गाजियाबाद। डीएम अजय शंकर पांडे हमेशा ही अपने नए प्रयोगों व प्रयासों को लेकर चर्चा का विषय बने रहते हैं। चाहे बिजली की बर्बादी पर एसी, लाइट बंद कर कार्य करना हो या पानी की बर्बादी पर खुद पर भी जुर्माना लगाए जाने की कार्यवाही करना हो। वह हमेशा ऐसा कार्य करते हैं, जो आमजन के लिए भी एक उदाहरण बने एक बार फिर डीएम अजय शंकर पांडे ने बेसहारों के लिए शहर में बनाए गए रैन बसेरों में रात बिता कर उनकी ना सिर्फ जमीनी हकीकत जानी बल्कि उन अधिकारियों के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत किया। जो कड़ाके की ठंड में आम व्यक्ति से जुड़ी योजनाओं की जानकारी करने अपने आवास से बाहर तक नहीं निकलते।
डीएम की इस कार्यवाही से एक बार फिर वह अधिकारियों से लेकर आमजन में चर्चा का विषय बन गए हैं। इसकी शुरुआत हुई मंगलवार को सुबह 11:30 बजे एक समाजसेवी ने जिला मुख्यालय पहुंचकर डीएम से शहर में चल रहे रेन बसेरों की दुर्दशा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह रेट बकरे इतनी बुरी हालत में है कि उन में प्रवेश करना तो दूर 10 मिनट वहां रुका तक नहीं जा सकता। वहां के बिस्तर और कम्बलों को लेकर भी समाजसेवी द्वारा शिकायत की गई। शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर लेने के बाद डीएम ने आश्वासन दिया कि जिन रैन बसेरों की शिकायत की गई है उन सभी में वह खुद रुकेंगे और वहां उपलब्ध बिस्तर और कंबल का प्रयोग भी करेंगे।
हालांकि समाजसेवी डीएम की इस बात से संतुष्ट नहीं दिखे। शिकायत के बाद मंगलवार की रात 11:00 बजे सबसे पहले अर्थला स्थित रैन बसेरे में पहुंचे। वहां रहने वालों से उन्होंने वार्ता की। उपलब्ध बिस्तरों का गहनता से निरीक्षण किया। इसके बाद रात 12:30 मिनट पर अपनी टीम के साथ वह राजनगर से डूडा के रैन बसेरों में पहुंचे।
जब डीएम वहां पहुंचे तो लोग अपने बिस्तरों पर खड़े हो गए लेकिन उन्होंने सभी को कम्बलों से बाहर ना निकलने को कहा और डीएम के ओएसडी ने मौके पर ही शिकायत करने वाले समाजसेवी को फोन मिलाया और बताया कि उनकी शिकायत के आधार पर उनके पड़ोस में बने रैन बसेरे का निरीक्षण करने पहुंचे हुए हैं, वह भी मौके पर आ जाएं। समाजसेवी ने अपने 15 मिनट में आने की बात कही लेकिन जब वह नहीं पहुंचे तो फिर से फोन उन्हें मिलाया गया, लेकिन दोबारा फोन स्विच ऑफ मिला। इस दौरान डीएम वही रैन बसेरे के एक बिस्तर पर बैठ गए और उन्होंने ओएसडी को निर्देश दिया कि जो पत्रावलियां वह लेकर आए हैं उनका निस्तारण यही कराएं।
इसके बाद डीएम ने करीब एक घंटा रेन बसेरे में ही अपना कार्यालय शुरू कर फाइलों का निस्तारण किया। डीएम के आने की सूचना जब रैन बसेरे के मैनेजर को मिली तो वह तत्काल नयी चादर और कंबल लेकर वहां पहुंचे। लेकिन डीएम ने उन्हें वापस कर पहले से बिछे बिस्तर का ही उपयोग किया। इतना ही नहीं डीएम ने रैन बसेरे के कमरों का ही ठंड अधिक होने पर इस्तेमाल भी किया। इसके बाद डीएम ने रैन बसेरे में रहने वाले लोगों से बातचीत की और उनसे असुविधाओं के बारे में जानकारी भी ली और उन लोगों को जैकेट का वितरण भी किया। 2 घंटे तक डीएम राज के रैन बसेरे में ही रुके रहे। लेकिन शिकायत करने वाले समाजसेवी का कुछ पता नहीं चला और ना ही उनका फोन मिला। रात करीब 1:30 बजे डीएम रैन बसेरे से निकले तो वहां रहने वालों के लिए एक याद छोड़ गए।साभार-युग करवट
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