प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह अचानक दिल्ली स्थित गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब पहुंचे और देश की आन-बान की खातिर अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाले गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि दी। बता दें कि आज गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस है। दिल्ली की सीमा पर जारी किसान आंदोलन के बीच पीएम का गुरुद्वारा रकाब गंज पहुंचना बहुत अहम माना जा रहा है, क्योंकि आंदोलन में पंजाब-हरियाणा के किसानों की सक्रिय भूमिका है। सूत्रों ने बताया कि जिस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुद्वारा रकाब गंज पहुंचे, उस दौरान ना ही कोई पुलिस बंदोबस्त किया गया था और ना ही आमजन के लिए यातायात अवरोध लगाए गए।
This morning, I prayed at the historic Gurudwara Rakab Ganj Sahib, where the pious body of Sri Guru Teg Bahadur Ji was cremated. I felt extremely blessed. I, like millions around the world, am deeply inspired by the kindnesses of Sri Guru Teg Bahadur Ji. pic.twitter.com/ECveWV9JjR
— Narendra Modi (@narendramodi) December 20, 2020
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सिख गुरु के शहीदी दिवस पर पंजाबी में ट्वीट किया। साल 1621 में जन्मे सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर 1675 में दिल्ली में शहीद हो गए थे। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन साहस और करुणा का प्रतीक है। महान श्री गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर मैं उन्हें नमन करता हूं और समावेशी समाज के उनके विचारों को याद करता हूं।’
सिखों के नौवें गुरु थे गुरु तेग बहादुर
गुरु तेग बहादुर सिखों के दस गुरुओं में से नौंवे थे। 17वीं शताब्दी (1621 से 1675) के दौरान उन्होंने सिख धर्म का प्रचार किया। वे दसवें गुरु गोविंद सिंह के पिता भी थे। सिखों के गुरु के तौर पर उनका कार्यकाल 1665 से 1675 तक रहा। उन्होंने धर्म का प्रचार करने के लिए पूरे उत्तर और पूर्वी भारत का भ्रमण किया। उन्होंने मुगल साम्राज्य के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। अपने अनुयायियों के विश्वास और धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। इसी कारण उन्हें हिंद दी चादर भी कहा जाता है।
पंजाब के अमृतसर में हुआ था जन्म
विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय रहा है। गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर में गुरु हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ था। बचपन में उनका नाम त्यागमल था। वे बाल्यकाल से ही धार्मिक, निर्भीक, विचारवान और दयालु स्वभाव के थे।
इस्लाम को कबूलने से किया था मना
सन् 1675 में धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दिया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को मौत की सजा सुनाई थी क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म को अपनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मुगल बादशाह के आदेश पर सबके सामने गुरु जी का सिर कलम कर दिया गया था।
दिल्ली में स्थित है उनका शहीद स्थल
दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनके सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक स्थल हैं। दरअसल, गुरु तेगबहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर जो गुरुद्वारा बना है, उसे गुरुद्वारा शीश गंज साहिब के नाम से जाना जाता है। वहीं गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में गुरु तेगबहादुर का अंतिम संस्कार किया गया था।साभार-अमर उजाला
#WATCH | PM Narendra Modi offers prayers at Gurudwara Rakab Ganj Sahib in Delhi. (Source – DD) pic.twitter.com/Ap9MchtdYP
— ANI (@ANI) December 20, 2020
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