गाजियाबाद। ईमेल आईडी हैक कर वसुंधरा निवासी सरकारी अफसर से 10 करोड़ की रंगदारी उन्हीं के 10 वर्षीय बेटे ने मांगी थी। सीओ प्रथम व साइबर सेल की टीम ने कई दिनों की माथापच्ची के बाद यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। सीओ प्रथम अभय कुमार मिश्र ने बताया कि स्कूल में साइबर अपराध पर हुई कार्यशाला में बच्चे ने ईमेल हैक करना सीखा और उसे घर में ही इस्तेमाल कर दिया। कुख्यात गैंग की बजाय घर के ही बच्चे द्वारा रंगदारी मांगने की बात सामने आने पर अफसर के परिवार और पुलिस ने राहत की सांस ली है।
वहीं, 12 साल से कम उम्र होने के कारण अफसर के बेटे पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। सीओ प्रथम ने बताया कि अफसर का बेटा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है। करीब एक महीने पहले स्कूल में साइबर अपराध पर कार्यशाला हुई थी जिसमें साइबर अपराध के तरीके के साथ-साथ उसके बचाव के बारे में भी बताया गया। अफसर के बेटे ने उसे दिमाग में बैठा लिया और घर में ही उसे इस्तेमाल कर डाला।
उसने फर्जी ईमेल आईडी बनाई और 24 दिसंबर से पिता की मेल आईडी पर ही रंगदारी के मैसेज भेजने लगा। बेटे ने अफसर से कभी 10 लाख की तो कभी 10 करोड़ की रंगदारी मांगी। एक बार घर की डोर बेल तीन बार बजने के बाद मेल पर फिर से मैसेज भेजा गया तो अफसर ने पुलिस बुला ली थी। पुलिस के घर पहुंचने का मैसेज भी ईमेल पर आया था, जिसके बाद बदमाशों को साइबर एक्सपर्ट माना जाने लगा था। 23 जनवरी तक ईमेल पर मैसेज आने पर मामले की गंभीरता को देखते हुए इंदिरापुरम पुलिस ने केस दर्ज कर दिया था। खुलासे के लिए साइबर सेल के अलावा पुलिस की दो अन्य टीमें लगा दी गई थीं।
गुलाबी मोबाइल के मैसेज से गहराया परिजन पर शक
साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि बीते दिनों साइबर सेल की टीम सुबह 11 से शाम 6 बजे तक अफसर के घर रही। दो मोबाइल व डेस्कटॉप टीम के कब्जे में लिए। सभी ईमेल आईडी के पासवर्ड बदल दिए गए और अन्य बिंदुओं पर माथापच्ची भी की गई। लेकिन शाम तक बदमाशों का कोई मैसेज ईमेल पर नहीं आया। इसके बाद टीम अफसर के घर से गुलाबी रंग का एक मोबाइल साथ ले आई। पुलिस मुश्किल से दो किलोमीटर दूर ही पहुंची होगी कि अफसर की कॉल आ गई। अफसर ने बताया कि बदमाशों का मैसेज आया है, जिसमें पुलिस द्वारा गुलाबी रंग का मोबाइल ले जाने का भी जिक्र है।
इस मेसेज से पुलिस का माथा ठनका और घटना में परिवार के सदस्य के शामिल होने पर शक गहरा गया। पहले आदित्य का नाम लिया फिर दोस्त यमराज का। पुलिस टीम ने परिवार के सभी सदस्यों से पूछताछ की। अफसर के 10 वर्षीय बेटे पर जरा भी शक नहीं था, लेकिन उससे पूछताछ की तो पुलिस भी चौंक गई। शुरू में उसने बताया कि रास्ते में मिलने वाला आदित्य नाम का लड़का उससे ऐसा कराता था। विरोध करने पर वह उसे पटक-पटककर मारता था। बाद में उसने कहा कि उसके दोस्त यमराज ने उसे ऐसा करने को कहा था। पुलिस व परिजनों ने काउंसिलिंग की तो बच्चे ने सारा राज उगल दिया और सब कुछ अपने द्वारा करने की बात कबूली।
जो बच्चे के मन में आया, वह करता रहा
उसने बताया कि यू-ट्यूब पर मोबाइल हैकिंग की वीडियो देख उसने फर्जी आईडी बनाई और पिता का मोबाइल हैक कर लिया। न कोई मकसद और न योजना, जो मन में आया करता गया। सीओ प्रथम का कहना है कि बच्चे ने अपने पिता को ईमेल पर धमकी दी थी कि अगर पैसे नहीं दिए तो उनके आपत्तिजनक फोटो वायरल कर दिए जाएंगे। खुलासे के बाद बच्चे की घंटों काउंसलिंग की गई। इस दौरान पता चला कि बच्चे का न कोई मकसद था और न ही उसकी कोई योजना थी। जो बच्चे के मन में आया, वह करता रहा। इससे बच्चे की मनोदशा के बारे में पता चलता है। परिजनों को सलाह दी गई है कि वह बच्चे का मानसिक रोग विशेषज्ञ से उपचार कराएं। नादान उम्र में जो बात दिमाग में घर कर जाती है, बच्चा वही करने लगता है। उसे अच्छे-बुरे का पता नहीं होता।साभार-अमर उजाला
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