बुधवार को जिम्स के निदेशक डॉ.राकेश गुप्ता ने पत्रकार वार्ता में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी हैं। वह पिछले एक साल के दौरान संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे थे। निदेशक डॉ.राकेश गुप्ता ने बताया कि मरीजों को राहत देने के लिए जनवरी 2021 से अस्पताल की सभी ओपीडी खोल दी जाएंगी। कोरोना संक्रमण के कारण कुछ ओपीडी अभी बंद हैं। अगले 15 दिन में एमआरआई जांच भी शुरू हो जाएगी। महज 1500 रुपये में एमआरआई जांच होगी। शहर के निजी अस्पतालों में एमआरआई पांच हजार रुपये में होता है।
यह जानकारी जिम्स निदेशक ब्रिगेडियर डॉ.राकेश कुमार गुप्ता ने दी। उन्होंने वर्ष 2020 में संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे थे। इस दौरान निदेशक के साथ मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और कोविड डिपार्टमेंट के नोडल अधिकारी सौरव श्रीवास्तव व वित्त अधिकारी पीडी उपाध्याय मौजूद रहे। उन्होंने बताया, ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS Greater Noida) में उत्तर प्रदेश की पहली जीनोम सिक्वेंसिग (Zenom Sequencing) लैब खुलेगी। राज्य सरकार जिम्स में दो करोड़ रुपये कीमत की मशीन लगाने जा रही है। इसके बाद यहां कोरोना या दूसरे किसी भी वायरस के स्ट्रेन में होने वाले बदलाव पर रिसर्च की जा सकती है। अभी पूरे भारत में ऐसी केवल 10 लैब हैं।
जनवरी से सारी ओपीडी खोल दी जाएंगी, 1500 रुपये में एमआरआई जांच होगी
निदेशक डॉ.राकेश गुप्ता ने बताया कि मरीजों को राहत देने के लिए जनवरी 2021 से अस्पताल की सभी ओपीडी खोल दी जाएंगी। कोरोना संक्रमण के कारण कुछ ओपीडी अभी बंद हैं। अगले 15 दिन में एमआरआई जांच भी शुरू हो जाएगी। महज 1500 रुपये में एमआरआई जांच होगी। शहर के निजी अस्पतालों में एमआरआई पांच हजार रुपये में होता है।
पहली जीनोम सिक्वेंसिग लैब 28 फरवरी तक शुरू हो जाएगी
निदेशक ने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिग लैब 28 फरवरी तक शुरू कर दी जाएगी। आपको बता दें कि जिले में अब तक ब्रिटेन से आई दो महिलाओं में कोरोना के नए ब्रिटिश स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। जिनके सैंपल आईसीएमआर की जीएसएल में भेजे गए हैं। निदेशक डॉ.राकेश गुप्ता ने बताया कि इसी वजह से शासन से बात करके लैब खोलने का फैसला लिया है। इसके अलावा कोविड-19 समेत छह तरह के वायरस पर शोध के लिए बायो सेफ्टी लेवल-3 (बीएसएल-3) लैब बनाई जा रही है। इसके लिए तीन करोड़ रुपये का वर्क आर्डर दिया जा चुका है। मार्च तक इसे शुरू किया जाएगा।
कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभावों की निगरानी करेगा संस्थान
जिम्स में एडवर्स ड्रग रिएक्शन (एडीआर) सेंटर खोल दिया गया है। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से एक शोध अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिनकी देखरेख में कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभावों पर निगरानी रखी जाएगी। शहर के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए करीब तीन बूथ बनेंगे। वैक्सीन लगने के बाद प्रत्येक व्यक्ति को आधे घंटे के लिए निगरानी में रखा जाएगा। इस दौरान देखा जाएगा कि कहीं वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं आ रहा है।
कोरोना की जांच और उपचार में जिम्स प्रदेश के अग्रणी अस्पतालों में है
कोविड से पहले जिम्स में हर दिन करीब दो हजार मरीज जांच करवाने आते थे। वर्ष 2019 के दौरान ओपीडी में 4,27,712 मरीजों की जांच की गई थी। कोविड के कारण मार्च से ओपीडी बंद हैं। निदेशक ने बताया कि पिछले 10 दिनों से कोविड के मरीजों की संख्या कम हुई है। ऐसे में सभी ओपीडी खोलने का फैसला लिया गया है। अस्पताल में अब तक करीब 3000 कोविड मरीजों का इलाज हो चुका है। कोरोना की जांच और उपचार में जिम्स प्रदेश के अग्रणी अस्पतालों में है।
महिलाओं में स्तन कैंसर की जांच शुरू होगी, 70 प्रोजेक्ट पर हो रिसर्च जारी
एचआईवी मरीजों के लिए एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी) सेंटर शुरू होगा। जल्द ही महिलाओं के स्तन कैंसर की जांच के लिए मेमोग्राफी की सुविधा भी शुरू हो जाएगी। संस्थान में प्रोजेक्ट पर भी शोध हो रहे हैं। अब तक 70 प्रोजेक्ट पर शोध हो चुका है जिसमें से 40 के करीब कोरोना वायरस पर शोध हुआ है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय व डब्ल्यूएचओ के प्रोजेक्ट पर भी शोध चल रहा है।साभार- ट्रीसिटी टुडे
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