पति-पत्नी के बीच की तकरार दफ्तरों तक पहुंचने लगी है। ये विवाद इस कदर अनसुलझे हो गए हैं कि अब पत्नियों ने पति के खिलाफ सूचना का अधिकार (आरटीआई) को अपना हथियार बनाया है। गोरखपुर में दो दर्जन से अधिक ऐसे मामले हैं, जिसमें पत्नियों ने पति के कार्यालय में आरटीआई दाखिल कर जानकारी मांगी है कि सर्विस बुक में पत्नी के कॉलम में किसका नाम दर्ज है। हालांकि ज्यादातर मामलों में दफ्तरों से जवाब देने से मना कर दिया गया तो अपील राज्य सूचना आयोग तक में की गई है।
पत्नी साथ रह रही थी पर सर्विस बुक में था किसी और का
पतियों पर यह अविश्वास अकारण भी नहीं है। हाल के दिनों में रेलवे में ही ऐसे दो मामले आ चुके हैं, जब पत्नियों के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई। पति के असामयिक निधन के बाद दावा ठोकने वाली दो-दो महिलाएं पत्नी के रूप में सामने आ गईं। जो पत्नी साथ रह रही थी, उसका नाम सर्विस बुक में दर्ज ही नहीं था। दावों के निपटारे के दौरान सर्विस बुक की जांच हुई तो उसमें पत्नी के रूप में दूसरी महिला का नाम मिला।
जब दो महिलाओं ने पत्नी होने का दावा ठोका
इसी तरह बस्ती में एक एडेड इंटर कॉलेज में शिक्षक की मौत के बाद भी दो साल तक पत्नी पेंशन व अन्य सुविधाओं से महरूम रही। वहां भी दो महिलाओं ने पत्नी होने का दावा ठोका था। सर्विस बुक में पत्नी के रूप में किसी और महिला का नाम जबकि बैंक व मकान घर में साथ रहने वाली पत्नी के नाम मिला। काफी जद्दोजहद के बाद समझौते के बाद शपथपत्र दाखिल होने के बाद पेंशन शुरू हो सकी। इस तरह के वाकये सामने आने से अब महिलाएं सजग हो रही हैं।
बीएसए बीएन सिंह ने बताया कि आरटीआई के तहत कई आवेदन आए हैं, जिसमें महिलाओं ने सर्विस बुक में पत्नी के कालम में दर्ज नाम की जानकारी मांगी है। इस तरह की सूचना बेहद निजता का मामला है। ऐसे में ऐसी सूचनाए नहीं दी जा सकती हैं।साभार-हिंदुस्तान न्यूज
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