गाजियाबाद। वाणिज्य कर विभाग व्यापारियों को उनकी सावधि जमा (एफडी) वापस करेगा। इसको लेकर मुख्यालय से निर्देश जारी किए गए हैं। वैट में पंजीकरण कराने के लिए व्यापारियों को इस राशि को विभाग में जमा करना पड़ा था। जीएसटी में पंजीकरण के दौरान यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई। इसके बाद व्यापारियों को उनकी जमा एफडी वापस किए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
वाणिज्य कर विभाग गाजियाबाद जोन में हापुड़ और बुलंदशहर जिले के व्यापारी भी शामिल हैं। जोन-1 में हापुड़ और जोन-2 के तहत बुलंदशहर के व्यापारी आते हैं।
प्रदेश की वाणिज्य कर आयुक्त अमृता सोनी ने वैट में एफडी के तौर पर जमा राशि वापस करने के निर्देश दिए हैं। तीनों जिलों के करीब 35 से 40 हजार व्यापारियों को इसका लाभ मिलेगा। वैट में पंजीकरण के दौरान न्यूनतम 25 हजार और बाकी टर्नओवर के अनुसार यह राशि गारंटी के रूप में जमा कराई गई थी। ऐसे में विभाग लगभग 100 करोड़ रुपये व्यापारियों को वापस करेगा। देश में एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुआ और वैट समाप्त हो गया। इसके बाद से व्यापारी संगठन वैट में एफडी के तौर पर जमा राशि को वापस दिलाने की मांग कर रहे थे।
तय फार्मेट से ही मिल सकेगी जमा धनराशि :
एफडी वापस लेने के लिए व्यापारियों को विभाग द्वारा जारी फार्मेट में डिटेल दर्ज करनी होगी। इसके अलावा विभाग की शर्तों के मुताबिक जिन फर्मों को वैट समाप्त होने के बाद बंद किया जा चुका है, उनकी एफडी वापस की जाएगी। वे फर्म जिनका वैट अवधि 2017-18 तक के सभी वर्षों के वाद निस्तारित हों और उन पर कोई बकाया शेष न हो, वह एफडी राशि ले सकेंगे। व्यापारी अपने खंड में अधिकारी को एफडी के लिए प्रार्थना पत्र दे सकते हैं।
मुख्यालय द्वारा जारी फार्मेट में फर्म की डिटेल सहित पूरा विवरण व्यापारी को देना होगा। एडिशनल कमिश्नर, जोन-1 वाणिज्य कर विभाग अरविंद कुमार का कहना है कि मुख्यालय के निर्देशानुसार वैट में एफडी के तौर पर जमा धनराशि को वापस किया जा रहा है। व्यापारी अपने-अपने खंड में प्रार्थना पत्र देकर राशि वापस ले सकते हैं। सभी खंड में अधिकारियों को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।
जीएसटी पोर्टल बन रहा है व्यापारियों के लिए मुसीबत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल ने जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।
प्रदेश महामंत्री तिलक राज अरोड़ा ने कहा पिछले चार वर्षों से जीएसटी पोर्टल अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। नियमों में संशोधन किया गया है, लेकिन पोर्टल पर इन संशोधनों का लाभ व्यापारियों को नहीं मिलता है। महानगर अध्यक्ष उदित मोहन गर्ग ने कहा कि हाल ही में जीएसटी में नियम लागू करके अधिकारियों को किसी भी व्यापारी के पंजीकरण को रद्द करने का मनमाना अधिकार दे दिया है, जिसमें व्यापारियों को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया जाएगा। व्यापारियों ने जीएसटी के सरलीकरण की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।साभार-अमर उजाला
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