रिलायंस अगले 6 महीने में अपनी ई-कॉमर्स ऐप जियो मार्ट को वॉट्सऐप से जोड़ने का प्लान बना रही है। यानी वॉट्सऐप पर एक ऐसा सेक्शन होगा, जिससे आप सीधे जियो मार्ट पर सामान ऑर्डर कर सकेंगे। पेमेंट भी वॉट्सऐप पर ही हो जाएगी। फिर कुछ ही मिनट में डिलीवरी बॉय ऑर्डर किए सामान को आपके घर के पास मौजूद रजिस्टर्ड किराना दुकान से लेगा और आपके घर पहुंचा देगा।
ग्रेहॉन्ड रिसर्च के चीफ एनॉलिस्ट और फाउंडर संचित वीर गोगिया कहते हैं, ‘टेक्नोलॉजी का यूज बढ़ने से छोटे दुकानदार, ई-कॉमर्स और मॉडर्न ट्रेड यानी सुपर मार्केट जैसे प्लेटफॉर्म्स से पिछड़ रहे थे। छोटे दुकानदार के पास इतना पैसा नहीं है कि वो सामान बेचने के लिए मोबाइल ऐप बना सकें। रिलायंस के पास टेक्नोलॉजी और निवेश करने के लिए पैसे हैं। जियो मार्ट से छोटे दुकानदार भी ई-कॉमर्स पर अपना सामान बेच पाएंगे।’
दुकानदारों को मिलेंगे ग्राहक और ग्राहकों को आसानी से सामान
नील्सन ग्लोबल के प्रसून बसु के मुताबिक, देश में करीब 70 लाख दुकानें हैं। अगर इनमें केमिस्ट की दुकान और पान की दुकानों को भी जोड़ लें तो यह संख्या 1 करोड़ से ज्यादा होती है। ऐसे में जियो मार्ट के वॉट्सऐप पर आने से किराना वालों को बिना कुछ किए हजारों नए ग्राहक मिलेंगे। ग्राहकों को आसानी से और जल्दी सामान मिल जाएगा।
वॉट्सऐप से जियो मार्ट पर कैसे ऑर्डर होगा?
वॉट्सऐप पर किए गए ऑर्डर वैसे ही होंगे, जैसे हम जोमैटो या स्विगी पर खाना ऑर्डर करते हैं। जब आप वॉट्सऐप पर किसी चीज के लिए सर्च करेंगे तो आपको अलग-अलग दुकानों से दाम और वैरायटी की जानकारी सहित प्रोडक्ट की लिस्ट भेज दी जाएगी। उनमें से किसी एक को चुनकर ऑर्डर कर सकेंगे। खास बात यह होगी कि पेमेंट के लिए भी वॉट्सऐप से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। वॉट्सऐप पेमेंट या जियो मनी के जरिए पे किया जा सकेगा।
रिसर्च फर्म कंवर्जन कैटलिस्ट के फाउंडर जयंत कोल्ला कहते हैं, ‘वॉट्सऐप पेमेंट और जियो के ग्रॉसरी दुकानदारों के साथ काम करने की घोषणा फायदेमंद है। आज पेटीएम और कई बैंक किराना दुकानों पर लाखों POS पेमेंट मशीन इंस्टॉल कर चुके हैं। यानी किराना दुकानदार ऑनलाइन पेमेंट के लिए तैयार हैं। सामान की लिस्ट और कैटलॉग के लिए दुकानदार पहले से ही वॉट्सऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब दोनों चीजें साथ आने से मार्केट का कलेवर बदल सकता है।’
वॉट्सऐप पर पहले से ही जियो मार्ट ले रहा है ऑर्डर
जियो मार्ट ग्रॉसरी सर्विस की शुरुआत जनवरी, 2020 में ही हो गई थी। इसके बाद अप्रैल में फेसबुक ने जियो में 9.99% की हिस्सेदारी खरीदने के लिए 43,574 हजार करोड़ रुपए की डील की। फिर जियो मार्ट ऐप एंड्रायड और आईओएस स्टोर पर आ गई। इसे एंड्रायड पर अब तक 1 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। साथ ही ग्राहकों को जियो मार्ट के वॉट्सऐप नंबर पर ग्रॉसरी ऑर्डर करने की सुविधा भी मिल गई। इसके लिए आपको जियो मार्ट के नंबर 88500 08000 पर ‘Hi’ लिखकर भेजना होता है।
देश के 200 शहरों में जियो मार्ट पर अभी नहीं जोड़े गए किराना दुकानदार
मई, 2020 में ही 200 शहरों में जियो मार्ट को शुरू कर दिया गया, लेकिन अबतक वह बात पूरी नहीं हो सकी है जिसकी रिलायंस चेयरमैन मुकेश अंबानी ने वॉट्सऐप-जियो डील के बाद घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, ‘जियो का नया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (यानी जियो मार्ट) और वॉट्सऐप मिलकर किराना दुकानदारों को मजबूत करेंगे।’
उनका कहना था कि इन दुकानदारों से सामान लेकर जियो मार्ट के जरिए कस्टमर को डिलीवर किया जाएगा। इससे दुकानदारों की कमाई होगी और कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अंबानी ने बाद में किसानों और MSME को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने की बात कही थी।
इस बात को 8 महीने से ज्यादा हो गए लेकिन अभी यह प्रक्रिया शुरु नहीं हुई है। जियो मार्ट के प्रमुख विशाल नाइक ने बताया, ‘अभी किराना दुकानदारों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इसे शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।’ जियो मार्ट से जुड़े हर्षद ने बताया कि ‘अभी ग्राहकों को रिलायंस फ्रेश और रिलायंस मार्ट के जरिए सामान की डिलीवरी की जा रही है।’
किराना दुकानदारों के रजिस्ट्रेशन की दो शर्तें हो सकती हैं-
1. जब रजिस्टर करेंगे तो एक वन टाइम बेसिक चार्ज लिया जा सकता है। इसे बाद में तिमाही, छमाही या सालाना के हिसाब से फिर चार्ज किया जा सकता है।
2. जियो मार्ट हर ऑर्डर पर दुकानदारों से कमाई का शेयर ले सकता है। जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऐप भी ऐसे ही पेमेंट लेते हैं।
इससे जियो और वॉट्सऐप कैसे करना चाहते हैं कमाई?
भारत में यह भले ही किसी मैसेजिंग ऐप के जरिए ई-कॉमर्स का यह पहला प्रयोग हो लेकिन चीन में ‘वीचैट’ ऐसा कर चुका है। वॉट्सऐप ने भी हाल ही में कुछ अपडेट किए हैं, जो बिजनेस एकाउंट्स के ऊपर लागू होने हैं। यानी जियो मार्ट को दिए जाने वाले ऑर्डर के आधार पर जियो और फेसबुक लोगों की रुचि को समझकर, उसके मुताबिक टारगेटेड ऐड भी दिखा सकेंगे।
सीए रचना रानाडे के मुताबिक वॉट्सऐप की पेरेंट कंपनी फेसबुक की 90% कमाई का जरिया ऐड हैं। अब वॉट्सऐप पेमेंट गेटवे के जरिए ट्रांजैक्शनल रेवेन्यू की कमाई भी कर सकता है। साथ ही वॉट्सऐप पेमेंट या जियो मनी के जरिए पे करने पर छूट देकर इनके यूजर बेस को भी बढ़ा सकता है।
कुछ ही बड़े खिलाड़ी पूरे रीटेल मार्केट पर करेंगे राज
इस पूरी प्रक्रिया में कुछ बड़ी कंपनियों के मार्केट का सर्वेसर्वा बन जाने का डर रहेगा। एक बड़ा डर यह भी रहेगा कि कंपनियां मार्केट में यूजर बेस बनाने के लिए कम दाम पर सामान बेच लोकल दुकानदारों का नुकसान कर दें। जोमैटो, रेस्टोरेंट चलाने वालों के साथ ऐसा कर चुका है। इसके बाद काफी बवाल हुआ था। इसके अलावा कंपनियां किसी चीज की डिलीवरी कम करके उसके दाम बढ़ा भी सकती हैं।
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, मध्य प्रदेश के महासचिव अनुपम अग्रवाल कहते हैं, ‘किराना मार्केट, रेस्टोरेंट, होटल और टैक्सी मार्केट जैसा नहीं है। यहां पहले से रेट तय होते हैं। इतना ज्यादा फायदा नहीं होता कि इसमें एक और हिस्सेदारी दी जा सके। किराना व्यापारी पहले ही बहुत कम मार्जिन पर काम कर रहे हैं। अगर जियो मार्ट छोटे दुकानदारों से कॉन्ट्रैक्ट करेगा तो इससे फायदे के बजाए नुकसान होगा।’
वह कहते हैं, ‘किराना व्यापार नमक, दाल और आटे का है। बड़ी और प्रोफेशनल कंपनियां अगर इस मार्केट पर हावी हुईं तो कुछ दिनों बाद आम लोगों के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी होने वाली हैं। किसी जमाने में बिग बाजार जैसे मॉडर्न ट्रेड फायदा देते थे, लेकिन अब लोग तेजी से उन्हें छोड़ रहे हैं।’
खरीदारों को अपने हाथों की कठपुतली बना सकती हैं कंपनियां
फिलहाल जब वॉट्सऐप और जियो मिलकर ऐसा कर रहे हैं तो इसे चुनौती देने के लिए अमेजन या फ्लिपकार्ट, एयरटेल और अन्य किसी मैसेजिंग ऐप से करार करके ऐसा कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो तेजी से किराना मार्केट डिजिटाइज होगा लेकिन खरीदार, इन कुछ खिलाड़ियों के हाथों की कठपुतली बन जाएंगे।
अमेजन और फ्लिपकार्ट के मार्केट पर प्रभाव को लेकर संचित वीर गोगिया सकारात्मक तरह से देखते हैं। उनका कहना है, ‘आने वाले कुछ साल में ई-कॉमर्स के बड़े खिलाड़ियों को मैसेजिंग ऐप का सहारा लेना पड़ेगा। हालांकि वॉट्सऐप ने ऐसा कभी नहीं कहा है कि वो केवल जियो मार्ट के जरिए ही बिजनेस करेगा। हो सकता है आने वाले दिनों में अमेजन और फ्लिपकार्ट भी इस ऐप पर आ जाएं।’
फिर से खड़ा हो सकता है नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा
इसके अलावा नेट न्यूट्रैलिटी भी इससे प्रभावित हो सकती है। आपको याद होगा कि साल 2016 में फेसबुक ने भारत में फेसबुक डेटा फ्री कर दिया था। यानी कि फेसबुक चलाने पर डेटा खर्च नहीं होता था। इसे ‘फेसबुक बेसिक्स’ कहा गया था लेकिन इसके बाद नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर बहस चल पड़ी थी। जिसके बाद यह प्लान रद्द करना पड़ा था। ऐसा फिर हो सकता है। अलग-अलग नेटवर्क अलग-अलग मैसेजिंग ऐप और ई-कॉमर्स ऐप को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे फिर नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा खड़ा होगा।साभार-दैनिक भास्कर
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