दारा शिकोह, यानी मुगल बादशाह शाहजहां का बेटा और औरंगजेब का बड़ा भाई। जिसकी हत्या 1659 में औरंगजेब ने ही करवा दी थी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम दारा शिकोह की बात क्यों कर रहे हैं? दरअसल, केंद्र सरकार काफी दिनों से दारा की कब्र तलाश रही है। अब खबर यह है कि इसकी पहचान कर ली गई है। बस अंतिम मुहर लगनी बाकी है।
दारा को भाजपा और संघ आदर्श लिबरल मुस्लिम शहजादा मानते हैं और उनकी विचारधारा को प्रमोट करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, हो सकता है कि जल्द ही सरकारी स्तर पर दारा की कब्र की पहचान पर अंतिम मुहर लग जाए और केंद्र सरकार इसके प्रचार- प्रसार और उसे संवारने के लिए कुछ ऐलान करे।
पिछले साल बनी थी कमेटी
पिछले साल सरकार ने दारा की कब्र का पता लगाने के लिए सात लोगों की एक कमेटी बनाई थी। ASI के निदेशक टीजे एलोन की अध्यक्षता में बनी कमेटी में केके मुहम्मद, आरएस बिष्ट, बीआर मणि, केएन दीक्षित, बीएम पांडेय, अश्विनी अग्रवाल और सैय्यद जमाल हसन शामिल हैं। कमेटी को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। कमेटी अपना काम करती उससे पहले ही कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया।
इसी बीच दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के इंजीनियर संजीव सिंह ने कब्र की पहचान का दावा कर दिया। इसके बाद यह मुद्दा फिर से जिंदा हो गया। हाल ही में 11 जनवरी को कमेटी के सदस्यों ने दिल्ली में हुमायूं के मकबरे पर जाकर कब्रों का मुआयना किया। इसके बाद ज्यादातर सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
दारा की कब्र अनसुलझी पहेली क्यों बनी
दारा शिकोह की हत्या मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर हुई थी। उन्हें कहां दफन किया गया? क्या उनका सिर कलम किया गया था? क्या दारा का सिर और धड़ अलग-अलग दफनाए गए थे? उस समय के किस रिकॉर्ड को विश्वसनीय माना जाए? इन सवालों के लेकर काफी दिनों से बहस चल रही है।
इन सवालों को लेकर काफी हद तक एक राय है कि दारा शिकोह को हुमायूं के मकबरे में दफनाया गया था, लेकिन यहां करीब 140 कब्रें हैं। इनमें से दारा की कब्र कौन सी है, इसकी पहचान करना मुश्किल काम है।
संजीव सिंह का दावा क्या है
संजीव सिंह के मुताबिक, हुमायूं के मकबरे में गुम्बद के नीचे 5 तहखाने हैं। इनमें से पांचवें तहखाने में मौजूद तीसरी कब्र दारा की है। संजीव सिंह कहते हैं, ‘पिछले कुछ वक्त से मैं दारा की कब्र को लेकर जानकारी जुटा रहा था।’
उन्होंने बताया कि मैंने अलग-अलग किताबों को पढ़ना शुरू किया। ज्यादातर किताबों में इस बात का जिक्र था कि दारा की हत्या के बाद उसे हुमायूं के मकबरे में दफना दिया गया। आलमगीरनामा एक तरह से औरंगजेब के शासनकाल का ऑफिशियल गजट है। यानी इसमें जो कुछ भी लिखा गया है, वो औरंगजेब की इजाजत के बाद ही लिखा गया है। इस किताब में लिखा है कि दारा को हुमायूं के मकबरे में गुम्बद के नीचे बने तहखाने में बादशाह और अकबर के दोनों बेटे दानियाल और मुराद की कब्र के पास दफन किया गया।
वे कहते हैं, ‘इसके बाद मैं हुमायूं के मकबरे पहुंचा। मुझे ऐसे तहखाने की तलाश थी, जिसमें तीन कब्र हों। वहां गुम्बद के नीचे कुल पांच तहखाने हैं। इनमें से केंद्र में हुमायूं की कब्र है। एक तहखाने में दो औरतों की कब्र है। बाकियों में चार औरतों और एक पुरुष की कब्रें हैं। पांचवें कमरे में तीन कब्रें हैं। इसमें दो एक जैसी और तीसरी अलग है। किताब के मुताबिक, ये तीसरी कब्र ही दारा की है।’
इस दावे से कौन सहमत, कौन असहमत
ASI कमेटी के ज्यादातर सदस्य संजीव सिंह के दावे से सहमत हैं। यानी अगर फैसला बहुमत के आधार पर होता है तो समझिए कब्र की खोज पूरी हो गई। भास्कर ने इसको लेकर कमेटी के पांच सदस्यों से बात की। डॉ. बीआर मणि, डॉ. बीएम पांडेय और केके मोहम्मद संजीव सिंह के दावे से पूरी तरह सहमत हैं, इनके मुताबिक पहेली सुलझ गई है। बीएम पांडेय तो यहां तक कहते हैं कि दारा की कब्र की पहचान हो गई है। भले ही इसका कोई नोटिफिकेशन न निकले। लेकिन, वहां सुंदरीकरण और बाकी काम कराए जा सकते हैं।
वहीं, डॉ. जमाल हसन संजीव के दावे से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि वहां 140 क्रबें हैं, इनमें से दारा की कब्र की पहचान करना संभव ही नहीं है। शाहजहांनामा में लिखा है कि अकबर के दोनों बेटों दानियाल और मुराद की मौत शराब पीने से बुरहानपुर में हुई थी। उनकी बॉडी यहां लाई गई, इसका जिक्र कहीं नहीं है।
भाजपा सरकार दारा की कब्र क्यों ढूंढ रही है
भारत में दारा शिकोह को एक उदार चरित्र माना जाता है। उसने कई हिंदू ग्रंथों का अध्ययन किया था। उसने 52 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया था। यही वजह है कि उसकी विचारधारा को RSS और BJP प्रमोट करती रही है।
सितंबर 2019 में दारा को लेकर दिल्ली में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें संघ के सर सहकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा था कि दारा शिकोह भारतीयता के प्रतीक थे। अगर वह सम्राट बनते तो भारत में इस्लाम ज्यादा फलता-फूलता।
इसके बाद अच्छा मुसलमान बनाम बुरा मुसलमान की बहस छिड़ गई थी। तब ओवैसी ने आरोप लगाया था कि जो मुसलमान उनकी आइडियोलॉजी के सामने सरेंडर कर दें, वो उनके लिए सेकुलर हैं, अच्छा मुसलमान है। अपने उसूलों से समझौता न करे वह उनके लिए बुरा मुसलमान है।
कब्र की पहचान के बाद क्या होगा
दारा की कब्र पर चर्चा के बहाने भाजपा आम मुसलमानों के बीच उसकी विचारधारा को प्रमोट करेगा। पाठ्यक्रमों में भी दारा को अलग जगह मिलेगी। ऐसी घोषणा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी कर भी चुके हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने भी अपने एक सेंटर का नाम दारा शिकोह के नाम पर कर दिया है।
कुल मिलाकर इन सारी कोशिशों का मकसद यह राजनीतिक संदेश देना होगा कि भाजपा सरकार मुस्लिम विरोधी नहीं, वह सिर्फ कट्टरपंथ का विरोध करती है।साभार-दैनिक भास्कर
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