Success Story: आर्थिक तंगहाली के कारण बाड़मेर के गणेशाराम (Ganesharam) ने चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की. लगातार 11 बार असफल रहे, लेकिन 12वीं बार अपने दृढ़निश्चय (Determination) से फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की.
बाड़मेर. कहते हैं कि जब तक सफलता (Success) नहीं मिले तब तक लक्ष्य (Target) से भटको मत और उस पर फोकस रखो, सफलता अवश्य मिलेगी. इस कथन को चरितार्थ किया है पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर (India-Pakistan border) पर बसे बाड़मेर जिले के गणेशाराम ने. उसने बार-बार असफलता हाथ लगने के बाद भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा. आखिरकार 11 बार की असफलताओं के बाद उसने अपना मुकाम पा ही लिया है.
सरहदी बाड़मेर के इस युवा ने जिस तंगहाली और अभावों में शिक्षक बनने का जो सपने को संजोया था उसे अतंत: अपनी मेहनत से पा ही लिया. उसकी सफलता भी सामान्य नहीं थी बल्कि कुछ अलग थी. इस युवा ने फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती में बाड़मेर में पहली पायदान हासिल कर नया उदाहरण पेश किया है. यही नहीं यह युवा जोधपुर संभाग में दूसरे स्थान पर रहा है.
चिमनी की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी की
बाड़मेर के गणेशाराम के चर्चे इन दिनों जिले भर में है. उसकी सफलता से ज्यादा उनकी सफलता की कहानी हर किसी को प्रभावित कर रही है. 9 भाई-बहनों के परिवार में गणेशाराम इकलौता ऐसा सदस्य है जिसने तालीम हासिल की है. जिस वक्त देश मिशन मंगल पूरा कर चुका था उस वक्त भी गणेशाराम तंगहाली के कारण चिमनी की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था. थर्ड ग्रेड शिक्षक परीक्षा में तीन बार, सेकेण्ड ग्रेड में तीन बार और फर्स्ट ग्रेड में पांच बार असफल होने के बाद भी गणेशाराम ने हार नहीं मानी. गणेशाराम के परिवार की माली हालत जहां उसके कदमों को जकड़ने का काम करती रही, वहीं उसके पिता के शब्द उसे हौसला देते रहे.
फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य में 18वीं रैंक हासिल की
यही वजह रही कि साइकिल पर पेंडल मारते पैरों ने सफलता की लंबी छलांग मारी है. गणेशाराम ने हाल में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की आयोग की ओर से आयोजित फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य में 18वीं रैंक हासिल की है. उसने बाड़मेर में पहला स्थान हासिल किया और जोधपुर संभाग में वह दूसरे स्थान पर है. गणेशाराम बताता है कि उसने असफलताओं से सीखा कि आखिरकार सफलता कैसे पायी जाती है. इस युवा की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट सरीखी लगती है और इसका अंत बहुत सुखद भी है. एक बार की असफलता से हार मानने वालों के लिए 11 बार की असफलता के बाद सफलता का ताज हासिल कर चुके गणेशाराम की कहानी सही मायने किसी मिसाल से कम नहीं है.साभार- न्यूज़18
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