भारत में सोने की खानें न के बराबर हैं। 2019 में 96% सोना विदेशों से खरीदा गया। इसके आयात पर सरकार को 12.5% इंपोर्ट ड्यूटी भी चुकानी होती है। फिर भी पिछले साल 2,295 अरब का सोना विदेशों से खरीदा गया था। हमारे यहां सोना खरीदना रईसी की निशानी है। इसके बावजूद 2020 में इसकी मांग में 300 अरब रुपए की गिरावट आई और सिर्फ 1,992 अरब रुपए का ही सोना आयात हुआ।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्वेलरी की खरीदारी में 2020 की पहली तिमाही में 41%, दूसरी में 48% और तीसरी में 48% की गिरावट आई। 2009 के बाद 10 सालों में ऐसा पहली बार हआ, जब इतना कम सोना खरीदा गया। फिर भी अगस्त 2020 में 1 तोला यानी 10 ग्राम सोने का भाव पहली बार 56 हजार के पार चला गया। जब मांग घट रही थी, लोग सोना खरीद नहीं रहे थे, तो रेट में बढ़ोतरी क्यों?
चौथी तिमाही की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद धनतेरस और दिवाली पर करीब 30 टन सोना बिका था, जो 2019 के 40 टन से 25% ही कम है। यानी सोने की खरीदारी में फिर से तेजी आ रही है। इधर सोना 56 हजार से कम होकर 50 हजार के आसपास आ गया है।
जब-जब दुनिया में संकट आएगा, लोग सोना खरीदेंगे
भोपाल के सर्राफा एसोसिएशन के सचिव नवनीत अग्रवाल कहते हैं, ‘अब सोना भी सट्टेबाजी जैसा मार्केट बनता जा रहा है। वायदा बाजार यानी MCX ने बड़े-बड़े पूंजीपतियों के लिए सोने में निवेश के लिए रास्ते खोल दिए हैं। वे सोना अपने पास रखने के लिए नहीं खरीदते। सोने में पैसा लगाते हैं, भाव बढ़ने पर बेच कर रिटर्न कमाते हैं। एकदम शेयर बाजार की तरह।’
सोना चार तरह से बिकता है…
- ज्वेलरी
- गोल्ड बार यानी सिक्के, बिस्किट, छड़
- गोल्ड बॉन्ड
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी MCX
आम दिनों में ज्वेलरी अधिक खरीदी जाती है। लेकिन 2020 में MCX और गोल्ड बार में 50% से ज्यादा उछाल दर्ज की गई। लोगों ने सोने के सिक्के, बिस्किट और छड़ में या फिर MCX में पैसे निवेश किए। MCX से खरीदा गया इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज सोना, शेयर मार्केट की तरह बैंक खाते में दिखता है। इसे होम डिलिवरी भी कराई जा सकती है, पर आमतौर लोग ऐसा नहीं करते क्योंकि वे जल्दी-जल्दी खरीदते और बेचते हैं। गोल्ड बॉन्ड लेने पर सरकार एक साल में 2% रिटर्न की गारंटी देती है।
नवनीत अग्रवाल कहते हैं कि लोगों ने सोना पैसा बनाने के लिए खरीदा। दुनिया में जब कभी कोई बड़ा संकट आता है। दो देशों में तकरार होती है, किसी भी कारण से अर्थव्यवस्थाएं चरमराती हैं, तो लोग पैसे शेयर बाजार, रियल स्टेट और दूसरी इंडस्ट्री से निकाल कर सोने में लगा देते हैं। क्योंकि सोना कभी घाटे का सौदा नहीं है।
साल 2000 में एक तोला सोना 4,400 रुपए में था, 2010 में 18,500 और 2020 में 50,000 पार हो गया। कोरोना काल में जब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं बंद थीं, तब लोग अपने पैसे को सुरक्षित करने के लिए सोना खरीदना चाहते थे। भोपाल के डीबी मॉल स्थित आनंद ज्वेल्स के मैनेजर अभिषेक पोरवाल कहते हैं, ‘लॉकडाउन में लगातार फोन आते रहे, लोग किसी तरह से सोना खरीदना चाहते थे।’
ट्रंप और बाइडेन भी जिम्मेदार
दुनिया में सबसे ज्यादा सोना अमेरिका के पास है। दूसरा सबसे अधिक सोना रखने वाले देश जर्मनी के पास अमेरिका के सोना भंडार का आधा भी नहीं है।साभार-दैनिक भास्कर
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