब नए तरीके से खेती करने का इरादा किया। वे यूट्यूब पर खेती से जुड़े वीडियो देखने लगे। गन्ने की खेती और बेहतर, और इनोवेटिव तरीके से कैसे की जा सकती है, इसको लेकर वे लगातार ऑनलाइन सर्च करते रहते थे। इसी दौरान एक किसान ने उन्हें गन्ना बेचने के बजाय गुड़ बनाकर बेचने का सुझाव दिया। मनोज को यह आइडिया पसंद आया और अगले साल उन्होंने चार-पांच हजार रुपए खर्च कर गुड़ बनाना शुरू कर दिया।
कैसे तैयार करते हैं गुड़?
मनोज ऑर्गेनिक गुड़ तैयार करते हैं। वे बताते हैं कि इसकी प्रोसेसिंग में बहुत ज्यादा खर्च नहीं आता है। 10 हजार रुपए से भी कम में इसका सेटअप तैयार किया जा सकता है। एक बार जब फसल तैयार हो जाए तो उसे खेत से काट लेते हैं। इसके बाद गन्ने को अच्छी तरह से साफ किया जाता है ताकि कहीं कोई गंदगी नहीं रहे। फिर मशीन की मदद से गन्ने का रस निकाला जाता है। इस रस को पहले कड़ाही में गर्म किया जाता है। जब यह खौलने लगता है तो इसे दूसरी कड़ाही में डाल दिया जाता है। इसके कुछ देर बाद इसे तीसरी कड़ाही में शिफ्ट किया जाता है। ये सबसे अहम स्टेप होता है। इसमें हम गुड़ को अच्छी तरह से प्योरीफाई करते हैं और खुशबू के लिए अलग-अलग फ्लेवर यूज करते हैं। कुछ देर बाद ये गुड़ मार्केटिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। जिसे हम मनचाहे आकार में काट कर पैक कर सकते हैं।
कैसे करते हैं मार्केटिंग?
सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान मनोज के अलग-अलग शहरों में मित्र बन गए थे। गुड़ तैयार करने के बाद उन्होंने अपने मित्रों से संपर्क किया और ऑर्गेनिक गुड़ की खासियत बताई। उन्होंने कुछ गुड़ पार्सल किया। उनके दोस्तों को यह गुड़ काफी पसंद आया और वे फिर से इसकी डिमांड करने लगे। इस तरह मनोज का बिजनेस शुरू हो गया। उन्होंने सोशल मीडिया की भी मदद ली। कई ग्रुप और पेज बनाए और पोस्ट करना शुरू किया। इससे धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई।
अभी वे यूपी के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड समेत 6-7 राज्यों में गुड़ भेजते हैं। उनके गुड़ की कीमत 80 रुपए किलो तक होती है। आमदनी की बात करें तो जिस फसल से डेढ़-दो लाख रुपए नहीं आते थे, अब उससे 5 लाख रुपए से ज्यादा मनोज कमा रहे हैं।साभार-दैनिक भास्कर
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