“भले ही मेरे सपने टूटे हैं, लेकिन हौसले अभी जिंदा है। जिंदगी ने मुझसे मेरा हमसफर छीन लिया, लेकिन अब बच्चों को पढ़ा लिखाकर फौज में अफसर बनाना मेरा सपना है। इसके लिए मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाऊंगी। कुली नंबर 36 हूं और इज्जत का खाती हूं।” यह कहना है 31 वर्षीय महिला कुली संध्या का। महिला कुली को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं लोग मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली संध्या प्रतिदिन बूढ़ी सास और तीन बच्चों की अच्छी परवरिश का जिम्मा अपने कंधो पर लिए, यात्रियों का बोझ ढो रही है। रेलवे कुली का लाइसेंस अपने नाम बनवाने के बाद बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए साहस और मेहनत के साथ जब वह वजन लेकर प्लेटफॉर्म पर चलती है तो लोग हैरत में पड़ जाते हैं और साथ ही उसके जज्बे को सलाम करने को मजबूर भी।
तीन मासूमों के लिए कर रही है ये काम
कटनी जंक्शन पर कुली का काम कर रही महिला का नाम संध्या मारावी है। जनवरी 2017 से यह काम कर रहीं संध्या इसके पीछे की मजबूरी के बारे में बताती हैं, “मैं अपने पति के साथ यहीं कटनी में रहती थी। हमारे तीन बच्चे हैं। मेरे पति लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 22 अक्टूबर 2016 को उन्होंने अंतिम सांस ली।””बीमारी के बावजूद वे मजदूरी कर घर का खर्च चलाते थे। उनके बाद मेरे ऊपर सास और अपने तीन बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। ऐसे में मुझे जो नौकरी मिली, मैंने कर ली।”
रोते हुए बताया, कैसे बनी कुली
संध्या बताती हैं, “मैं नौकरी की तलाश में थी। किसी ने मुझे बताया कि कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली की जरूरत है। मैंने तुरंत अप्लाई कर दिया।””मैं यहां 45 पुरुष कुलियों के साथ काम करती हूं। पिछले साल ही मुझे बिल्ला नंबर 36 मिला है।”संध्या जबलपुर में रहती हैं। अपनी जॉब के लिए वो हर रोज 90 किमी ट्रैवल (45 किमी आना-जाना) कर कटनी रेलवे स्टेशन आती हैं। दिनभर बच्चों की देखभाल उनकी सास करती हैं।
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