आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2020 है यानी इसके लिए अब सिर्फ चार दिन ही बचे हैं। आखिरी समय में जल्दबाजी में किसी गड़बड़ी से बचने के लिए सभी दस्तावेज जुुटाकर आईटीआर दाखिल कर लेना ही बेहतर होगा।
नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए बिना फॉर्म-16 के रिटर्न भरना काफी कठिन होता है। इसी फॉर्म से पता चलता है कि नौकरीपेशा का कुल (ग्रॉस) वेतन क्या है और कितना टीडीएस (स्रोत पर कटौती) कटता है।
हालांकि, कुछ परिस्थितियों में (अगर कंपनी कारोबार समेट कर चली जाए या किसी वजह से आप औपचारिकताएं पूरी किए बिना ही अपनी पुरानी कंपनी छोड़ दें) आपको फॉर्म-16 नहीं मिलता है तो ऐसे में अन्य दस्तावेजों की मदद से भी आईटीआर दाखिल किया जा सकता है।
कुल आय की गणना करें
फॉर्म-16 के बिना आईटीआर दाखिल करने के लिए जरूरी है कि संबंधित वित्त वर्ष के दौरान सभी स्रोतों से होने वाली आय की गणना करें। इसके लिए जरूरी है कि सभी सैलरी स्लिप जुटाएं। इससे ही कुल आय का पता चलेगा। अब करयोग्य आय जानने के लिए कुल आय में से तमाम तरह के निवेश और मिलने वाले डिडक्शन को घटाना होगा।
किराये के रूप में कमाई…अगर आपको किसी संपत्ति (प्रॉपर्टी) से किराये के रूप में कमाई होती है तो उसकी भी जानकारी देनी होगी।
पूंजीगत लाभ… प्रॉपर्टी बेचकर कमाए लंबी या छोटी अवधि के पूंजीगत लाभ पर भी कर देना होता है। हालांकि, इसमें घाटे और महंगाई के सापेक्ष इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है। करदाता को वास्तविक देयता जांचने के लिए इसकी सही गणना कर लेनी चाहिए।
पूंजीगत लाभ की गणना के लिए प्रॉपर्टी की खरीद एवं बिक्री के दस्तावेज (डीड), स्टाम्प शुल्क, ब्रोकरेज और पंजीकरण शुल्क से जुड़े दस्तावेज होने चाहिए।
इसके अलावा, शेयर या म्यूचुअल फंड के मामले में आपको अपने ब्रोकर से इससे हुए लाभ और नुकसान की विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। लंबी अवधि में शेयरों से कमाए एक लाख रुपये के पंजीगत लाभ पर कर नहीं लगता है, जबकि छोटी अवधि के लाभ पर 15 फीसदी कर देना होता है।
अन्य स्रोतों से कमाई… बचत, फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग खातों पर मिलने वाले ब्याज के अलावा आयकर रिफंड पर ब्याज की गणना करें। आपको अपने पासबुक से ब्याज से होने वाली कमाई और फॉर्म-26एएस से आयकर रिफंड पर मिले ब्याज की जानकारी मिल जाएगी।
टीडीएस की गणना
अपने वेतर पर कटे टीडीएस की जानकारी के लिए फॉर्म-26एएस देखें। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि जितना टैक्स आपकी सैलरी स्लिप में है और जितना फॉर्म-26एएस में दिख रहा है, वह समान है। आंकड़े अगर एक समान न आए तो एक बार पुरानी कंपनी की मदद लें, जिससे पता चल जाएगा कि सैलरी स्लिप में और फॉर्म-26एएस में अलग-अलग टैक्स क्यों दिख रहा है।
मिलने वाले छूट पर दावा करें
आपको मिलने वाले तमाम भत्ते जैसे ट्रांसपोर्ट अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, मेडिकल अलाउंस आदि को वेतन से घटाएं। साथ ही 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है। आयकर कानून की धारा-80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट क्लेम करें। धारा-80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा पर भी छूट का दावा कर सकते हैं। निवेश और खर्च पर भी छूट मिलता है, जिसे क्लेम कर सकते हैं।
कर की गणना और ई-वेरिफिकेशन
सभी गणना के बाद आपको पचा चल जाएगा कि करयोग्य आय कितनी है। इसी पर कर की गणना कर रिटर्न दाखिल करें। अगर पहले ही अधिक कर दिया है तो वह आईटीआर भरने के बाद वापस आ जाएगा। कितना टैक्स देना है, इसकी गणना अपने आप आईटीआर फॉर्म में दिखने लगेगा। आईटीआर दाखिल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन जरूर कराएं।
नियोक्ता के प्रमाणपत्र से बन सकता है काम
अगर आप नौकरीपेशा हैं और टीडीएस नहीं कटता है तो आपको फॉर्म-16 नहीं मिलेगा। ऐसे में अपने नियोक्ता से प्रमाणपत्र देने का आग्रह कर सकते हैं, जिसमें आपको मिलने वाली सैलरी का जिक्र हो। अगर नियोक्ता प्रमाणपत्र नहीं देता है तो बैंक स्टेटमेंट के जरिए भी आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। -बलवंत जैन, टैक्स एवं निवेश सलाहकार-साभार-अमर उजाला
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