जल निगम के अधिकारियों ने नगर निगम ठेकेदारों के काम को बताया घटिया

गाजियाबाद। नौ नलकूपों की रिबोरिंग और एक नया ट्यूबवेल लगाने के नाम पर नगर निगम की ओर से बिना टेंडर 1.04 करोड़ रुपये ज्यादा का भुगतान करने के मामले पर जल निगम के अधिकारियों ने नगर निगम को सफाई दी है। जल निगम के अधिशासी अभियंता अमित कुमार ने नगर निगम के जीएम जलकल को पत्र भेजकर कहा है कि जल निगम ने शेड्यूल ऑफ रेट 2018-19 की दरों पर एस्टीमेट तैयार करके नगर निगम को भेजा है।

उन्होंने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि नगर निगम की ओर से रिबोर कराए नलकूप 3-4 साल बाद ही फिर रिबोर हो रहे हैं जबकि रिबोर नलकूप की मियाद 15 साल होती है। यानी नगर निगम ठेकेदारों द्वारा कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता बेहद खराब है। नगर निगम ने हाल ही में जल निगम को नौ नलकूपों की रिबोरिंग और एक नया नलकूप लगाने का काम 2.58 करोड़ रुपये में दिया है।

जल निगम ने प्रत्येक नलकूप को रिबोर करने के लिए 23.23 लाख रुपये और नए नलकूप लगाने के लिए 49 लाख रुपये का एस्टिमेट नगर निगम को देकर भुगतान भी ले लिया है। भाजपा पार्षद ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर इस कार्य में 1.04 करोड़ रुपये का घोटाला किए जाने का आरोप लगाया था। उनका कहना है कि पूर्व में नगर निगम ने 19 नलकूप अपने ठेकेदारों से रिबोर कराए हैं। प्रत्येक नलकूप की रिबोरिंग पर औसतन 14.38 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्य सचिव और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव के अलावा मंडलायुक्त व डीएम से करके जांच कराने की मांग की है।

‘अमर उजाला’ की खबर का संज्ञान लेकर एक दिन बाद ही जल निगम के अधिकारियों ने इस प्रकरण में सफाई दी है। जल निगम के अधिशासी अभियंता अमित कुमार की ओर से नगर निगम के जीएम को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नलकूप रिबोरिंग की औसत आयु 15 साल होती है, लेकिन नगर निगम ठेकेदारों की ओर से जो नलकूप रिबोर किए गए हैं वह 3-4 साल में ही फिर से रिबोर की स्थिति में पहुंच रहे हैं।

यानी 15 साल की अवधि में तीन से चार बार रिबोर कराए जाने के कारण एक नलकूप पर 15 साल में 50 से 60 लाख रुपये का खर्च हो रहा है। इससे पार्कों की जमीन भी खराब हो रही है। उन्होंने कहा है कि नगर निगम की ओर से भेजी गई धनराशि में से अभी पैसा खर्च नहीं किया गया है। उन्होंने जीएम को भेजे पत्र में आगे की प्रक्रिया से अवगत कराए जाने की भी मंशा जताई है।

कार्यदेश जारी करने से पहले ही ट्रांसफर कर दी गई थी रकम
नगर निगम की ओर से जल निगम को न सिर्फ ज्यादा दरों पर नलकूपों की रिबोरिंग का काम बिना टेंडर के दे दिया गया, बल्कि फंड ट्रांसफर करने में भी जल्दबाजी की गई। आरोप है कि नगर निगम ने 7 दिसंबर को ही 2.58 करोड़ की रकम जल निगम को ट्रांसफर कर दी थी, जबकि कार्यादेश इसके बाद जारी किया गया है। जबकि प्राइवेट ठेकेदारों को कार्य पूर्ण होने के बाद नलकूपों की जांच के बाद भुगतान किया जाता है। सवाल उठ रहे हैं कि निगम अधिकारियों पर ऐसा कौन सा दबाव था जिसके चलते जल निगम के अधिकारियों को एडवांस में और कार्यदेश जारी होने से पहले ही भुगतान कर दिया गया।

जीएम जलकल का चार्ज अपर नगरायुक्त को सौंपा
जलकल विभाग के विवादों में आने के बाद नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने इस विभाग की जिम्मेदारी अधिशासी अभियंता पर छोड़ने की बजाय दूसरे अधिकारी को विभागाध्यक्ष का चार्ज सौंप दिया है। उन्होंने जीएम जलकल बीके सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद से खाली चल रहे इस पद का अतिरिक्त प्रभार अपर नगरायुक्त आरएन पांडेय को सौंपा है। बृहस्पतिवार को नगर आयुक्त ने यह आदेश जारी कर दिया है और इसे तत्काल लागू करा दिया गया है।साभार-अमर उजाला

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