हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले सुरेश गोयल पिछले सात साल से फल और सब्जियों की खेती कर रहे हैं।
आज कहानी हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले सुरेश गोयल की। सुरेश पिछले 7 साल से ‘डेली इनकम मॉडल’ पर खेती और बागवानी कर रहे हैं। एक दर्जन से ज्यादा फल और सब्जियां वे उगा रहे हैं। इससे सालाना 30 लाख रुपए उनकी कमाई हो रही है। दिलचस्प बात यह है कि सुरेश किसी किसान परिवार से नहीं हैं। उन्होंने तो 32 साल तक बिजनेस किया। भारत के बड़े शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद आदि में ट्रांसपोर्टेशन का काम किया। खेती के लिए जमीन भी उनके पास नहीं थी। लेकिन, आज वे पूरी तरह किसान बन गए हैं। 18 एकड़ जमीन में खेती कर रहे हैं।
सुरेश के गांव के ज्यादातर लोग ट्रांसपोर्ट के बिजनेस से जुड़े हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद सुरेश भी चेन्नई चले गए और ट्रांसपोर्ट का काम करने लगे। उन्होंने तीन दशकों तक इस सेक्टर में काम किया। देश के कई शहरों में अपना नेटवर्क फैलाया। उसके बाद परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए। इसी बीच उनका गांव आना-जाना जारी रहा। वे छुट्टियों में अक्सर गांव आते रहते थे।
62 साल के सुरेश बताते हैं कि उनके बचपन में गांव में ज्यादा सुविधाएं नहीं थीं। गांव के लोगों को फल और सब्जियों के लिए दूर जाना पड़ता था। वे बताते हैं,’ एक बार मेरे मामा गांव आए। तब उन्होंने मां से पूछ लिया कि यहां फल वगैरह मिलता है कि नहीं। मां ने उनको ताना देते हुए कहा कि, ‘मुझे कौन-सा तुम लोगों ने बागों वाले के यहां ब्याहा था जो फल मिलेंगे’। बस उसी दिन से मेरे मन में यह बात रह गई कि मुझे अपने गांव में बाग लगाना है।’ इसके बाद साल 2012 में सुरेश ने अपना कारोबार भाइयों को सौंप दिया और गांव लौट गए। सबसे पहले वे कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में गए, वहां पर खेती-किसानी के गुर सीखे। फिर वे अलग-अलग सेमिनार और वर्कशॉप में भी जाने लगे।
सुरेश बताते हैं,’ मैंने हरियाणा और पंजाब के ही कई किसानों से मुलाकात की, जो ऑर्गेनिक खेती करते थे। उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। इसके बाद मैंने अपने गांव में 7 एकड़ जमीन खरीदी और खेती करना शुरू किया। सुरेश ने सबसे पहले फलों की खेती शुरू की। बाद में वे सब्जियां भी उगाने लगे। आज उनके बाग में अमरूद, मौसमी, नींबू, आंवला, जामुन, आडू, जामुन, अनार, लीची, सेब, नारंगी सहित 1500 फलों के पौधे लगे हैं। इसके साथ ही उन्होंने 20 लोगों को रोजगार भी दिया है, जो उनके खेतों में काम करते हैं।
सुरेश शुरुआत से ही जैविक खेती कर रहे हैं। खेतों से निकलने वाली खरपतवार और कचरे से ही वो खेतों के लिए खाद तैयार करते हैं। वे कचरे और खरपतवार को खेत में ही गड्ढा करके दबा देते हैं और फिर खाद बनने पर इसे खेतों में मिला देते हैं। इसके साथ ही पेस्टिसाइड्स की जगह नीम के तेल का इस्तेमाल करते हैं। इसी वजह से उनके गांव और आसपास के लोग उनके बाग से फल और सब्जियां खरीदना पसंद करते हैं।
डेली इनकम मॉडल कैसे तैयार किया
सुरेश बताते हैं कि किसान के लिए सबसे जरूरी है रोज कुछ न कुछ इनकम होना। इसलिए मैंने अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए, ताकि उपज लेने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़े। इसका फायदा ये हुआ कि मुझे अलग-अलग मौसम में अलग-अलग पेड़ों से उपज मिलती रहती है। फलों के अलावा अपनी जमीन के एक हिस्से में वह मौसमी सब्जियां भी लगाते हैं, जिनमें पत्ता गोभी, लौकी, आलू, गाजर, खीरा, कद्दू, तोरई, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां शामिल हैं। इससे हर सीजन के मुताबिक उनके पास फल और सब्जियों की उपलब्धता रहती है। वे अपने बगीचे में ही मंडी लगाते हैं जहां लोग फल और सब्जियां खरीदने के लिए आते हैं।
पढ़े-लिखे लोग खेती में आएं
सुरेश कहते हैं कि कई लोग हैं जो खेती को घाटे का सौदा मानते हैं। लोग कहते हैं कि खेती से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। लेकिन, यह सच नहीं है। असल में खेती सबसे बेहतर सेक्टर है जहां बहुत ही कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। सुरेश का मानना है कि पढ़े-लिखे लोगों को फार्मिंग सेक्टर में आना चाहिए। ताकि किसानों को भरोसा मिले, उन्हें सही तरीके से गाइड किया जा सके। खेती को अगर बिजनेस समझकर किया जाए, मौसम के हिसाब से सही फसलों का चयन किया जाए तो प्रति एकड़ दो लाख रुपए तक आराम से कमाया जा सकता है।साभार-दैनिक भास्कर
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