गाजियाबाद के विकास क्रम में आरडीसी की परिकल्पना गाजियाबाद के व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को समस्त सुविधा प्राप्त केंद्र के रूप में स्थापित करने की थी। जिसका जिम्मा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को उठाना था। परंतु प्राधिकरण को शायद स्वयं ही पता नहीं था कि यहां का विकास कैसे करना है। 20 एकड़ में फैले आरडीसी की पहचान ऐसे कुख्यात स्थान के रूप में हो चुकी है, जो चारों तरफ ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहा है। बेतरतीब तरीके से खड़ी गाड़ियां, पार्किंग स्थल पर मोटर मैकेनिकों और कार सेल परचेज करने वालों के कब्जे से यह स्थान हलाहल है।
कमाल की बात यह है कि आरडीसी से जुड़े राजनगर में ही शहर के सारे बड़े अफसर रहते हैं परंतु उन्हें भी शायद काले शीशों वाली गाड़ियों में से भी कुछ नजर नहीं आता। खासतौर पर आरडीसी के सबसे पुराने प्रतिष्ठित व्यवसायी केंद्र, देवीका चेंबर, दुर्गा चेंबर और अंसल टावर में पार्किंग की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। वह दिन दूर नहीं जब बार-बार प्रशासन को अपनी परेशानियों से अवगत करा चुके यहां के बाशिंदे आंदोलन करने या धरने पर बैठने के लिए विवश होंगे।
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