हरियाणा के जींद के रहने वाले सतबीर पूनिया थाई एप्पल बेर की खेती करते हैं। गांव के बच्चे उन्हें बेर वाले अंकल नाम से बुलाते हैं।
आज की कहानी हरियाणा के जींद में रहने वाले सतबीर पूनिया की। सतबीर 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन अभी जोश और जुनून युवाओं की तरह है। तीन साल पहले उन्होंने थाई एप्पल (बेर), अमरूद और आर्गेनिक सब्जियों की खेती करना शुरू किया था। आज वो 16 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। एक दर्जन से ज्यादा लोगों को उन्होंने रोजगार दिया है। इससे हर साल 40 लाख रुपए की कमाई हो रही है। अपने गांव के आसपास के इलाके में अब वे बेर अंकल के नाम से जाने जाते हैं।
सतबीर ने एग्रीकल्चर से बैचलर की पढ़ाई की। इसके बाद वे खेती करने लगे। वे कहते हैं, ‘पहले मैं पारंपरिक खेती करता था। लेकिन इसमें कमाई नहीं हो रही थी। इसके बाद मैंने बिजनेस शुरू किया। करीब 20 साल तक बिजनेस किया। कमाई ठीक-ठाक हो रही थी। लेकिन मुझे संतुष्टि नहीं मिल रही थी। इसलिए मैं हमेशा सोचता रहता था कि अब बिजनेस छोड़कर मुझे कुछ और करना चाहिए जिससे कि सोशल वर्क भी हो सके।’
25 हजार रुपए से की शुरुआत
सतबीर अपने बारे में बताते हैं, ‘मैं थोड़ा घुमंतू टाइप का आदमी हूं। अलग-अलग राज्यों में घूमता रहता हूं। इसी दौरान मुझे एक जगह थाई एप्पल बेर के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद 2017 में रायपुर से मैंने इसके पौधे मंगाए। जो मुझे 70 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से मिले। उस साल थाई एप्पल की खेती में मेरे 25 हजार रुपए खर्च हुए। उसके साथ ही मैंने अमरूद और नींबू के भी पौधे लगाए।’
वे बताते हैं कि जब खेत में थाई एप्पल के प्लांट लगाए तो लोगों ने मजाक उड़ाया। घर के लोग भी विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि ये क्या जंगली पौधा उठा लाए? लेकिन,पहले ही साल मुझे बेहतर रेस्पॉन्स मिला और उत्पादन अच्छा हुआ। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और अगले साल से मैंने खेती का दायरा बढ़ा दिया। अब फलों के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती भी होने लगी। आज उनके बाग में 10 हजार से ज्यादा पौधे हैं। दूर-दूर से किसान उनके खेती के मॉडल को समझने के लिए आते हैं। हरियाणा के कृषि मंत्री उनको सम्मानित भी कर चुके हैं।
मार्केटिंग कैसे की?
मार्केटिंग को लेकर सतबीर कहते हैं, ‘शुरुआत में मंडियों में जाकर अपने प्रोडक्ट को बेचता था। लेकिन इसके बाद मैंने अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाना शुरू कर दिया। इससे मेरे कारोबार को काफी मजबूती मिली। अब तो कई लोग मेरे खेत से ही प्रोडक्ट खरीद ले जाते हैं।लॉकडाउन के दौरान मैंने लोगों के घर जाकर फल और सब्जियां पहुंचाई हैं।’
जींद में पानी को लेकर भी बहुत परेशानी है। ग्राउंडवाटर का लेवल काफी नीचे है। इसको लेकर सतबीर ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने नहर के पानी को जमा करने की एक योजना बनाई और 21 लाख लीटर क्षमता का एक टैंक तैयार किया और इसमें पानी को सहेज लिया। अब इसकी मदद से वो पूरी फसल की सिंचाई करते हैं।
कैसे करते हैं थाई एप्पल बेर की खेती?
थाई एप्पल बेर की खेती साल में दो बार की जाती है। एक फरवरी से मार्च और दूसरी जुलाई से दिसंबर महीने में। इसके लिए किसी विशेष प्रकार की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। किसी भी जमीन पर इसकी खेती कर सकते हैं। साथ ही इसमें पानी की भी जरूरत कम ही होती है। एक सीजन में दो या तीन बार सिंचाई की जरूरत होती है। देश में आजकल कई जगहों पर इस प्रजाति के पौधे मिलते हैं। करीब एक साल में ये पौधे तैयार हो जाते हैं। सतबीर बताते हैं कि बेर के पौधों को पेड़ के बजाय झाड़ीनुमा रखकर ही हम बेहतर फसल ले सकते हैं। इसीलिए हर साल 5-6 इंच की कटाई करनी चाहिए।
कितनी कमाई होती है थाई एप्पल की खेती में?
सतबीर कहते हैं कि एक एकड़ जमीन पर थाई एप्पल की खेती में एक- डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है। करीब 170 पौधे लगते हैं जो एक साल में तैयार हो जाते हैं। पहले साल 30 से 40 किलो एक पौध से बेर निकलता है। लेकिन धीरे-धीरे प्रोडक्शन बढ़ने लगता है। तीन-चार साल में उत्पादन एक क्विंटल तक पहुंच जाता है। एक पौधा 20 साल तक फल देता है। वे कहते हैं कि अगर 30-35 रुपए किलो के हिसाब से भी ये बेर हम मार्केट में बेचें तो साल में तीन से चार लाख रुपए आसानी से मुनाफा कमाया जा सकता है।साभार-दैनिक भास्कर
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