राजसमंद में बिन मां की इस 7 साल की बच्ची का दो माह से चचेरे भाई-भाभी ही शारीरिक और यौन उत्पीड़न कर रहे थे।
- 31 जनवरी 2021 को भास्कर ने प्रकाशित की थी राजसमंद में बिन मां की बच्ची से हैवानियत की खबर
- 7 साल की मासूम को चचेरे भाई-भाभी ने सिगरेट से दागा, नाखून उखाड़े, थाने गई तो पुलिस भगाया
राजसमंद में बिन मां की 7 साल की बच्ची से हैवानियत करने वाले उसके चचेरे भाई-भाभी के खिलाफ एफआईआर नहीं करने और थाने से पीड़ित को भगाने के मामले का मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर की कटिंग के साथ डीजीपी, आईजी और एसपी को नोटिस जारी करके पूछा है कि 15 दिन में बताएं कि मामले की एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों की गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि रविवार अवकाश होने के बावजूद इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता दिखाई।
मानवीय संवेदनाओं और मासूम पर जुल्म से जुड़ा है मामला
दैनिक भास्कर में प्रकाशित समाचार में बताया गया है कि राजसमंद जिले के भीम थाना क्षेत्र के थानेट गांव में 7 साल की मासूम के लिए अपने ही हैवान बन गए। बिन मां की इस बच्ची का दो माह से चचेरे भाई-भाभी ही शारीरिक और यौन उत्पीड़न कर रहे थे। आरोपियों ने मासूम को पहले तो निर्वस्त्र कर उल्टा लटकाया, इसके बाद गर्म सरिए और सिगरेट से जगह-जगह दाग दिया। यही नहीं उन्होंने मासूम के नाखून उखाड़े, गाल और कानों पर भी काटा।
आरोपी दंपती ऐसा पिछले दो महीने से कर रहे थे। शुक्रवार सुबह मासूम किसी तरह बचकर नजदीक के पुलिस थाने पहुंची तो पुलिस ने डांट फटकार कर भगा दिया। इसके बाद किसी स्थानीय ग्रामीण व्यक्ति ने मासूम बच्ची का वीडियो बनाकर उस पर हुए जुल्म की कहानी को बताया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तब मामला चाइल्ड लाइन तक पहुंचा। इसके बाद चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ताओं ने पीड़िता बच्ची के पास पहुंचकर जानकारी जुटाई। उसे शनिवार दोपहर को थाने लेकर पहुंची। तब पुलिस ने आरोपी किशन सिंह व पत्नी रेखा को गिरफ्तार किया।
मानवाधिकार विभाग ने कहा-यह मानवता को शर्मसार करने वाला मामला
मानवाधिकार के चेयरमेन जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बहुत ही जघन्य एवं घृणित घटना है. इससे मानवता शर्मसार हुई है। एक सात साल की बालिका पर किया गया अत्याचार एवं कुंठा पूर्ण व्यवहार सभ्य समाज पर एक दाग है। इस प्रकार की घटना समाज में फैल रही विकृति को दर्शाती है एवं घटते सामाजिक मूल्यों प्रतीक है।
न्यायाधीश के हस्तक्षेप के बाद दर्ज हुई थी रिपोर्ट
मानवाधिकार विभाग ने कहा कि राजसमंद के अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश नरेंद्र कुमार द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई। ऐसे संवेदनशील प्रकरण में पुलिस द्वारा लापरवाही एवं असंवेदनशील व्यवहार करना और राज्य की पुलिस की कार्य शैली पर प्रश्न चिह्न लगाता है।साभार-दैनिक भास्कर
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