- पीएफ में 2.5 लाख रुपए से ज्यादा का अंशदान किया तो ब्याज टैक्सेबल इनकम में जुड़ेगा
- यूलिप पॉलिसी में प्रीमियम 2.5 लाख रुपए सालाना से ज्यादा हुई तो उस पर छूट नहीं मिलेगी
इनकम टैक्स को लेकर बजट में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। यानी पिछले साल की ही तरह आपको इस साल भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो ऑप्शन मिलेंगे। बजट में इनकम टैक्स से जुड़े कानूनों में 10 बदलाव हुए हैं। इनमें सबसे बड़ी घोषणा है- 75 वर्ष से ज्यादा आयु वाले पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना पड़ेगा। यह ऐसे पेंशनर्स हैं जिनकी आय सिर्फ पेंशन और बैंक में मिलने वाले ब्याज से है। इनका टैक्स बैंक ही TDS के तौर पर काट लेगा।
इसके अलावा पीएफ पर ब्याज और यूलिप्स की प्रीमियम पर टैक्स छूट को सीमित किया गया है। अगर किसी व्यक्ति की सैलरी ज्यादा है और वह सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा का अंशदान एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) में करता है तो उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल इनकम में शामिल होगा। इसी तरह यूलिप्स पर 2.5 लाख रुपए से ज्यादा का सालाना प्रीमियम जमा करने पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी।
न तो स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा, न ही 80C की लिमिट बढ़ी
उम्मीद की जा रही थी कि नए विकल्प में नई छूट शामिल होगी। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। इसी तरह पुराने विकल्प में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपए से बढ़ाकर 80 हजार रुपए करने की मांग थी। 80C में मिल रही छूट को 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए करने की उम्मीद थी। पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसी किसी भी मांग को नजरअंदाज कर दिया।
सीए कार्तिक गुप्ता के मुताबिक पुराने सिस्टम में पहले की तरह इन्वेस्टमेंट पर टैक्स छूट मिलती रहेगी। वहीं, पिछले साल आए नए सिस्टम में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत 50 हजार तक की छूट ही मिलेगी। यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जो युवा हैं और जिन्होंने कोई इन्वेस्टमेंट नहीं किया है या टैक्स में छूट के लिए इन्वेस्टमेंट के डॉक्यूमेंट्स को संभालकर रखने के झंझट से बचना चाहते हैं।
जानिए दोनों विकल्पों में कितनी कमाई पर कितना टैक्स-
बजट में टैक्स पर की गई 10 महत्वपूर्ण घोषणाएंः
1. 75 साल से ज्यादा उम्र है तो रिटर्न की जरूरत नहींः सीए कार्तिक गुप्ता के मुताबिक देश की आजादी के 75वें वर्ष में 75 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों को टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट देना, एक अच्छा कदम है। लेकिन अगर रिफंड लेना है तो उन्हें रिटर्न फाइल करना होगा।
2. तीन साल पुराने टैक्स रिटर्न ही खुल सकेंगेः 50 लाख से कम आय के कर चोरी मामलों में पुराने रिटर्न खोलने की समय सीमा को 6 साल से घटाकर 3 साल किया गया है। इसके साथ ही 50 लाख से अधिक टैक्स चोरी के सबूत सामने आने पर ही 10 साल पुराने रिटर्न खोले जा सकेंगे। इसके लिए भी प्रधान आयकर आयुक्त की अनुमति आवश्यक होगी।
3. अफोर्डेबल हाउसिंग पर राहत बढ़ीः सरकार ने अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत 45 लाख रुपए तक का मकान खरीदने पर 1.5 लाख रुपए तक के ब्याज पर अतिरिक्त छूट जारी रखी है। यानी अब 31 मार्च 2022 तक नया मकान खरीदा तो टैक्स से छूट मिलती रहेगी।
4. पीएफ पर टैक्स फ्री ब्याज पर लिमिटः पीएफ पर मिलने वाले ब्याज को टैक्सेबल इनकम में शामिल किया है। ऐसे कर्मचारी जो पीएफ में 2.5 लाख रुपए या अधिक का अंशदान करते हैं, उन्हें ज्यादा कर चुकाना होगा। उन्हें मिलने वाले ब्याज को टैक्सेबल इनकम में शामिल किया जाएगा। यह सीमा 1 अप्रैल 2021 को या इसके बाद किए जाने वाले अंशदान पर लागू होगी।
5. यूलिप प्रीमियम पर टैक्स छूट की सीमा लगाईः बजट में यूलिप्स की प्रीमियम पर सेक्शन 10(10d) के तहत मिलने वाली छूट को सीमित किया है। अगर प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो टैक्स की छूट नहीं मिलेगी। यह मौजूदा यूलिप्स पर लागू नहीं होगा। 1 फरवरी के बाद बेची जाने वाली पॉलिसी पर ही यह सीमा लागू होगी।
6. डिजिटल लेन-देन वाले कारोबारियों को राहतः एक करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले कारोबारियों को टैक्स ऑडिट कराना पड़ता है, पर 95% डिजिटल लेनदेन करने वालों को पिछले साल 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर पर टैक्स ऑडिट से राहत दी थी। अब यह राहत बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए दी गई है।
7. अब फेसलेस अपीलेट ट्रिब्यूनलः केंद्र सरकार ने फेसलेस असेसमेंट और अपील के बाद अब अपीलेट ट्रिब्यूनल को भी फेसलेस बनाने की तैयारी की है। इसके लिए सरकार फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल सेंटर बनाएगी। ट्रिब्यूनल और अपील करने वाले व्यक्ति के बीच होने वाला सारा पत्राचार इलेक्ट्रॉनिक होगा। व्यक्तिगत सुनवाई की जरूरत पड़ी तो वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी।
8. विवाद से विश्वास स्कीमः इस स्कीम की डेडलाइन बढ़ाकर 28 फरवरी 2021 कर दी गई है। डिस्पुट्स रिजॉल्युशन कमेटी बनेगी। यह छोटे टैक्सपेयर्स के लिए मुकदमेबाजी कम करेगी। 50 लाख रुपए तक की टैक्सेबल इनकम और 10 लाख रुपए तक की विवादित इनकम से जुड़े मामलों में कमेटी से संपर्क किया जा सकेगा।
9. डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स में राहतः पिछले साल सरकार ने कंपनियों से मुनाफे के हिस्से के तौर पर मिलने वाले डिविडेंड को बांटने पर लगने वाला टैक्स हटाया था। यह जिम्मेदारी निवेशकों पर छोड़ी थी। इसमें ही राहत बढ़ाते हुए टीडीएस से छूट दी गई है। इसी तरह डिविडेंड से मिलने वाली आय पर एडवांस टैक्स जमा नहीं करना होगा।
10. अब रिटर्न में काफी कुछ पहले से भरा मिलेगाः इनकम टैक्स रिटर्न में अब तक सिर्फ सैलरी, टैक्स का भुगतान और TDS ही पहले से भरा होता था। अब कैपिटल गेन्स, डिविडेंड इनकम और ब्याज के तौर पर आय भी पहले से भरी होगी। यानी यह अमाउंट रिटर्न फाइल करते समय आपको नहीं बताना होगा।
जानिए आपकी कमाई के अनुसार आपको कितना टैक्स चुकाना होगा-
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्सः
VPTP कंपनी के पार्टनर गौरव सराफ के मुताबिक इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को कोई राहत नहीं दी है। इनकम टैक्स स्लैब्स या टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया है। जो छूट 2020-21 में मिल रही थी, वह ही मिलती रहेगी। असेसमेंट से लेकर अपीलेट ट्रिब्यूनल तक सबकुछ फेसलेस होने से भ्रष्टाचार कम हो सकेगा। यह एक अच्छा कदम है।
DVS एडवायजर्स एलएलपी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर दीवाकर विजयसारथी ने कहा कि रेट नहीं बढ़ाकर वित्तमंत्री ने एक तरह से बड़ी राहत ही दी है। 75 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों को दी गई राहत स्वागत योग्य है। डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वाले कारोबारियों के लिए टैक्स ऑडिट की लिमिट को 5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए किया गया है। पुराने रिटर्न खोलने की समयसीमा को घटाया गया है जो निवेशकों का विश्वास जगाएगा।
ब्रांच पर्सनल फाइनेंस ऐप की एमडी इंडिया सुचेता महापात्रा के मुताबिक वेतनभोगी टैक्सपेयर्स को राहत की सांस लेनी चाहिए कि पर्सनल इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। स्टार्टअप्स को टैक्स हॉलीडे दिया गया है, जो स्टार्टअप इकोसिस्टम पर दबाव कम करेगा। खासकर ऐसे समय जब कोविड-19 की वजह से पूरा साल उनके लिए खराब रहा है।
टैक्समंत्रा ग्लोबल के मैनेजिंग पार्टनर आलोक पाटनिया ने कहा कि स्टार्टअप्स के लिए टैक्स हॉलीडे एक और साल बढ़ाकर मार्च 2022 तक जारी रहेगा। सरकार ने वन-पर्सन कंपनियों को प्रोत्साहन देने की कोशिश की है, जिसका फायदा स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स को मिलेगा। यह स्टार्टअप्स में निवेश आकर्षित करेगा।साभार-दैनिक भास्कर
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