देश की पहली कोरोना मरीज का इंटरव्यू:मैंने TV पर देखा कि केरल में पहला मरीज मिला है, तब सोचा नहीं था कि खबर मेरे बारे में है

प्रतीकात्मक चित्र

वुहान यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्रा जब घर लौटी तो जांच में संक्रमित पाई गई। (सिम्बोलिक इमेज)

केरल के त्रिशूर में 30 जनवरी 2020 को देश का पहला कोरोना केस सामने आया था। वुहान यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्रा जब घर लौटी तो जांच में संक्रमित पाई गई। 20 साल की छात्रा का तीन हफ्ते तक इलाज चला। दो बार टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पिछले साल 20 फरवरी को उसे अस्पताल से छुट्‌टी मिली। चीन के लिए हवाई यात्रा अभी प्रतिबंधित है, इसलिए छात्रा अभी ऑनलाइन क्लास कर रही है। हम छात्रा का नाम नहीं छाप सकते। जानिए उसकी कहानी, उसी की जुबानी…

खौफ इतना ज्यादा था कि मैं जिस सरकारी अस्पताल में भर्ती थी, वह पूरा खाली हो गया
मैं वुहान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी। वहां कुछ समय से एक रहस्यमयी बीमारी फैलने की चर्चाएं चलने लगीं। कोरोना का कहीं जिक्र नहीं था। इसी डर से मैं 24 जनवरी 2020 को त्रिशूर लौट आई। यहां पहुंची तो मुझे सूखी खांसी होने लगी। अस्पताल गई तो कुछ टेस्ट हुए। 30 जनवरी को रिपोर्ट आई, लेकिन मुझे नहीं बताया गया। मैं एक सरकारी अस्पताल में भर्ती थी।

अस्पताल के उस कमरे में एक टीवी लगा हुआ था। 30 जनवरी की शाम को खबरें चलने लगी कि त्रिशूर में देश का पहला कोरोना मरीज मिला है। मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि ये खबरें मेरे ही बारे में चल रही हैं, लेकिन मेरे परिवार को बता दिया गया था। तभी मैंने नोटिस किया कि अस्पताल में मरीज धीरे-धीरे घट रहे हैं।

दो दिन में ही वह पूरा अस्पताल खाली हो गया। तब मैं समझ गई कि वो मरीज मैं ही हूं। तब तक मेरी हालत में काफी सुधार हो चुका था। इसलिए घबराहट कम थी। मेरे संपर्क में आए 14 लोगों को क्वारैंटाइन कर दिया गया। इनमें मेरे पिता भी थे। मैं लंबे समय बाद परिवार के पास लौटी थी, लेकिन यहां तो परिवार के हर सदस्यों को अलग-अलग कर दिया गया। तीन हफ्ते तक एक ही कमरे में रही।

यह बहुत मुश्किल समय था। काउंसलर मुझे नियमित रूप से कॉल करते थे। इससे मेरा मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहा। दिन बहुत मुश्किल से कटता था। रात को सो नहीं पाती थी। बुरे-बुरे ख्याल आते थे। खैर, अब सब ठीक है। मैं नहीं जानती कि अब वुहान कब लौट सकूंगी। पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं। इसलिए ऑनलाइन क्लासेस ले रही हूं। लेकिन, ये काफी नहीं है। मेरी तरह और भी कई छात्र हैं, जो इसी तरह क्लासेस ले रहे हैं। सरकार यदि हम जैसे छात्रों को किसी भी कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दे तो हमारा करियर खराब होने से बच जाएगा।’

डॉक्टर बोले- हम बस उत्साह बढ़ाते थे, तब इलाज नहीं था
त्रिशूर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डॉ. रवि मेनन ने बताया, ‘हमें शुरुआती दौर में पता ही नहीं था कि हम किस महामारी से मुकाबला कर रहे हैं। मुझे आज भी याद है पिछले साल 30 जनवरी को शाम 4 बजे छात्रा के संक्रमित होने की रिपोर्ट आई। रात 11 बजे तक पूरे राज्य का स्वास्थ्य महकमा त्रिशूर आ गया। छात्रा को कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। मैंने उन सभी लोगों को कॉल किया जो मेरे संपर्क में आए थे। हम उस लड़की का लगातार उत्साह बढ़ा रहे थे, क्योंकि तब कोई स्पष्ट इलाज भी नहीं था।

कुछ बुखार वगैरह की बेसिक दवाएं देते रहे। उसके खाने-पीने और मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस किया। हमने उससे कहा कि दोस्तों और परिवार वालों से लगातार बात करते रहो। स्वास्थ्य मंत्री खुद रोज उसे फोन करके हालचाल पूछती थीं। इससे उसमें उत्साह बना रहा और वह धीरे-धीरे मानसिक तौर पर स्वस्थ हो गई। उसके बाद उसी अस्पताल में 8500 करोना मरीजों का इलाज किया गया।’साभार-दैनिक भास्कर

आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad

Exit mobile version