किसान आंदोलन में महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों की भी काफी संख्या है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि इन्हें घर वापस भेजें ताकि सर्दियों से बचाव हो सके। मंगलवार को इस बारे में जब महिलाओं, बुजुर्गों से पूछा गया तो उन्होंने वापस लौटने से इंकार किया, लेकिन किसान यूनियनों की तरफ से उन्हें मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
तीनों कृषि कानूनों पर स्थगन आदेश के बावजूद किसान अपनी मांगें पूरी होने तक वापस लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। सिंघु बॉर्डर पर हजारों की संख्या में पंजाब-हरियाणा के किसान डटे हुए हैं। नौ दौर की वार्ता के बावजूद कानून वापस लेने की मांग और आंदोलन जारी रखने के लिए किसानों के अड़े होने की वजह से आंदोलन के समर्थन में मौजूद बच्चों, बुजुर्गोँ और महिलाओं को परेशानी हो सकती है।
किसान संगठनों ने यह कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को वापस भेजने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। नेताओं का कहना है कि उनकी मांगें मान ली जाएं, इसके लिए संघर्ष जारी रहेगा।
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार किसी न्यायालय के फैसले को नहीं मानती। उन्हें पूरा यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया यह फैसला भी ये सरकार नहीं मानेगी। कोर्ट का इस फैसले से गुमराह होकर अब किसान दिल्ली से वापस नहीं जाएंगे। जबतक तीनों कृषि कानूनों को संसद में रद्द नहीं किया जाता और एमएसपी पर कानून नहीं बन जाता वह यहां से हिल नहीं सकते।
किसानों ने कहा कि अब तो वह अपने खेतों की नहीं बल्कि अपनी नस्लों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। आखिर कब तक किसानों का शोषण होता रहेगा। किसान हाड़तोड़ मेहनत कर अन्न पैदा करे और मुनाफा बिचौलिये कमाएं। अब ऐसा नहीं होगा, किसान इस बार अपना हक वापस लेकर ही दिल्ली से जाएंगे। साभार-अमर उजाला
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