धनंजय मुंडे पर बलात्कार के आरोपों पर क्यों चुप हैं महिला नेता?

उद्धव ठाकरे सरकार में सामाजिक विकास मंत्री धनंजय मुंडे पर बलात्कार के आरोपों से राज्य की राजनीति में काफी हलचल है. धनंजय मुंडे गठबंधन सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कोटे से मंत्री हैं.

महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील और बीजेपी नेता किरीट सोमय्या ने धनंजय मुंडे से इस्तीफ़ा मांगा है.

वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने मुंडे पर लगे आरोपों को गंभीर बताया है.

हालांकि राज्य कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की महिला नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. ये महिला नेता औरतों पर अत्याचार, महिला अधिकार और राज्य में महिलाओं के कल्याण के लिए नीतिगत मुद्दों पर बोलती रही हैं लेकिन इस मामले पर सब चुप हैं.

राज्य में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की महिला नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं कि महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सड़कों पर उतरने वाली कहां ग़ायब हो गई हैं?

तृप्ति देसाई

महिला मुद्दों पर भी राजनीति का चश्मा?

क्या महिला उत्पीड़न के मुद्दे को भी राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है? क्या ये लोग इसलिए चुप हैं क्योंकि इस बार उनकी अपने गुट के नेता पर आरोप लगे हैं?

भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने आरोप लगाया है कि धनंजय मुंडे मामले पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महिला नेताओं की चुप्पी उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है.

उन्होंने कहा, “धनंजय मुंडे पर एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है. पिछले चार दिनों से महाविकास अघाड़ी की किसी महिला नेता ने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा है. यह काफी दुखद है और इन महिला नेताओं के दोहरे रवैये को जाहिर करता है.”

तृप्ति देसाई सवाल उठाती हैं कि एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर, शिवसेना नेता नीलम गोऱ्हे और दूसरी तमाम महिला नेताएं कहां गुम हो गई हैं?

उन्होंने कहा, “हमारे नेता महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों पर अपनी सुविधा के हिसाब से बात करते हैं. अगर विपक्ष के नेता पर ऐसे आरोप हों तभी वे विरोध प्रदर्शन करेंगे.”

हालांकि इस मामले में धनंजय मुंडे पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला के ख़िलाफ़ भी शिकायत दर्ज कराई गई है. बीजेपी के नेता कृष्णा हेगड़े और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मनीष धुरी ने महिला के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है.

तृप्ति देसाई ने कहा, “महिला के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज होना भी चिंतित करने वाला पहलू है. हम उनसे पूछताछ की मांग करते हैं. लेकिन हमारा ये कहना है कि ऐसे मामलों में महिला नेताओं को बोलना चाहिए, भले आरोप उनके अपने ही दल के नेता पर क्यों ना लगे हों.”

हालांकि राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी की महिला मोर्चा ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है.

क्यों चुप हैं महिला नेता?

महाराष्ट्र में बीजेपी की राज्य उपाध्यक्ष चित्रा वाघ ने कहा, “पुलिस पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए. इस मामले में दोषियों का बचाव नहीं होना चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों ना हो. जांच पूरी होने तक धनंजय मुंडे को मंत्रालय से हटाया जाना चाहिए.”

“ऐसे मामलों में पीड़िता और परिवार पर दबाव डाला जा सकता है. सबूतों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है. आरोपों को नष्ट किया जा सकता है. नैतिक आधार पर धनंजय मुंडे को मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.”

धनंजय मुंडे के इस्तीफ़े की मांग के साथ बीजेपी राज्य महिला मोर्चा 18 जनवरी से राज्य व्यापी धरना प्रदर्शन शुरू करने जा रहा है.

वैसे महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों दलों में कई महिला नेता मौजूद हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में सुप्रिया सुले के अलावा विद्या चव्हान, रुपाली चाकनकर भी वरिष्ठ नेताओं में गिनी जाती हैं.

वहीं, कांग्रेस की यशोमति ठाकुर राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री हैं जबिक स्कूली शिक्षा मंत्रालय का जिम्मा भी वर्षा गायकवाड़ के पास है.

शिवसेना की नीलम गोन्हेविधान परिषद की डिप्टी स्पीकर हैं. वहीं एमएलसी मनीषा कायंदे और प्रियंका चतुर्वेदी भी चर्चित चेहरा हैं. लेकिन इन लोगों ने इस मामले में अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

यशोमति ठाकुर

‘कोई धनंजय मुंडे का बचाव नहीं कर रहा है’

एनसीपी की वरिष्ठ नेता विद्या चव्हा ने बीबीसी मराठी से कहा, “अब बात करने का कोई मतलब नहीं है. यह सब भयानक है. वे शादीशुदा हैं. विवाहेत्तर संबंध से उनके दो बच्चे हैं. अब एक अन्य महिला ने आरोप लगाए हैं. यह मामला काफी उलझा हुआ है. ये पूरा मामला क्या निकलता है, इसे देखना होगा. लेकिन कोई धनंजय मुंडे का बचाव नहीं कर रहा है. वैसे यह समझना होगा कि मुंबई में हनीट्रैप के मामले बहुत ज़्यादा देखने को मिलते हैं.”

एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “आरोपों के बाद मामले में कई ट्विस्ट आ चुके हैं. संवेदनशील मामला है. इस मामले में परिवार को भी समझना चाहिए. हमें पुलिस पर पूरा भरोसा है. पूछताछ के बाद हम इस पर बात करेंगे.”

चित्रा वाघ

वहीं दूसरी ओर शिवसेना की महिला नेताओं ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की और मामले को काफी पेचीदा बताया.

शिवसेना की नीलम गोन्हे ने बीबीसी मराठी से कहा, “मामले के सामने आने के बाद मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे को इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है और सरकार उचित कार्रवाई करेगी.” नीलम गोऱ्हे ने बताया कि ऐसे मामलों में पीड़िता को मदद की जरूरत होती है, हम उनकी शिकायत दर्ज कराने में या कानूनी मदद मुहैया कराते हैं लेकिन ये मामला अलग क्योंकि इसमें राजनीति भी शामिल है.

शिवसेना की एमएलसी मनीषा कायंदे ने बीबीसी मराठी से कहा, “ये मामला अचानक सामने आया और बहुत पेचीदा है. धनंजय मुंडे 2019 में अदालत में जा चुके हैं. शिकायत करने वाली महिला पर जिस तरह के आरोप लगे हैं उससे भी मामला उलझा है.”

नीलम गोन्हे

महिला आयोग की प्रमुख का पद खाली

बीबीसी मराठी ने महाराष्ट्र कांग्रेस की महिला नेताओं से इस मामले में प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की लेकिन कोई बातचीत के लिए उपलब्ध नहीं हुईं.

वैसे उद्धव ठाकरे को सरकार में आए एक साल से ज़्यादा समय हो चुका है. लेकिन अभी तक राज्य महिला आयोग के चेयरपर्सन की नियुक्ति नहीं हुई है और ना ही कोई समिति का गठन हुआ है.

एनसीपी की नेता विद्या चव्हान ने बीबीसी मराठी से बताया, “हमने महिला आयोग के पदों को भरने के लिए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार जी से बात की थी. हमने इस मामले में एक सूची भी दी है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई फ़ैसला नहीं हुआ है.”

महिलाओं की कई शिकायतों का निपटारा महिला आयोग के ज़रिए किया जाता है. पीड़ितों की आवाज सुनने के लिए भी महिला आयोग एक उपयुक्त मंच है. लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार में महिला आयोग की चेयरपर्सन का पद महीनों से खाली पड़ा हुआ है.

शिवसेना की एमएलसी मनीषा कायंदे ने बताया, “मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस बारे में लिखा है. मैंने चेयरपर्सन की नियुक्ति के अलावा जल्द ही समिति के गठन का अनुरोध भी किया है.”साभार-बीबीसी न्यूज़

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