गाजियाबाद। किसी भी विकास कार्य में टेंडर का बड़ा महत्व है। टेंडर को लेकर कई बार बड़े-बड़े खेल हो जाते हैं। कई बार गुणवत्ता पर भी इससे फर्क पड़ता है। मगर अब टेंडर के खेल पर नजर रखने के लिए निगम में एक कमेटी होगी। अगर किसी विकास कार्य का टेंडर 25% से अधिक जाएगा तो इस पर फैसला लेने का अधिकार नगर आयुक्त के पास होगा। वह कमेटी की संस्तुति पर इस टेंडर को कैंसिल भी कर सकते हैं।
अभी तक नगर निगम में टेंडर का अलग-अलग गणित है। कुछ वार्डों में विकास कार्य के टेंडर मात्र 5% बिलों पर ही मान्य कर उनके वर्क ऑर्डर जारी कर दिए जाते हैं और कई बार किसी वार्ड में किसी कार्य का टेंडर 35 से 40% तक बिलो चला जाता है और इसे भी मान्य कर दिया जाता है। कई लोग मानते हैं कि ऐसे कार्य का एस्टीमेट पहले से ही ओवर तैयार किया जाता है और अगर ऐसा नहीं होता तो कोई ठेकेदार कैसे इतने कम रेट पर कार्य कर सकता है।
इसी को लेकर अब नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने नई पॉलिसी तैयार की है। अगर 25% से अधिक किसी कार्य का टेंडर जाता है तो इस पर कमेटी की संस्तुति पर नगर आयुक्त खुद फैसला ले सकेंगे।साभार-युग करवट
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