साहिबाबाद। आंदोलन के 22 वें दिन भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि छह दौर की वार्ता हो गई लेकिन अभी तक हल नहीं निकला। मगर अब हल निकलेगा, बातचीत से हल नहीं निकलेगा तो हल चलाकर हल निकालेंगे। जब बंजर जमीन पर हल चलता है तो हल निकलता है। यह तो सरकार है जब वह हल का अर्थ समझ जाएगी तो हल भी निकल जाएगा। सरकार ने बड़े-बड़े जंगलों को हटाकर गोदामों के लिए हल निकाला। तो जब किसानों का हल दिल्ली के बीच में चलेगा तो हमारा भी हल निकलेगा। अब हल क्रांति आएगी। उन्होंने कहा कि आज मेरठ में भी मीटिंग है लेकिन किसानों को 40 फीट दूर रखा जाएगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि देश में पहले भी किसान क्रांति हुई है। क्रांति पर कोई बैन नहीं है, भारत सरकार कोई स्टे लेकर नहीं आई है। अगली जो क्रांति होगी वो हल क्रांति होगी। हल क्रांति में किसान कृषि यंत्रों के साथ शामिल होंगे। अब या तो सरकार सुधर जाए वरना हमारे किसानों को सब मालूम है। उन्होंने सरकार के कृषि कानून को लेकर पंचायत करने के बारे में तंज कसा। उन्होंने कहा कि सरकार गांवों में पंचायत करें, इसके लिए वहां मंच भी वह देंगे। सरकार शहरों में 700 मीडिया कॉन्फ्रेंस कर किसानों को बताएगी। तो सरकार यहां आकर बात करे, यहां पर गांव का किसान बैठा हुआ है। सरकार जिस सभागार में व्यापारियों से बात करती है, उसमें किसानों से बात करने में क्या आपत्ति है, किसान भी इंसान है। यह सरकार सुधर जाए और सीधा-सीधा काम करे।
सुप्रीम कोर्ट का जताया आभार
राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लेने पर धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन को शांतिपूर्ण बताया है। कई दिनों से किसान शांत बैठे हैं अब किसानों को हलचल करनी चाहिए। इसका मतलब बातचीत से भी है और आगे बढ़ना भी है। कोर्ट ने सरकार को फटकार भी लगाई कि किसानों से बात क्यूं नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि कोर्ट से हमारे पास अभी कोई चिट्ठी नहीं आई। प्रेस के माध्यम से जरूर सुन रहे हैं। लेकिन यह भी हो सकता है कि कोर्ट चिट्ठी भेजना चाह रही है लेकिन अधिकारी बीच में गायब कर दे। कोर्ट ने हमारे पक्ष में कहा है कि वह शांति से बैठे हैं तो बैठे रहने दो।
सरकार को लौटकर हमारे पास ही आना होगा
उन्होंने सरकार की पंचायतों पर एक कहावत कहते हुए तंज कसा। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार 700 यात्राएं करने वाली है। वह उत्तराखंड भी घूमकर आ जाए। लेकिन लौटकर आएगी तो दिल्ली ही। यहां किसान तैयार बैठे हैं। घूम फिर कर सरकार को इन किसानों के पास आना ही होगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन पर सभी की नजरें हैं। देश में अलग-अलग जगह पर आंदोलन हो रहे हैं। जबकि सरकार इन पर पाबंदी लगाना चाह रही है।साभार-अमर उजाला
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