जयकिशोर प्रधान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से उप-प्रबंधक पद से रिटायर हुए हैं। बेटियों के कहने पर MBBS की पढ़ाई करने जा रहे हैं।
- एमबीबीएस कोर्स में दाखिले के लिए उम्र की सीमा नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में नियम बदला
एक आम भारतीय नौकरी से रिटायर होने के बाद आराम के मूड में होता है, लेकिन ओडिशा के 64 वर्षीय जयकिशोर प्रधान का जोश और जज्बा युवा-सा है। उन्होंने इसी साल राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) पास की है। इसके बाद वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (विमसार) के MBBS कोर्स में दाखिला लिया है।
जयकिशोर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से डिप्टी मैनेजर पोस्ट से रिटायर हुए हैं। वे कहते हैं, ‘मैंने 1974 में 12वीं के बाद मेडिकल की प्रवेश परीक्षा दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक और साल गंवाने के बजाय मैंने फिजिक्स में बीएससी किया। एक स्कूल में टीचर के रूप में नियुक्ति हुई। एक साल बाद बैंक की प्रवेश परीक्षा दी और इंडियन बैंक जॉइन किया। 1983 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी मिली। इस बीच 1982 में पिता बीमार हुए, तो उन्हें बुर्ला सरकारी मेडिकल कॉलेज और वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। वे स्वस्थ होकर घर लौटे, तो मन में डॉक्टर बनने की इच्छा एक बार फिर जागी। लेकिन, उम्र की सीमा के चलते कुछ नहीं कर पाया।’
जयकिशोर बताते हैं, ‘30 सितंबर 2016 को रिटायर होने के बाद जुड़वां बेटियों जय पूर्वा और ज्योति पूर्वा के जरिए सपना पूरा करने की ठानी। दोनों को डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और तैयारी भी करवाई। दोनों बेटियों का बीडीएस के लिए सेलेक्शन हो गया।’ 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को भी नीट में शामिल होने की अनुमति दी। इस फैसले के बाद बेटी की जिद पर उसी साल नीट की परीक्षा में बैठा। हालांकि, कामयाबी नहीं मिली।
पिछली परीक्षा का अनुभव 2020 की परीक्षा में काम आया। प्रधान ने सितंबर में नीट दी। अक्टूबर में रिजल्ट आया, लेकिन 20 नवंबर को एक हादसे में बड़ी बेटी जय पूर्वा की मौत हो गई। जयकिशोर बताते हैं, ‘मुझे एमबीबीएस करने के लिए उसी ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया। आज वह जिंदा होती, तो सबसे ज्यादा खुश होती।’ जयकिशोर करीब 70 साल के होने पर डिग्री हासिल करेंगे। वे कहते हैं, ‘नंबर मेरे लिए मायने नहीं रखते।’
शारीरिक रूप से दिव्यांग, गरीबों का इलाज मुफ्त करने की इच्छा
प्रधान शारीरिक रूप से दिव्यांग भी हैं। पैर में लगे स्प्रिंग की मदद से चल पाते हैं। वे बताते हैं, ‘एक डॉक्टर के रूप में ट्रेनिंग के बाद मेरी इच्छा गरीबों का मुफ्त इलाज करने की है। विमसार के डीन ब्रजमोहन मिश्रा कहते हैं, ‘एमबीबीएस कोर्स में दाखिले के लिए अब उम्र की कोई सीमा नहीं है। प्रधान इस सत्र से शुरू होने वाली कक्षाओं में शामिल होंगे। वे कोर्स में दाखिला लेने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं।’साभार-दैनिक भास्कर
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