मनीष IIM ग्रेजुएट हैं। जबकि आदित्य ने इंजीनियरिंग की है। अब दोनों साथ मिलकर काम करते हैं।
- रांची के रहने वाले मनीष पीयूष ने अपने बचपन के दोस्त आदित्य के साथ मिलकर प्योरेश डेली नाम से डेयरी स्टार्टअप शुरू किया है
- मनीष 14 देशों में काम कर चुके हैं, उनका कहना है कि अब वे अपने स्टार्टअप के जरिए डेयरी फाॅर्म्स के ओयो बनना चाहते हैं
आज की पॉजिटिव खबर झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले मनीष पीयूष और उनके दोस्त आदित्य कुमार से जुड़ी है। मनीष IIM ग्रेजुएट हैं और 14 देशों में काम कर चुके हैं। साल 2017 में वो मुंबई में टाटा मोटर्स के जनरल मैनेजर के रूप में भारत लौटे। इस दौरान वो मोमेंटम झारखंड नाम के एक कार्यक्रम में शामिल होने रांची आए। कुछ दिनाें बाद मनीष ने सालाना एक करोड़ के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर दोस्त के साथ जनवरी 2019 में अपनी सेविंग्स के 10 लाख रुपए से रांची में डेयरी स्टार्टअप प्योरेश डेली (Puresh Daily) की शुरुआत की।
मनीष का यह स्टार्टअप उनके 1500 से अधिक ग्राहकों को उनके दरवाजे पर गाय का ऑर्गेनिक दूध और 35 तरह के केमिकल मुक्त डेयरी प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराता है। आज उनकी कंपनी का वैल्युएशन 15 करोड़ रुपए के आसपास है और उनका एनुअल टर्नओवर तीन करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
मनीष और आदित्य को सम्मानित करते झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास। मनीष ने दोस्त के साथ मिलकर तीन साल पहले इस काम की शुरुआत की थी।
मनीष और आदित्य दोनों ने ही अपनी शुरुआती पढ़ाई रांची में ही की, फिर बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा (रांची) से इंजीनियरिंग की। बाद में, हायर स्टडीज के लिए दोनों को अपने गृहनगर को छोड़ना पड़ा। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद मनीष ने झारखंड में टाटा ग्रुप में मार्केटिंग का काम किया। कुछ वर्षों के बाद फिर IIM-इंदौर से MBA किया। बाद में दोबारा टाटा ग्रुप में अच्छी पोजीशन पर विदेश चले गए।
‘मोमेंटम झारखंड’ कार्यक्रम में आया तो सोचा, अब झारखंड में ही स्टार्टअप करना है
37 बरस के मनीष पीयूष बताते हैं, ‘मैंने 2009 से 2017 तक करीब 14 देशों में काम किया। फिर 2017 में टाटा मोटर्स के जनरल मैनेजर के रूप में मुंबई लौटा। इस दौरान, मेरे गृहनगर रांची में व्यावसायिक संभावनाओं पर ‘मोमेंटम झारखंड’ नाम का एक कार्यक्रम हो रहा था। इस कार्यक्रम में जब मैं टी ब्रेक के दौरान कॉन्फ्रेंस हॉल के बाहर खड़ा था, तो मैंने कुछ लोगों को बात करते सुना कि इस तरह के कॉन्फ्रेंस सिर्फ दो दिनों के लिए होते हैं, लेकिन झारखंड वहीं का वहीं रहता है।’
वे कहते हैं, ‘इसके बाद मैंने अपने बचपन के दोस्त आदित्य को फोन करके पूछा कि क्या वह अपने गृहनकर रांची वापस आकर साथ में कुछ करना चाहते हैं। इसके बाद हम दोनों ने रांची वापस आने के लिए 2017 में अपनी-अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। फिर हमने सोचना शुरू किया कि क्या करना चाहिए। हमें पता था कि टेक्नोलॉजी किसी भी व्यवसाय के लिए जरूरी होगी। चूंकि आदित्य सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट था, तो हमने सभी तरह की बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के लिए कस्टमाइज सॉफ्टवेयर बनाकर बेचने का काम शुरू किया। हम सॉफ्टवेयर डेवलप करके अलग-अलग बिजनेस को समझने की कोशिश कर रहे थे।’
मनीष और आदित्य दोनों ने ही अपनी शुरुआती पढ़ाई रांची में ही की, फिर बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा (रांची) से इंजीनियरिंग की।
गायों के भोजन में बदलाव किया तो 3.6 से 4 प्रतिशत के बीच मिला प्रोटीन
मनीष और आदित्य का जीवन तब बदला जब उन्हें झारखंड में एक मिल्क प्रोसेसिंग कंपनी के लिए सॉफ्टवेयर डेवलप करने का प्रोजेक्ट मिला। जब वो पूरे प्रोसेस को समझने प्लांट पर गए, तो ये देखकर चौंक गए कि हम जो दूध पी रहे थे, उसकी प्रक्रिया में काफी रसायन का इस्तेमाल होता है जो लॉन्ग टर्म में हमारी सेहत के लिए खतरनाक है। इसके बाद ही हमें अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का बिजनेस शुरू करने का आइडिया आया। फिर हमने पांच गाय खरीदीं और कुछ महीनों तक दूधियों जैसा जीवन जिया।
मनीष कहते हैं, ‘प्राचीनकाल में गायें जड़ी-बूटियां खाती थीं और दूध का उत्पादन करती थीं। उनका दूध औषधि की तरह काम करता था। हमने भी गायों के भोजन में बदलाव किया और जाे रिजल्ट चौंकाने वाला मिला। वे बताते हैं, ‘उस समय फेमस ब्रांड के दूध में प्रोटीन की मात्रा 2.9 प्रतिशत थी। जबकि हमें दूध में प्रोटीन 3.6 से 4 प्रतिशत के बीच मिला। ये हमारा पायलट प्रोजेक्ट था। इसके बाद जनवरी 2019 में हमने रांची में लोगों के बीच अच्छी गुणवत्ता वाले गाय के दूध की डिलीवरी सर्विस के साथ Puresh Daily की शुरुआत की। बाद में हमने इसमें रासायनिक मुक्त मिठाई, पनीर, गाय का घी, दही, को भी शामिल किया।’
10 लाख रुपए की पूंजी लगाकर की थी स्टार्टअप की शुरुआत
मनीष के पार्टनर आदित्य बताते हैं कि हमने अपने बिजनेस की शुरुआत में अपनी सेविंग्स के 10 लाख रुपए बतौर पूंजी लगाए। दूध की गुणवत्ता को मेंटेंन करने के लिए हम अपनी गायों को खिलाने के लिए अपने खेत में चारा और अन्य जड़ी-बूटियां उगाते हैं। वर्तमान में, हमारे पास 100 गाय हैं। इसके अलावा 80 लोगों को रोजगार भी दिया है। हम उन डिलीवरी बॉयज को हायर करते हैं जिनके पास अपनी बाइक होती है। हमारे अधिकांश डिलीवरी बॉयज कॉलेज गोइंग स्टूडेंट हैं। स्टार्टअप के शुरुआती 6 महीनों में हमें काफी अच्छा रिस्पांस मिला। पहले ही साल हमारी कंपनी का टर्नओवर 1.2 करोड़ रुपए रहा।’
मनीष कहते हैं, ‘हमने रांची के आसपास के जिलों के बड़े फॉर्म्स जो 400-500 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं, और हाइजीन का ध्यान रखते हैं, उन्हें भी अपने साथ जोड़ा है। हमारा कहना है कि आप हमारे हिसाब से मिल्क प्रोड्यूस करो, गायों की खुराक हमारे हिसाब से रखो। हम आपका सारा मिल्क मार्केट से 5 रुपए ज्यादा रेट पर लेंगे। हमने अपने फ्रेंचाइजी माॅडल में 10 लाख का बिजनेस प्लान बनाया है। जिसमें 6 महीने में आरओआई (रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट) भी मिलता है, बस शर्त यह है कि इसमें हमारे बनाए गए सिस्टम से ही चलना होगा। मनीष का कहना है- हम डेयरी फाॅर्म्स के ओयो बनना चाहते हैं।
5 लाख रुपए की लागत से शुरू कर सकते हैं डेयरी स्टार्टअप
मनीष कहते हैं, ‘यह स्टार्टअप 2 गाय के साथ भी शुरू कर सकते हैं। जिसकी कीमत डेढ़ से दो लाख रुपए (ब्रीड के हिसाब से) होती है। कंस्ट्रक्शन शेड में करीब एक लाख रुपए का खर्च आता है। यानी आप 4 से 5 लाख रुपए से शुरुआत कर सकते हैं। इसमें नाबार्ड की योजना भी है जो गाय खरीदने के लिए लोन भी उपलब्ध कराती है।साभार-दैनिक भास्कर
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