यमुना के जलस्तर में अमोनिया की मात्रा बढ़ने पर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व अपर यमुना नदी बोर्ड से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
राघव चड्ढा ने कहा कि कई बार याद दिलाने के बाद भी हरियाणा की ओर से यमुना में औद्योगिक प्रदूषण को नहीं रोका जा रहा है। इस वजह से वजीराबाद बैराज पर यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़कर 7 पीपीएम( पार्ट्स पर मिलियन) तक पहुंच गई है जबकि इसका मानक 0.8 पीपीएम है। इस वजह से पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।
चड्ढा ने मंगलवार को ट्वीट जारी करते हुए कहा कि रोहतक से यमुना में एक्स रेगुलेटर और डीडी6 जैसे कैमिकल के बहाव को हरियाणा सरकार ने नहीं रोका है। ऐसे में इस तरह का गैर जिम्मेदार रवैया पानी की आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है।
चड्ढा ने सीपीसीबी और यमुना रिवर बोर्ड को हरियाणा सरकार के रवैया को लेकर संज्ञान लेने के लिए भी आग्रह किया है। दिल्ली जल बोर्ड ने सोमवार को बयान जारी करते हुए कहा था कि वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला से जल शोधन संयंत्र से पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के कारण आपूर्ति प्रभावित रहेगी।
मुख्य तौर पर इन जल शोधन संयंत्र से मध्य, उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी दिल्ली में पानी की आपूर्ति की जाती है। इससे पहले गत माह सीपीसीबी ने यमुना में झाग बनने और प्रदूषण को लेकर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को सीवेज शोधन की क्षमता को ठीक करने के लिए सलाह दी थी।
सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली में 22 गंदे नालों की पहचान की गई थी। इनमें से 14 गंदे नाले से यमुना में प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार बताया था। इसकी वजह से अमोनिया की मात्रा बढ़ती है साथ ही झाग भी उत्पन्न होता है। इसके लिए यमुना के किनारे बनी हुई औद्योगिक इकाइयां मुख्य रूप से जिम्मेदार बताई गई थी। साभार-अमर उजाला
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